National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

क्या हैं सदगुरू का मिट्टी बचाओ अभियान?

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23 दिसम्बर 2023, नई दिल्ली: क्या हैं सदगुरू का मिट्टी बचाओ अभियान? – जगदीश ‘जग्गी’ वासुदेव  जिन्हें पूरी दुनिया सद्गुरु के नाम से जानती हैं। सद्गुरु ने मार्च 2022 में मिट्टी बचाओ अभियान की शुरुआत की थी। यह अभियान मिट्टी के बिगड़ते स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसे सुधारने के लिए सचेत प्रतिक्रिया लाने के लिए एक वैश्विक आंदोलन है, जो मिट्टी के संकट को दूर करने के लिए दुनिया भर के लोगों को एकजुट कर रहा है। यह अभियान, खेती की मिट्टी में जैविक (ऑर्गेनिक) सामग्री को बढ़ाने के लिए सभी देशों के नेताओं को राष्ट्रीय नीतियां बनाने और कार्रवाई करने में मदद कर रहा है।

दुनिया की 52 प्रतिशत कृषि योग्य मिट्टी पहले ही ख़राब हो चुकी है। मिट्टी बचाओ अभियान का उद्देश्य है कि जिस मिट्टी में कृषि की जाती है उसमें क्षेत्रीय परिस्थितियों के आधार पर कम से कम 3-6% साइल आर्गेनिक मैटर (एसओएम) होना चाहिए। इससे किसानों के लिए टिकाऊ कृषि, जलवायु व खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

सभी वर्ग के लोग अभियान में हो रहे शामिल

सद्गुरु के मिट्टी बचाओं अभियान में समाज के हर वर्ग से लोग शामिल हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां, ग्लोबल लीडर्स, पर्यावरण और वैज्ञानिक समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्य, कॉर्पोरेट संगठन, और व्यक्तिगत तौर पर सभी नागरिक मिट्टी के विनाश के इस खतरनाक संकट को दूर करने के लिए एकजुट हो रहे हैं। हमारे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ऐसी धरती को तैयार करना महत्वपूर्ण है, जो पौष्टिक भोजन पैदा करने और सभी जीवों को जीवित रखने में सक्षम हो।

मिट्टी बचाओ अभियान नीचे दिए गए कदम उठाकर, इस दिशा में काम कर रहा हैं-
  • दुनिया का ध्यान मरती हुई मिट्टी की ओर मोड़ना।
  • मिट्टी की सुरक्षा, पोषण और रखरखाव के लिए नीति पुनर्निर्देशन का समर्थन करने के लिए लगभग 4 बिलियन लोगों (दुनिया के 5.26 बिलियन मतदाताओं का 60%) को प्रेरित करना।
  • 193 देशों में मिट्टी की जैविक (ऑर्गेनिक) सामग्री को कम से कम 3-6% तक बढ़ाने, और इस मात्रा को बनाए रखने की दिशा में राष्ट्रीय नीतियों में बदलाव लाना।
मिट्टी बचाओ : एक अभियान जो 24 साल पहले शुरू हुआ था

सद्गुरु ने भी 24 साल पहले मिट्टी बचाओ अभियान शुरू किया था। सद्गुरु तीन दशकों से लगातार मिट्टी के महत्व और मिट्टी के विनाश होने के खतरे के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बार-बार कहा है: “मिट्टी हमारा जीवन है, हमारा शरीर मिट्टी ही है। और अगर हम मिट्टी पर ध्यान देना छोड़ देते हैं, तो इसका मतलब है हमने धरती पर भी ध्यान देना छोड़ दिया है।

81 देशों ने किया समर्थन

सद्गुरु ने दुनिया भर में खत्म हो रही मिट्टी को संबोधित करने वाली नीतियों को बनाने के लिए और सरकारों को सक्रिय करने के लिए 27 देशों में 100 दिन चलने वाली 30,000 किलोमीटर की ‘मिट्टी बचाओ यात्रा’ शुरू की थी। यह अभियान केवल 100 दिनों के भीतर 4 अरब लोगों तक पहुंच गया और 81 देश मिट्टी बचाने के नीतियों को तैयार करने की दिशा में उद्देश्यपूर्ण कदम उठा रहे हैं।

भारत के इन राज्यों ने किया एमओयू

सद्गुरु के मिट्टी बचाओं अभियान के तहत 10 भारतीय राज्यों – गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक गोवा और असम ने मिट्टी बचाने के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।

नेपाल सरकार भी मिट्टी को बचाने के लिए प्रतिबद्ध

नेपाल सरकार के पर्यावरण मंत्रालय और कृषि मंत्रालय मिट्टी बचाओ अभियान से जुड़ने के लिए लेटर ऑफ़  सॉलिडेरिटी प्रस्तुत किया। नेपाल सरकार में पर्यावरण मंत्रालय ने भी मिट्टी को बचाने के लिए 30,000 पेड़ लगाने के लिए प्रतिबद्ध हुआ।

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