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एब्सोल्यूट इनेरा ने जैव-कुशल कृषि आदानों की नई श्रृंखला शुरू की

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  • नई दिल्ली (कृषक जगत)

8 मई 2023,  एब्सोल्यूट इनेरा ने जैव-कुशल कृषि आदानों की नई श्रृंखला शुरू की – एब्सोल्यूट इनेरा  बायोसाइंस कंपनी ने शत प्रतिशत जैव-संगत जैविक कृषि इनपुट व्यवसाय इनेरा क्रॉप साइंसेज लॉन्च किया है, जो कि इनेरा एब्सोल्यूट की अनुसंधान एवं विकास शाखा जेनेसिस द्वारा समर्थित  हैं,  जिसमें 150 से अधिक प्रमुख वैज्ञानिक शामिल हैं, जिनमें से कई इजऱाइल, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और अफ्रीका से हैं। कंपनी ने भारत में निर्मित बायोफर्टिलाइजर्स, बायोस्टिमुलेंट्स, बायोकंट्रोल और सीड कोटिंग उत्पादों की एक फसल-अज्ञेय रेंज लॉन्च की है। मुख्य रूप से, इनेरा के जैविक इनपुट उत्पादकों को मिट्टी की गुणवत्ता, पौधे प्रतिरोध, रोग प्रतिरोध, कीट संरक्षण और सुधार में  अनुकूल उपाय प्रदान करते हैं।इनेरा का लक्ष्य दुनिया की 20 प्रतिशत आबादी की जरूरतों को पूरा करना है और विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के तहत उत्पादन और समग्र फसल स्वास्थ्य को बढ़ाना है। कंपनी के उत्पाद आणविक जीव विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, एपिजेनेटिक्स, -ओमिक्स और सिंथेटिक जीव विज्ञान में व्यापक शोध द्वारा समर्थित हैं। इन्फ्रा उत्पादों को सिग्नल ट्रिगर रीजेनरेटिव एक्टिवेशन कॉम्प्लेक्स तंत्रज्ञान का उपयोग करके जैविक एजेंट को संरक्षित करने के लिए तैयार किया गया है, इसलिए उनकी सक्रियता पर्यावरण में प्राकृतिक संकेतों की शुरुआत में चुनिंदा रूप से शुरू होती है, उनके शेल्फ-लाइफ का विस्तार करती है और प्रदर्शन में काफी सुधार करती है।

लॉन्च पर एब्सोल्यूट इनेरा क्रॉपसाइंस के सीईओ और संस्थापक, श्री अगम खरे कहते हैं,  ‘कृषि में वास्तविक सफलता केवल इस बात की अनूठी समझ से आ सकती है कि प्रकृति और फसल जिस तरह से व्यवहार करते हैं, उनकी पसंद और वरीयताओं को समझ कर, और फिर उस विज्ञान को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनतम के साथ जोडक़र स्थायी उत्पादों और सेवाओं का निर्माण किया जो बड़े पैमाने पर प्रभाव डालते हैं। इनेरा असाधारण फसल स्वास्थ्य और सुरक्षा उत्पादों को लाने के लिए प्रतिबद्ध है जो किसानों की लाभप्रदता, पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु लचीलापन में सुधार करते हैं।’ जबकि एब्सोल्यूट इनेरा क्रॉपसाइंस के सीओओ और सह-संस्थापक प्रतीक रावत कहते हैं, ‘इनेरा ने दुनिया भर में कृषि के लिए स्थायी जैविक इनपुट्स की एक मजबूत रेंज बनाने में निवेश किया है। आधुनिक कृषि के गतिशील परिदृश्य के साथ, उत्पादकों को ऐसे इनपुट की आवश्यकता होती है, जो उनके उपयोग और सहनशीलता में व्यापक हों। संसाधनों के उपयोग और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य के संदर्भ में स्थिरता, हम जो कुछ भी करते हैं उसमें निहित है।’

उल्लेखनीय  है कि 2015 में  स्थापित  एब्सोल्यूट ने अनुसंधान और विकास में 12 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेगा। कंपनी की करनाल (हरियाणा) में 5 मिलियन वर्ग फीट में उत्पाद विकास और परीक्षण के लिए विश्व स्तरीय अनुसंधान  का संचालन करती है। इंदौर, त्रिची, धमदा,और दिल्ली  के पास और अधिक स्थान हैं। 

जेनेसिस इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में मुख्यालय  वाली अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं के साथ  फसलें, अनाज, फल, नकदी फसलें, सब्जियां, दालें आदि का अनुसंधान शामिल हैं। एब्सोल्यूट पुणे में विस्तार कर अपनी अनुसंधान क्षमताओं को और मजबूत कर रहा है।

 

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