राजस्थान में जलग्रहण विकास परियोजनाओं के परीक्षण के लिए जरूरी होगा बेसलाइन सर्वे : श्री मीणा
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक
29 अक्टूबर 2022, जयपुर । राजस्थान में जलग्रहण विकास परियोजनाओं के परीक्षण के लिए जरूरी होगा बेसलाइन सर्वे : श्री मीणा – प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (जल ग्रहण विकास घटक) की पश्चिम क्षेत्रीय समीक्षा बैठक जयपुर के होटल द ललित में आयोजित हुई।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए भू-संसाधन विभाग, भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव श्री हुकुम सिंह मीणा ने कहा कि पीएमकेएसवाई जलग्रहण विकास योजना भूजल वृद्धि, जल उपलब्धता और गुणवत्ता में बढ़ोतरी के जरिए किसानों की आय और जीवन स्तर में सुधार लाने वाली महत्वपूर्ण योजना हे। जल्द ही इस योजना में बेसलाइन सर्वे के जरिए योजना पूर्व एवं पश्चात् भूजल की मात्रा, उसकी गुणवत्ता, फसल पेटर्न और किसान की आय में बढोतरी जैसे पेरामीटर्स का तुलनात्मक परीक्षण शामिल किए जाने पर काम जारी है।
श्री मीना ने राजस्थान में जल ग्रहण विकास योजनाओं में जीआईएस एवं रिमोट सेन्सिग की तकनीकों के बेहतरीन उपयोग की भूरि-भूरि प्रशंसा की एवं अन्य राज्यों को भी राजस्थान से प्रेरणा लेकर इन तकनीकों के ज्यादा से ज्यादा उपयोग का सुझाव दिया। उन्होंने पीएमकेएसवाई 2.0 मार्गदर्शिका के अनुसार निर्देशित अधिकाधिक पौधारोपण के बारे में राजस्थान द्वारा तैयार किये गये विभिन्न पौधारोपण मॉडल, जिनमें पौधो के जीवित रहने एवं ग्राम पंचायत की आय बढऩे की अधिक संभावना हैं, की भी प्रशंसा की साथ ही इस तरह के चारागाह, बंजर भूमि पौधारोपण कार्यों को सभी राज्यों द्वारा अपनाने का सुझाव दिया।
केन्द्रीय अतिरिक्त सचिव ने जल ग्रहण परियोजनाओं में रिचार्ज शाफट के अधिक से अधिक कार्य लेने पर जोर दिया। जिससे भू-जल के स्तर में तत्काल वृद्धि होकर लाभार्थियों को योजना का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके। उन्होंने समीक्षा के दौरान सभी राज्यों को योजना अन्तर्गत प्राप्त राशि का अधिकतम उपयोग करने के निर्देश प्रदान किये जिससे योजना के निर्धारित लक्ष्यों को पूर्ण किया जा सके। साथ ही कहा कि राज्यों को एक-दूसरे की अच्छे प्रयासों को अपनाना चाहिए और आपसी अनुभव का फायदा लें।
उन्होंने कहा कि राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात में जलग्रहण विकास योजनाओं की सफलता देशभर में इस योजना के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक है क्योंकि योजना का करीब 40 प्रशितत इन्हीं राज्यों में आता है। बैठक के प्रारंभ में पंचायती राज विभाग के शासन सचिव श्री नवीन जैन ने समस्त अथितियों का स्वागत करते हुये राजस्थान में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 अन्तर्गत चल रही जल ग्रहण विकास योजनाओं की प्रगति के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने सुझाव दिया कि देश में चल रही समस्त परियोजनाओं के पूर्व डाटा एवं अध्ययन से उपलब्ध जानकारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से सम्मिलित कर डीपीआर को तैयार करने में लगने वाले समय, लागत और प्रयास को को कम किया जा सकता है साथ ही डीपीआर की गुणवत्ता भी बढ़ाई जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि जलग्रहण विकास में स्ट्रक्चर निर्माण के साथ अब राजीविका के माध्यम से रोजगार विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है और जल्द ही इस सम्बन्ध में एक एमओयू किया जा सकता। इस अवसर पर एमएनआईटी के सहयोग से तैयार जीआईएस प्रशिक्षण मॉड्यूल का विमोचन भी किया गया।
बैठक में राजस्थान सहित गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश की राज्य स्तरीय नोडल ऐजेन्सियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सहित योजना से संबधित अन्य अधिकारी शामिल हुए। वरिष्ठ अति0 आयुक्त श्री सीपी रेडडी द्वारा राज्य वार दिए गए समीक्षात्मक प्रस्तुतीकरण के बाद सभी पांचो राज्यों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों द्वारा उनके राज्य में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (जल ग्रहण विकास घटक) 1.0 एंव 2.0 के अन्तर्गत प्रगति एंव उत्कृष्ट गतिविधियों के संबध में प्रस्तुतिकरण दिया गया। राजस्थान की ओर से प्रस्तुतीकरण संयुक्त निदेशक जीआईएस वाटरशेड श्रीमती सुशीला यादव ने दिया।
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