राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

e-NAM 2.0: नई सरकारों के लिए पहली चुनौती

03 अक्टूबर 2023, नई दिल्ली(शशिकांत त्रिवेदी): e-NAM 2.0: नई सरकारों के लिए पहली चुनौती – दुनिया भर की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य और फसल की मार्केटिंग को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बढ़ावा दिए जाने की बयार चल रही है। भारत देश भी इसका अपवाद नहीं है.. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 14 जुलाई, 2022 को 12 भाषाओं में एक मोबाइल एप्लिकेशन के रूप में इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार eNAM-PoP या (ईएनएएम)-प्लेटफॉर्म ऑफ प्लेटफॉर्म (पीओपी) लॉन्च किया था।

आज प्लेटफॉर्म पर कई सेवाएँ शामिल हैं मसलन : व्यापार, अनाज की परख, परिवहन, भंडारण, वित्तीय सेवाएँ, कृषि-सलाहकार/विस्तार सेवाएँ, बाज़ार की जानकारी, संस्थागत खरीद और बिक्री, और कृषि आगत (इनपुट) सेवाएँ। उपज का यह इलेक्ट्रॉनिक बाजार या ईएनएएम (e-NAM) अप्रैल 2016 में शुरू हुआ और इससे लगभग 1,260 कृषि उपज मंडियों को खरीद फरोख्त के लिए एक जैसा मंच मिला। सन 2016 में कुल 585 मंडियों को eNAM पोर्टल के साथ जोड़ा गया था, और उपज की ई-नीलामी हो सके इसलिए आवश्यक बुनियादी ढांचा स्थापित करने और बाजार में भाग लेने वालों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए कृषि प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के ज़रिये ₹200 करोड़ का निवेश किया था। मध्यप्रदेश जैसे सोया, गेंहू और दालों के बड़े उत्पादक राज्य होने कारण चुनाव के बाद नई सरकार को e-NAM 2.0 के लिए तैयार होना होगा।

आंकड़ों और रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले सात सालों में लगभग 1.73 करोड़ किसानों और 2.25 लाख व्यापारियों को इससे लाभ मिला है, लेकिन इसकी पहुंच कुछ राज्यों तक ही सीमित है. 1 अगस्त, 2023 तक, 23 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 1,361 मंडियों (एपीएमसी) को ई-एनएएम (e-NAM) में सफलतापूर्वक एकीकृत किया गया है।


यह एकीकरण 209 विभिन्न को शामिल करता है, जिससे एक एकीकृत व्यापार मंच बनता है जो किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), खरीदारों और व्यापारियों को लाभ पहुंचाता है। ई-एनएएम के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक हितधारकों को समय पर उत्पाद की गुणवत्ता जैसी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करके सूचना विषमता को खत्म करना है।

हाल ही में दिल्ली में आयोजित e-NAM 2.0 में सुधार पर आयोजित कार्यक्रम में भारत के कृषि सचिव मनोज आहूजा ने इस बात पर जोर दिया कि और अधिक पारदर्शिता खेती उपज के खरीदारों और विक्रेताओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे e-NAM प्लेटफॉर्म को यह एकदम निष्पक्ष बनाती है और एक तरह से सूचित लेनदेन सुनिश्चित करती है। इस आधुनिक e-NAM 2.0 पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करने के लिए, अतिरिक्त 28 मंडियों को एकीकरण के लिए मंजूरी दी गई है, जिससे e-NAM 2.0 से जुड़ी मंडियों की कुल संख्या 1,389 हो गई है|

कृषि सुधारों पर आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यशाला में निजी संगठनों, बैंकों, कमोडिटी एक्सचेंजों, राज्य कृषि विपणन बोर्डों और विपणन और निरीक्षण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की
हाल ही के वर्षों में कृषि बाज़ार में एक चरणबद्ध विकास हुआ है, जैसे गोदाम-रसीद (ईएनडब्ल्यूआर) व्यापार और किसान उपज के प्रत्यक्ष विपणन (एपीएलएम अधिनियम, 2017 के माध्यम से) को बढ़ावा देने के लिए ईएनएएम 2.0 के पोर्टल के रूप में ईएनएएम 1.0 और पीओपी ऐप का अनावरण करके ईएनएएम 3.0- आधारित मॉड्यूल. हालाँकि, एपीएमसी की शेष संख्या को एकीकृत करके इसे कृषि व्यापार में अभी भी काफी बढ़त हासिल करनी है। केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि कृषि-मूल्य श्रृंखला के सभी भागीदार एक छत के नीचे आएं और eNAM-PoP के माध्यम से उत्पादों और सेवाओं के पैकेज का लाभ उठाएं। हालाँकि, कृषि की राजनीतिक अर्थव्यवस्था, खाद्य प्रणालियों के व्यापारीकरण आदि के कारण कुछ मुद्दे उभरे हैं जो बहस और चर्चा की मांग करते हैं। अहम् सवाल हैं कि क्या eNAM POP किसानों और कृषि-खाद्य मूल्य श्रृंखला के विविध हितधारकों को क्या प्रदान कर सकता है, और क्या ये सेवाएं लागत प्रभावी हैं? क्या तकनीकी में आया नवाचार खेती के बाजार को किसी एकीकृत भौतिक संरचना में बदल सकता है, और बाजार को वैश्विक मूल्य श्रृंखला (जीवीसी) के साथ एकीकृत कर सकता है? क्या सरकार eNAM-PoP सेवाओं की पहुंच और उपयोग की प्रकृति वाकई प्रोत्साहित कर सकती है?

सबसे पहले, eNAM-PoP को कृषि बाजार सूचना प्रणाली के साथ गतिशील, इंटरैक्टिव और रणनीतिक रूप से फिट होना चाहिए। किसानों को नए बाजारों तक पहुंचने, कई वस्तुओं की कीमतों की तुलना करने और मोबाइल ऐप के माध्यम से व्यापारियों और थोक खरीदारों को जाँची-परखी, प्रमाणित उपज बेचने में सक्षम बना सकता है। किसान अपने इलाकों के गोदामों में पहुंच कर सूचीबद्ध सेवा प्रदाताओं से संपर्क कर सकते हैं और ऐसी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। राज्यों के किसान कल्याण मंत्रालय, छोटे किसानों के समूह बनाकर नई रणनीति बनाई जा सकती है. यह समय ही बताएगा कि खेती से जुड़े किसान और व्यापारियों के हित में नई राज्य सरकारें किस तरह निर्णय लेती हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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