राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

देश में लहसुन – प्याज की खेती की स्थिति क्या हैं?

18 मार्च 2023, नई दिल्ली: देश में लहसुन – प्याज की खेती की स्थिति क्या हैं? – तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, लहसुन-प्याज का उत्पादन वर्ष 2020-21 में 3190 टन था, वही यह उत्पादन वर्ष 2021-22 में बढ़कर 3498 हो गया। पिछले 2 वर्षों के अंतराल में लहसुन और प्याज की उत्पादकता में लगभग 10 प्रतिशत तक की वृध्दि हुई हैं। 

देश में वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए लहसुन  उत्पादन (तीसरा अग्रिम अनुमान) –

वर्षउत्पादन(000 टन)
2020-213190
2021-22(तीसरा अग्रिम अनुमान)3498
देश में लहसुन – प्याज की खेती की स्थिति क्या हैं?
लहुसन प्याज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए क्या कर रही हैं सरकार

प्याज और लहसुन अनुसंधान निदेशालय पुणे और राष्ट्रीय  बागवानी अनुसंधान और विकास फांउडेशन नासिक द्वारा भारत में विभिन्न मौसमों और कृषि जलवायु परिस्थतियों के तहत खेती के लिए उपयुक्त किस्मों की पहचान हेतु लहसुन के आंनुवांशिक सुधार पर लम्बे समय से अनुसंधान किया जा रहा हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर प्याज और लहसुन पर अखिल भारतीय नेटवर्क अनुसंधान परियोजना पुणे के माध्यम से स्थान विशिष्ट अनुकूल परीक्षण भी किए जा रहे हैं।

लोकसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु की कृषि जलवायु स्थिति खरीफ लहसुन उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं। अब तक, विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के तहत खेती के लिए लहसुन की कुल 14 किस्मों की पहचान की गई हैं, जिसमें मैदानी क्षेत्रों के लिए 11 किस्में और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 3 किस्में शामिल हैं। गडग स्थानीय नामक एक अन्य भू-विशिष्ट किस्म  कर्नाटक में स्थानीय रूप से अपनाने योग्य हैं।

लहसुन की इन किस्मों में से भीमा पर्पल और जी 282 को महाराष्ट्र, कर्नाटक  और तमिलनाडु (ऊटी) में खरीफ के दौरान खेती के लिए पहचाना गया हैं, जबकि गडग स्थानीय भू-विशिष्ट किस्म केवल कर्नाटक के लिए आर्दश हैं। जी 282 और भीमा पर्पल ने खरीफ सीजन के दौरान 40-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन किया।

इसके अलावा 635 लहसुन परिग्रहणों के मूल्यांकन के परिणामस्वरूप खरीफ के दौरान बल्ब देने वाली 389 जर्माप्लाज्म वंशक्रमों की पहचान हुई हैं, जिनमें से कुल तीन जर्मोप्लाज्म परिग्रहणों नामतः डीओजीआर 555, डीओजीआर 100 और डीओजीआर 23 को खरीफ के लिए आशाजनक पाया गया हैं। खरीफ उत्पादन के लिए उनकी उपयुक्तता के लिए  प्याज और लहसुन पर आईसीएआर- अखिल भारतीय नेटवर्क अनुसंधान परियोजना के तहत कई स्थान परीक्षण के माध्यम से इनका मूल्यांकन किया जा रहा हैं।

इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात और मध्यप्रदेश में खरीफ 40-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के साथ-साथ रबी 60-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के लिए लहसुन की एक उन्नत प्रजनन लाइन नामतः जी 389 उपयुक्त पायी गयी हैं।   

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