बागवानी फसलों में अलैंगिक प्रवर्धन एवं डी एन ए बार कोडिंग आज की महत्ती आवश्यकता – डॉ कर्नाटक
21 फरवरी 2023, उदयपुर: बागवानी फसलों में अलैंगिक प्रवर्धन एवं डी एन ए बार कोडिंग आज की महत्ती आवश्यकता – डॉ कर्नाटक – राजस्थान कृषि महाविद्यालय के स्नातक विद्यार्थियों के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली के सोजन्य से उदयपुर में आयोजित अलैंगिक पादप प्रवर्धन एवं डी एन ए बार कोडिंग विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में महाराणा प्रताप एवं प्रौधोगिकी विश्वविधालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने उद्यानिकी पौधों के वानस्पतिक प्रसारण द्वारा विभिन्न उद्यानिकी एवं सजावटी पौधे तैयार करके नर्सरी उद्यम की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला। डॉ कर्नाटक ने कहा कि डी एन ए बार कोडिंग द्वारा कीटों का अध्ययन एवं उनकी पहचान बहुत आसान हो गई है | कीट वर्गीकरण में डी एन ए बार कोडिंग एवं बायोइन्फ़ोर्मटीक्स के समायोजन से कीटों की लाखों प्रजातियों का अध्ययन संभव हो पाया है, साथ ही कृषि स्नातक के विद्यार्थियों को इन आधुनिक क्रियाकल्पों की आवश्यकताओं के बारे में बताया | कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि अनुसंधान निदेशक डॉ शांति कुमार शर्मा ने प्रतिभागियों को इन विषयों पर अनुसन्धान के लिए एवं उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित किया | डॉ शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि उद्यान विज्ञान में उद्यमिता की प्रचुर संभावनाएं हैं, उद्यानिकी फसलों में प्रसंस्करण वह मूल्य संवर्धन के अनेकों उद्यम स्थापित किए जा सकते हैं अतः सभी विद्यार्थियों को जॉब सीकर के बजाए जॉब प्रोवाइडर बनना चाहिए | डॉ. महेश कोठारी, निदेशक मॉनिटरिंग एंड प्लानिंग ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान समय में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में सजावटी पौधों की मांग में वृद्धि हुई है । विद्यार्थी अपनी सक्रियता को बढ़ा कर एसे अनेक विषयों पर प्रशिक्षण प्राप्त कर इसे अपने उद्यम व व्यवसाय के रूप में स्थापित कर सकते है। डॉ कोठारी ने कहा कि इस प्रकार के प्रायोगिक प्रशिक्षण से ही विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉक्टर एस. एस. शर्मा, अधिष्ठाता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय उदयपुर ने विद्यार्थियों से कृषि जगत में नए-नए उद्यम स्थापित करने का आह्वान किया । आयोजन सचिव डॉ. कपिल देव आमेटा एवं डॉ. रमेश बाबु ने बताया कि इस प्रशिक्षण में केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. दीपक कुमार सरोलिया, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्रधान कीट वैज्ञानिक डॉ. विकास जिंदल, राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. एम. एस. साई रेड्डी एवं मनिपाल विश्वविद्यालय जयपुर के प्रोफेसर अभिजीत सिंह ने अपने विस्तृत व्याख्यानों से प्रतिभागियों को अनेक जानकारियां उपलब्ध करवाई साथ ही प्रशिक्षण के दौरान प्रायोगिक कक्षाओं में कटिंग, बडिंग, इनार्चिंग द्वारा पौधों का विकास करना एवं डी एन ए आइसोलेशन सम्बंधित तकनीकों पर अभ्यास सत्र का आयोजन किया गया |
महत्वपूर्ण खबर: गेहूँ मंडी रेट (20 फरवरी 2023 के अनुसार)
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम )