कृषक जगत समाचार@ 5.00 PM: कृषि साझेदारी I प्रतिबंधित कीटनाशक I रबी फसल I चना दाल बिक्री I स्ट्राबेरी खेती
24 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: नमस्कार, आइए जानते हैं आज शाम 5 बजे तक कृषक जगत की 10 बड़ी खबरें…
1.भारत-नीदरलैंड की 40 साल पुरानी कृषि साझेदारी पर हुई चर्चा, जानें क्या है नया
भारत में नीदरलैंड की राजदूत एच. ई. मारिसा गेरार्ड्स ने कृषि भवन, नई दिल्ली में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच कृषि और संबंधित क्षेत्रों में चल रहे सहयोग पर विस्तार से चर्चा हुई। साथ ही भविष्य में सहयोग के नए क्षेत्रों की संभावनाओं पर भी विचार किया गया। पूरी खबर पढ़े….
2.भारत में प्रतिबंधित कीटनाशकों की पूरी सूची: 2024 का नवीनतम सरकारी अपडेट
भारत सरकार ने कीटनाशकों के उपयोग को लेकर कई अहम कदम उठाए हैं, जिसमें कुछ कीटनाशकों पर पूरी तरह प्रतिबंध, कुछ पर आंशिक प्रतिबंध और कुछ को केवल निर्यात के लिए उपयोग करने की अनुमति दी गई है। यह सूची 31 मार्च 2024 को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पौध संरक्षण, संगरोध और भंडारण निदेशालय द्वारा जारी की गई है। पूरी खबर पढ़े….
3.रबी फसल 2024-25 के लिए डीएपी की उपलब्धता पर गलत रिपोर्ट्स, सब्सिडी में नहीं हुई कटौती
हाल ही में मीडिया में प्रकाशित कुछ रिपोर्टों में डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) की कमी और इसके चलते रबी फसलों पर असर पड़ने का दावा किया गया है, जिसे केंद्र सरकार ने पूरी तरह से गलत और भ्रामक बताया है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि डीएपी पर सब्सिडी कम नहीं की गई है, पूरी खबर पढ़े….
4.दिल्ली-एनसीआर में 70 रुपये किलो में चना दाल की बिक्री शुरू, मोबाइल वैन से होगा वितरण
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने आज दिल्ली-एनसीआर में एनसीसीएफ, नेफेड और केंद्रीय भंडार की मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर चना दाल की खुदरा बिक्री के दूसरे चरण का शुभारंभ किया। इस पहल के तहत चना दाल 70 रुपये प्रति किलोग्राम और साबुत चना 58 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराया जा रहा है। पूरी खबर पढ़े….
5.प्याज किसानों के लिए खबर: सरकार बांग्लादेश को निर्यात के लिए 1,650 टन प्याज खरीदेगी
सरकार की निर्यात एजेंसी नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (एनसीईएल) ने बांग्लादेश को निर्यात करने के लिए निजी व्यापारियों से 29 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्याज खरीदेगी। इसके लिए ट्रेडर्स से 1,650 टन प्याज की खरीद की जाएगी। यह घटनाक्रम 8 दिसंबर से 31 मार्च तक लगाए गए प्रतिबंध के बाद भारत से आधिकारिक प्याज निर्यात की बहाली का प्रतीक है। पूरी खबर पढ़े….
6.बीज गुणवत्ता और तकनीक पर वाराणसी में राष्ट्रीय बीज कांग्रेस, जानें कैसे बदलेगी खेती
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) द्वारा उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 28 से 30 नवंबर 2024 तक 13वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस (एनएससी) का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईएसएआरसी) और राष्ट्रीय बीज अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (एनएसआरटीसी) के सहयोग से हो रहा है। पूरी खबर पढ़े….
7.गांवों में हर घंटे मिलेगा मौसम का पूर्वानुमान, खेती में होगी मदद
24 अक्टूबर 2024 को केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में “ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम पूर्वानुमान” की शुरुआत की। इस पहल के तहत, ग्राम पंचायतों को हर घंटे और पांच दिनों का विस्तारित मौसम पूर्वानुमान उपलब्ध कराया जाएगा। यह कदम विशेष रूप से ग्रामीण समुदायों और किसानों के लिए मददगार साबित होगा, जिससे उन्हें आपदा प्रबंधन और खेती की बेहतर योजना बनाने में सहयोग मिलेगा। पूरी खबर पढ़े….
8.खाद खरीदने किसान क्यों लगे कतार में ?
भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था मौसम के मिज़ाज पर निर्भर करती है। श्री रामचरितमानस में वर्णित- का वर्षा जब कृषि सुखानी.. का आशय भी यही है कि खेती सूखने के बाद बारिश का कोई महत्व नहीं होता यानि अवसर निकल जाने पर सहायता व्यर्थ होती है। पूरी खबर पढ़े….
9.स्ट्राबेरी की वैज्ञानिक एवं लाभदायक खेती
परिचय स्ट्राबेरी रोजेसी कुल का पौधा है जिसकी उत्पति उत्तरी अमेरिका में हुई थी। भारत में इसका उत्पादन पर्वतीय भागों में नैनीताल, देहरादून, हिमाचल प्रदेश, महाबलेश्वर,महाराष्ट्र, नीलगिरी, दार्जलिंग आदि की पहाड़ियों में व्यावसायिक तौर पर किया जा रहा है। इसकी खेती अब मैदानी भागों, दिल्ली, बंगलौर, जालंधर, मेरठ, पंजाब, हरियाणा आदि क्षेत्रों में भी की जा रही है। पूरी खबर पढ़े….
10.नाबार्ड सर्वेक्षण पांच सालों में एक तिहाई घट गई भूमि जोत
एक ओर जहां किसानों की मासिक घरेलू आय बढ़ रही है, वहीं उन पर व्यय और कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है। बढ़ी हुई कमाई के साथ किसान परिवार गैर खाद्य खर्चों की तरफ बढ़ रहे हैं और सबसे ज्यादा चिंताजनक यह है कि उनके पास खेती के लिए मौजूद भूमि जोत भी सिकुड़ती जा रही है। पूरी खबर पढ़े….