फसल की खेती (Crop Cultivation)

सोयाबीन फसल में कीट और रोगों का कहर: ICAR की सलाह से करें फसल की सुरक्षा

सोयाबीन किसानों के लिए ICAR-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान की साप्ताहिक सलाह

06 अगस्त 2024, भोपाल: सोयाबीन फसल में कीट और रोगों का कहर: ICAR की सलाह से करें फसल की सुरक्षा – सोयाबीन की फसल अधिकतर क्षेत्रों में वर्तमान में फूल आने के प्रारंभिक चरण में है और पिछले दो सप्ताह से लगातार बारिश/फुहारों का सामना कर रही है। इस समय के दौरान सोयाबीन में मुख्य कीटों जैसे चक्र भृंग और बीमारियों जैसे येलो मोजेक वायरस और एन्थ्रेक्नोज के प्रारंभिक चरण में देखा गया है। साथ ही अन्य कीट जैसे चने की इल्ली एवं सफ़ेद मक्खी जैसे रोग वाहक कीट तथा एंथ्रेक्नोज जैसे रोगों की प्रारंभिक अवस्था देखी जा रही है। मौजूदा मौसम की स्थिति को देखते हुए, सोयाबीन किसानों को संभावित कीटों एवं रोगों के नियंत्रण हेतु केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा हाल ही में अनुशंसित कीटनाशक/रसायनों के छिड़काव  कर नियंत्रण किया जा सकता है:

कीट और रोग नियंत्रण के उपाय:

फूलों पर केटरपिलर का आक्रमण: फुल आने की अवस्था में पत्ती खाने वाली इल्लियों को फूलों को भी खाते हुए देखा गया हैं, अतः फसल की सुरक्षा हेतु उपयुक्त अनुशंसित कीटनाशक का छिड़काव करें।

जिन क्षेत्रों में पत्ती खाने वाले कीटों के साथ-साथ सफेद मक्खी और तना छेदक कीटों का एक साथ प्रकोप हो, वहां फसल पर थियामेथोक्सम + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन (125 मिली/हेक्टेयर) या बीटासिफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) या एसिटामिप्रिड 25% + बिफेन्थ्रिन 25% डब्ल्यूजी (250 ग्राम/हेक्टेयर) या क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 09.30% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 04.60% जेडसी (200 मिली/हेक्टेयर) जैसे पूर्व मिश्रित फार्मूलों में से किसी एक का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

बीजोत्पादन वाले खेत की शुद्धता बनाए रखने के लिए उपाय: बीजोत्पादन वाले खेत में शुद्धता बनाये रखने के लिए फूलों के रंग एवं पौधों/पत्तियों/तने पर पाए जाने वाले रोये के आधार पर भिन्न किस्मों के पौधों को अपने खेत से निकाल दे।

नाली व्यवस्था: कई क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होने की सूचनाये प्राप्त हुई हैं, किसानो को सलाह हैं की  जल भराव से होने वाले नुकसान से सोयाबीन फसल को बचाने हेतु अतिरक्ति जल-निकासी सुनिश्चित करें। 

कॉटन ग्रे वीविल का आक्रमण: मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्रों में “कॉटन ग्रे वीविल”, एवं “टस्क मोथ” नामक कीटों का भी प्रकोप देखा जा रहा है। अधिक प्रकोप पाए जाने पर नियंत्रण हेतु किसानों को क्विनालफोस 25% ईसी (1 लीटर/हेक्टेयर) या प्रोफेनोफोस 50 ईसी (1 लीटर/हेक्टेयर) या आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली/हे.) या इन्डोक्साकार्ब 15.8% ईसी (333 मिली/हेक्टेयर) या इन्डोक्साकार्ब 15.8% ईसी (333 मिली/हेक्टेयर) का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। तना मक्खी के नियंत्रण के लिए भी इन्ही रसायनों का उपयोग करें।

रस चूसने वाले कीड़े का आक्रमण: सोयाबीन में रस चूसने वाले “जेवेल बग” नामक कीड़े का प्रकोप देखा जा रहा हैं। अधिक प्रकोप होने पर इसके नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमेथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 9.5% जेडसी (125 मिली/हेक्टेयर) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) या आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली/हे.)  का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

स्लग और घोंघे का आक्रमण: महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों घोंघे(snails-slugs/गोगलगाय) का प्रकोप देखा जा रहा हैं। किसानों को नियमित रूप से फसल की निगरानी करने और आवश्यकतानुसार कीटनाशकों का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। इसके नियंत्रण लिए गुड के साथ मेटालडिहाइड 2.5% सूखे पेलेट का द्रावन बनाए तथा जूट के बोरे को इस द्रावन में भिगोकर अपने खेत में रात को रखे एवं अगले दिन निरिक्षण करें।  साथ ही सुरक्षात्मक रूप से अपने खेत के चारों ओर चुने की लकीर डालकर घोंघे को आने से रोके। समस्या अधिक होने पर सोयाबीन के लिए अनुशंसित कीटनाशक जैसे मैलाथियान 50.00% ई.सी. (1500 मि.ली./हेक्टेयर) या इंडोक्साकार्ब 15.80% ई.सी. (333 मि.ली./हेक्टेयर) या क्विनॉल्फॉस 25 का फसल एवं जमींन पर छिड़काव  करें।

सफेद गुबरैले का संक्रमण: महाराष्ट्र के बुलढाना जिले के कुछ क्षेत्र जहााँ पर कई दिनों से बारिश नहीं होने से सुखी भूमी में सफ़ेद सुंडी  का प्रकोप देखा जा रहा हैं। अतः सलाह है की इसके नियंत्रण हेतु खेत मे लाइट ट्रैप लगाए एवं व्हाइट ग्रब के वयस्कों को एकत्र होने पर नष्ट करें। साथ ही फसल पर बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) का सोयाबीन की फसल में पौधों के बीच में छिड़काव करें।

चने की इल्ली (ग्राम पॉड बोरर) का प्रकोपमध्य प्रदेश के कुछ जिलों में चने की इल्ली (ग्राम पॉड बोरर) का प्रकोप देखा गया है। इसके नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव करें: इंडोक्साकार्ब 15.80% EC का 333 मिली/हेक्टेयर का छिड़काव करें। इसके लिए वैकल्पिक कीटनाशक है एमामेक्टिन बेंजोएट 01.90% EC का 425 मिली/हेक्टेयर या ब्रोफ्लानिलाइड 300 g/l SC का 42-62 ग्राम/हेक्टेयर या फ्लूबेंडियमाइड 39.35% w/w SC का 150 मिली/हेक्टेयर और नोवालूरॉन 05.25% + इंडोक्साकार्ब 04.50% SC का 825-875 मिली/हेक्टेयर  छिड़काव करें।

बिहार हेरी कैटरपिलर का नियंत्रण: बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप होने पर झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियो को प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे सहित खेत से निष्कासित करें।

इस कीट के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का उपयोग करें: फ्लूबेंडियमाइड 39.35% w/w SC का 150 मिली/हेक्टेयर या एमामेक्टिन बेंजोएट 01.90% EC का 425 मिली/हेक्टेयर या ब्रोफ्लानिलाइड 300 g/l SC का 42-62 ग्राम/हेक्टेयर, और स्पिनोटेरम 11.7 SC का 450 मिली/हेक्टेयरछिड़काव करें।  

चक्र भृंग का नियंत्रणसोयाबीन की फसल घनी होने पर फसल में चक्र भृंग (गिर्डल बीटल) का प्रकोप अधिक होने की संभावना होती है। इसके लिए प्रारंभिक अवस्था में ही (एक सप्ताह के अंदर) दो रिंग दिखाई देने वाली ऐसी मुरझाई/लटकी हुई ग्रसित पत्तियों को तने से तोड़कर जला दे या खेत से बाहर करे।

प्रभावित पौधों को नष्ट करें और और निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव करें: थियाक्लोप्रिड 21.7 S.C. का 750 मिली/हेक्टेयर या एमामेक्टिन बेंजोएट 01.90% EC का 425 मिली/हेक्टेयर, आईसोसाइकलोसेराम 9.2% W/W DC (10% W/V) DC का 600 मिली/हेक्टेयर, कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड 04% + फिप्रोनिल 00.50% CG का 200 मिली/हेक्टेयर, एसिटामिप्रिड 25% + बाइफेंथ्रिन 25% WG का 250 ग्राम/हेक्टेयर, टेट्रानिलिप्रोल 18.18 SC का 250-300 मिली/हेक्टेयर, प्रोफेनोफोस 50 E.C. का 1 लीटर/हेक्टेयर, और क्लोरानट्रानिलिप्रोल 18.50% SC का 150 मिली/हेक्टेयर छिड़काव करें।                          

तना मक्खी का नियंत्रणतना मक्खी के नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि लक्षण दिखाई देने पर तुरंत पूर्वमिश्रित कीटनाशक आइसोसायक्लोसरम 9.2WW.DC (10% W/V)DV @600 मिली/हेक्टेयर या थायमेथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहलोथ्रिन 09.50% ZC @125 मिली/हेक्टेयर या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) या इंडोक्साकार्ब 15.80% EC (333 मिली/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।

15-20 दिनों की अवधि वाली फसल में किसानों को पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु फूल आने से 4-5 दिन पहले तक क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 SC. @ 150 मिली/हेक्टेयर का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। इससे अगले 30 दिनों तक पत्ती खाने वाले कीटों पर नियंत्रण में मदद मिलती है।

सेमीलूपर इल्ली का नियंत्रण: इसके नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव करें: क्लोरानट्रानिलिप्रोल 18.5% SC का 150 मिली/हेक्टेयर, एमामेक्टिन बेंजोएट 01.90% EC का 425 मिली/हेक्टेयर, ब्रोफ्लानिलाइड 300 g/l SC का 42-62 ग्राम/हेक्टेयर, फ्लूबेंडियमाइड 20% WG का 250-300 ग्राम/हेक्टेयर, फ्लूबेंडियमाइड 39.35% w/w SC का 150 मिली/हेक्टेयर, एसिटामिप्रिड 25% + बाइफेंथ्रिन 25% WG का 250 ग्राम/हेक्टेयर, इंडोक्साकार्ब 15.80% EC का 333 मिली/हेक्टेयर, लैम्ब्डा-साइहैलोथ्रिन 04.90% CS का 300 मिली/हेक्टेयर, प्रोफेनोफोस 50% EC का 1 लीटर/हेक्टेयर, टेट्रानिलिप्रोल 18.18 SC का 250-300 मिली/हेक्टेयर, प्री-मिक्स्ड  बेटा-साइफ्लुथ्रिन 08.49% + इमिडाक्लोप्रिड  19.81% w/w OD का 350 मिली/हेक्टेयर, नोवालूरॉन + इंडोक्साकार्ब 04.50% SC का 825-875 मिली/हेक्टेयर, थायामेथोक्साम 12.60% + लैम्ब्डा-साइहैलोथ्रिन 09.50% ZC का 125 मिली/हेक्टेयर, और क्लोरानट्रानिलिप्रोल 09.30% + लैम्ब्डा-साइहैलोथ्रिन 04.60% ZC का 200 मिली/हेक्टेयर छिड़काव करें। 

तंबाकू कैटरपिलर (स्पोडोप्टेरा लिटुरा) का नियंत्रणइसके नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव करें: एमामेक्टिन बेंजोएट 01.90% EC का 425 मिली/हेक्टेयर, ब्रोफ्लानिलाइड 300 ग्राम/हेक्टेयर SC का 42-62 ग्राम/हेक्टेयर, एसिटामिप्रिड 25% + बाइफेंथ्रिन 25% WG का 250 ग्राम/हेक्टेयर, फ्लूबेंडियमाइड 20% WG का 250-300 ग्राम/हेक्टेयर, फ्लूबेंडियमाइड 39.35% w/w SC का 150 मिली/हेक्टेयर, इंडोक्साकार्ब 15.80% EC का 333 मिली/हेक्टेयर, टेट्रानिलिप्रोल 18.18 SC का 250-300 मिली/हेक्टेयर, स्पिनोटेरम 11.7 SC का 450 मिली/हेक्टेयर, और नोवालूरॉन + इंडोक्साकार्ब 04.50% SC का 825-875 मिली/हेक्टेयर छिड़काव करें।      

कीटों पर संयुक्त नियंत्रणआपकी फसल में सेमीलूपर या चने की इल्ली या तम्बबाकू की इल्ली में से कोई एक या एक साथ तीनो पाए जाने पर नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव करें : ब्रोफ्लानिलाइड 300 g/l SC का 42-62 ग्राम/हेक्टेयर, फ्लूबेंडियमाइड 39.35% w/w SC का 150 मिली/हेक्टेयर, इंडोक्साकार्ब 15.80% EC का 333 मिली/हेक्टेयर, और नोवालूरॉन + इंडोक्साकार्ब 04.50% SC का 825-875 मिली/हेक्टेयरछिड़काव करें।

जिन क्षेत्रों में पत्ती खाने वाले कीटों के साथ-साथ सफेद मक्खी और तना छेदक कीटों का एक साथ प्रकोप हो, वहां फसल पर थियामेथोक्सम + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन (125 मिली/हेक्टेयर) या बीटासिफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) या एसिटामिप्रिड 25% + बिफेन्थ्रिन 25% डब्ल्यूजी (250 ग्राम/हेक्टेयर) या क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 09.30% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 04.60% जेडसी (200 मिली/हेक्टेयर) जैसे पूर्व मिश्रित फार्मूलों में से किसी एक का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

येलो मोज़ेक वायरस (YMV)/सोयाबीन मोज़ेक वायरस (SMV) का नियंत्रणपीला मोज़ेक/सोयाबीन मोज़ेक रोग के नियंत्रण के लिए किसानों को प्रभावित पौधे/भाग को उखाड़ने/नष्ट करने और एसेटामिप्रिड 25% + बाइफेंथ्रिन 25% WG (250 ग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। वैकल्पिक रूप से, आप थायमेथोक्सम + लैम्ब्डा सायहलोथ्रिन (125 मिली/हेक्टेयर) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) में से किसी एक को भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण भी किया जा सकता है।

एंथ्रेक्नोज रोग नियंत्रण: लगातार बारिश की स्थिति में एन्थ्रेक्नोज रोग का संक्रमण हो सकता है। किसानों को नियमित अंतराल पर अपनी फसल की निगरानी करने और लक्षण दिखाई देने के तुरंत बाद टेबुकोनाज़ोल 25.9 EC (625 मिली/हेक्टेयर) या टेबुकोनाज़ोल 38.39 SC (625 मिली/हेक्टेयर) या टेबुकोनाज़ोल 10%+सल्फर 65% WG (1.25 किलोग्राम/हेक्टेयर) या कार्बेन्डाजिम 12%+मेंकोज़ेब 63% WP (1.25 किलोग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

रिजोक्टोनिया एरियल ब्लाइटकिसानों को राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट के लक्षण दिखाई देने पर अनुशंसित फफूंदनाशकों जैसे कि पाइरोकलोस्ट्रोबिन 20% WG (375-500 ग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

सामान्य सलाह

1.     क्या करें:

  • कीटनाशक या शाकनाशी का छिड़काव करते समय अनुशंसित मात्रा में पानी का उपयोग करें (नैपसैक/ट्रैक्टर द्वारा खींचे गए स्प्रेयर के लिए 450 लीटर/हेक्टेयर या पावर स्प्रेयर के लिए 120 लीटर/हेक्टेयर)।
  • कीटनाशक के छिड़काव के लिए कोन नोजल का उपयोग करें जबकि खरपतवार नाशक के छिड़काव के दौरान फ्लड जेट/फ्लैट फैन नोजल का उपयोग करें।
  • किसी भी कृषि-इनपुट को खरीदते समय दुकानदार से उत्पाद के बैच नंबर और एक्सपायरी तिथि को दर्शाते हुए एक पक्का बिल प्राप्त करें।

2.     क्या न करें:

  • ऐसे रसायनों (कीटनाशक/शाकनाशी/फफूंदनाशी) का उपयोग न करें जिनके पास भारत सरकार के केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा अनुमोदित सोयाबीन के लिए लेबल दावा नहीं है।
  • किसानों को सुझाव दिया जाता है कि वे ऐसे किसी भी कीट/शाकनाशी का मिश्रण इस्तेमाल न करें, जिसकी सिफारिश/परीक्षण ICAR-IISR द्वारा न किया गया हो। इससे फसल को नुकसान हो सकता है।

3.     निवारक उपाय:

  • सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं। 
  • किसानों को पत्तियों को खाने वाले कीड़ों का शिकार करने वाले पक्षियों के बैठने की व्यवस्था के लिए विभिन्न स्थानों ”T“ आकार के बर्ड-परचेस लगाये। इससे कीट-भक्षी पक्षियोंद्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।
  • तंबाकू कैटरपिलर और चना फली छेदक के प्रबंधन के लिए किसानों को कीट-विशिष्ट फेरोमोन जाल लगाने और एनपीवी (250 एलई/हेक्टेयर) का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इन कीड़ों के खिलाफ एमामेक्टिन बेंजोएट (425 मिली/हेक्टेयर) का उपयोग भी प्रभावी है।
  • जैविक सोयाबीन उत्पादन के मामले में पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली ) से फसल की सुरक्षा एवं प्रारंभिक अवस्था में रोकथाम हेतु किसान डिफोलिएटर (सेमीलूपर तंबाकू कैटरपिलर) के नियंत्रण के लिए बैसिलस थुरिन्जिएन्सिस या ब्युवेरिया बासियाना या नोमुरिया रिलेई @ 1 लीटर/हेक्टेयर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

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