National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)Crop Cultivation (फसल की खेती)

किसान भिंडी की उच्च उपज देने वाली किस्म ‘पूसा भिंडी-5’ उगाएँ और कमाएँ मुनाफ़ा 

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28 फरवरी 2024, नई दिल्ली: किसान भिंडी की उच्च उपज देने वाली किस्म ‘पूसा भिंडी-5’ उगाएँ और कमाएँ मुनाफ़ा – सब्जियों में भिंडी एक मुख्य फसल हैं, जो गर्मी तथा वर्षा दोनों ही मौसम में उगाई जाती हैं। भिंडी विभिन्न विटामिन और खनिज जैसे पोटेशियम, कैल्शियम इत्यादि से भरपूर होने के साथ आयुर्वेद का भी एक उत्तम स्त्रोत हैं। किसानों को भिंडी की फसल में अच्छी उपज लेने हेतु इस समय किन उन्नत सस्य क्रियाओं का ध्यान रखना आवश्यक हैं इन सभी चीजों को संपूर्ण जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा संस्थान) के विशेषज्ञ डॉ बी एस तोमर ने विस्तार से दी हैं। 

खेत की तैयारी

डॉ. बी एस तोमर ने बताया कि भिण्डी एक महत्वपूर्ण सब्जी की फसल हैं। क्षेत्रफल और उत्पादकता की दृष्टि से भारत विश्व में प्रथम स्थान पर आता हैं। उन्होंने बताया कि किसान भिंडी की बुवाई करने से पहले खेत को तैयार कर लें। खेत को तैयार करने हेतु सर्वप्रथम किसान सड़े हुए गोबर की खाद को 15-20 गाड़ी प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिला लें। इसके बाद खेत की पलेवा कर दे और फिर खेत जैसे ही जुताई के लिए तैयार हो जाए उसकी कल्टीवेटर से जुताई करके उसको समतल करें और आखिरी मे खेत में मेड़ों  का निर्माण करें।

किस्में

भिंडी गर्मी , बारिश दोनों  मौसम की फसल हैं। इसके जमाव के लिए पर्यावरण का औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो तब उसकी बुवाई प्रारंभ करना चाहिए। बुवाई के लिए उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण हैं। इन किस्मों से कम से कम उत्पादन लागत में भिंडी की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती हैं।

किसान गर्मी के मौसम में बुवाई के लिए पूसा संस्थान की किस्म पूसा भिंडी-5 का उपयोग कर सकते हैं। यह किस्म पीतरोग विषाणु के प्रति सहनशील हैं। हांलाकि सामान्य गर्मी के मौसम में इन बीमारियों का प्रकोप कम हो जाता हैं। 

किसान यहां से ले सकते हैं बीज

किसान भिंडी की किस्म पूसा भिंडी-5 के बीज को राष्ट्रीय बीज निगम से प्राप्त कर सकते हैं। किसी कारण से किसान इस किस्म के बीज को नहीं ले पाते हैं, तो वह भिंडी की अतिरिक्त किस्म ए-4 या अर्का अनामिका का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।   

बीज की मात्रा तथा तुड़ाई का समय

पूसा भिंडी-5 से किसान 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादकता ले सकते हैं। इसकी पहली तुड़ाई बुवाई के 44 दिन बाद की जा सकती हैं। गर्मी के मौसम में अगर आप पूसा भिंडी-5 या अन्य किसी किस्म का उपयोग करते हैं, तो आपको बुवाई के लिए 12-16 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज के उपयोग करने की आवश्यकता पड़ती हैं।

यदि आप संकर  किस्म का उपयोग करते हैं, तो आपको बुवाई के लिए 8-10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज की आवश्यकता होती हैं।

बीजोपचार

किसान अगर अपने पुराने अनुभव के आधार पर एक ही खेत में निरंतर भिंडी लगाते हैं, तो कई बार उसमें उकठा रोग होने की संभावना बड़ जाती है। तो इससे बचने के लिए किसान बीज का उपचार करें । ट्राइकोडर्मा विरिडी की 5 ग्राम मात्रा प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज को उपचारित कर सकते हैं।

इसके अलावा किसान भिंडी के बीज को उपचारित करने के साथ इसको एजेक्टोबैक्टर या एज़ोस्पाइरिलम नामक सूक्ष्म जीव का भी उपयोग कर सकते हैं। ये सूक्ष्म जीव जमीन के अंदर उपलब्ध पोषक तत्वों को पौधों तक पहुंचाते हैं जिससे पौधों की बढ़वार में वृध्दि होती हैं।

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