राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

ग्रामीण समाचार@ 5.00 PM: नींबू की खेती I शिमला मिर्च खेती I सोयाबीन खेती I गन्ना खेती I प्राकृतिक खेती I उर्वरकों का प्रयोग

नमस्कार, आइए जानते हैं आज शाम 5 बजे तक ग्राम की 10 बड़ी खबरें…

1.आंध्र प्रदेश के मीठे नींबू किसानो का कम कीमतों और पर्यावरणीय चुनौतियों के बीच संघर्ष

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आंध्र प्रदेश के अनंतपुर और श्री सत्य साई के वर्षा छाया जिलों में मीठे नींबू या ‘चीनी’ की खेती करने वाले किसान बाजार की कीमतों में गिरावट और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के कारण काफी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। मीठे नींबू के उत्पादन के लिए समर्पित 9,111 एकड़ में फैले इन जिलों को उनके बागवानी प्रयासों के लिए जाना जाता है। पूरी खबर पढ़े….

2.फसलों में प्रयोग होने वाले उर्वरकों की आपस में अनुकूलता जानकारी और उपयोग

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पौधों के मुख्य पोषक तत्व 17 हैं इनमे 9 मैक्रो या बहुल पोषक तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, गंधक, कैल्शियम तथा मैग्नीशियम है तथा 8 माईक्रो या सूक्ष्म पोषक तत्व लोहा, जस्ता, तांबा, बोरोन, मोलिबडीनम, क्लोरीन व निक्कल है। पूरी खबर पढ़े….

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3.शिमला मिर्च की संरक्षित खेती

शिमला मिर्च में पाए जाने वाले पोषक तत्व – आवश्यक विटामिन और खनिजों से भरपूर, प्रत्येक 100 ग्राम ताजा शिमला मिर्च विटामिन ए (8493 आईयू), विटामिन सी (283 मिलीग्राम), और कैल्शियम (13.4 मिलीग्राम), मैग्नीशियम (14.9 मिलीग्राम), फास्फोरस (28.3 मिलीग्राम), और पोटेशियम (263.7 मिलीग्राम)। पूरी खबर पढ़े….

4.प्राकृतिक खेती की चुनौतियाँ व समाधान

विगत दशक से हमारी सरकार किसानों की आय को दुगना करने की एक कारगर रणनीति विकसित करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करती रही है। जहां सरकार को एक ओर किसानों की आय बढ़ाना है तो दूसरी ओर थोक महंगाई दर को नियंत्रित करना है। यह काम एक दूसरे के विपरीत है और दोनों में संतुलन बनाना हमेशा से नीति निर्माताओं को तरह-तरह के प्रयोग करने को प्रोत्साहित करता रहा है। पूरी खबर पढ़े….

5.सोयाबीन में घास खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण पर वेबिनार 8 अगस्त को

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राष्ट्रीय कृषि अखबार कृषक जगत और यूपीएल एसएएस लि. के संयुक्त तत्वावधान में कृषक जगत सत्र खरीफ 2024 के अंतर्गत’ सोयाबीन में घास खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण ‘विषय पर आगामी 8 अगस्त 2024, गुरुवार  को शाम 4 बजे से ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया है। पूरी खबर पढ़े….

6.सोयाबीन फसल में कीट और रोगों का कहर: ICAR की सलाह से करें फसल की सुरक्षा

सोयाबीन की फसल अधिकतर क्षेत्रों में वर्तमान में फूल आने के प्रारंभिक चरण में है और पिछले दो सप्ताह से लगातार बारिश/फुहारों का सामना कर रही है। इस समय के दौरान सोयाबीन में मुख्य कीटों जैसे चक्र भृंग और बीमारियों जैसे येलो मोजेक वायरस और एन्थ्रेक्नोज के प्रारंभिक चरण में देखा गया है। साथ ही अन्य कीट जैसे चने की इल्ली एवं सफ़ेद मक्खी जैसे रोग वाहक कीट तथा एंथ्रेक्नोज जैसे रोगों की प्रारंभिक अवस्था देखी जा रही है।  पूरी खबर पढ़े….

7.इथेनॉल: गन्ना किसानों के लिए नई उम्मीद

गन्ना उगाने वाले किसानों के लिए आने वाले समय में कुछ उम्मीदें हैं. पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक कृषि अर्थशास्त्रियों से दुनिया को टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों से जोड़ने के तरीके खोजने को कहा. प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि लगभग फ़ीसदी किसान छोटे किसान हैं।  पूरी खबर पढ़े….

8.हर किसान के लिए जरूरी: लघु सिंचाई गणना रिपोर्ट जारी, सामने आई लघु सिंचाई योजनाओं की सच्चाई

 जल शक्ति मंत्रालय ने लघु सिंचाई (एमआई) गणना रिपोर्ट जारी की है, जिसका मुख्य उद्देश्य लघु सिंचाई क्षेत्र में एक व्यापक और विश्वसनीय डेटाबेस बनाना है ताकि प्रभावी योजना और नीति निर्धारण हो सके। इस गणना में 2,000 हेक्टेयर तक के कृषि योग्य कमांड क्षेत्र (सीसीए) वाली सभी भूजल और सतही जल योजनाओं को शामिल किया गया है। पूरी खबर पढ़े….

9.हरियाणा: अब 10 और फसलों की होगी MSP पर खरीदारी, किसानो को मिलेगी बड़ी राहत!

हरियाणा सरकार ने किसानों के हित में फैसला लेते हुए सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद करने का निर्णय लिया है। अब राज्य में रागी, सोयाबीन, काला तिल (नाइजरसीड), केसर, जौ, मक्का, ज्वार, जूट, खोपरा और मूंग (ग्रीष्मकालीन) जैसी 10 फसलों की खरीद भी MSP पर की जाएगी। पूरी खबर पढ़े….

10.सोयाबीन, मूंगफली, दलहनी फसलों में पोषक तत्वों की कमी को मॅकेरीना से दूर करें

पौधों में अजैविक तनाव होना याने अधिक वर्षा होना, सूखा पडऩा, कम या अधिक तापमान हो जाना, या फिर पोषक तत्वों की कमी आ जाने से फसल को नुक़सान होता है। इसी के साथ-साथ कीटों और बीमारियों के एक साथ आने से भी उपज की अधिक हानि होती है, प्रभावित होती है। अजैविक तनाव न केवल उपज की मात्रा को कम करता है, बल्कि यह फसल उत्पादन की गुणवत्ता को भी कम करता है। पूरी खबर पढ़े….

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