किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

तरबूज-पपीता फसलों ने बढ़ाया रुपया और रुतबा

  • (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर)

3 अप्रैल 2023,  तरबूज-पपीता फसलों ने बढ़ाया रुपया और रुतबा – 15 साल की कच्ची उम्र में पिता और 20 साल की आयु में काका को खोने वाले अमलाथा तहसील कसरावद जिला खरगोन के युवा उन्नत कृषक श्री मनीष पाल (23) अन्य लोगों के लिए मिसाल हैं, जिन्होंने स्वजनों के जाने के बाद भी अपना मनोबल मजबूत रखा और मेहनत के बल पर छोटी सी उम्र में उद्यानिकी फसलों में वो मुकाम हासिल कर लिया है,जो प्राय: कम लोग ही कर पाते हैं। उद्यानिकी फसलों में तरबूज-पपीता के भरपूर उत्पादन ने पाल परिवार का रूपयों के साथ ही रूतबा भी बढ़ाया है। 

श्री मनीष पिता स्व. श्री अजय पाल ने कृषक जगत को बताया कि हमारा संयुक्त परिवार है। 15 साल की उम्र में 2016 में पिता का साया उठने के बाद काका श्री विजय पाल ने घर और खेत की जिम्मेदारी संभाल ली। मैं इंदौर में पीएटी की तैयारी कर रहा था। इस बीच कोरोना के कारण लगे लॉक डाउन में घर आना पड़ा। 2021 में अचानक काका भी चल बसे। 6 बहनों सहित पूरे परिवार की जिम्मेदारी मुझ इकलौते भाई पर आ गई। तब से काका के मित्र और कृषि व्यवसायी श्री नन्द कुमार जाधव कृषि कार्य में सहयोग और मार्गदर्शन देते रहते हैं।

श्री मनीष ने बताया कि 42 एकड़ जमीन में उद्यानिकी फसल ही लेते हैं। अप्रैल 2022 में पपीता के 7500 पौधे लगाए थे, जिसमें से 2700  किस्म सिलेक्शन-15 और 4800 पौधे ताइवान किस्म के थे। इनकी कतार से कतार की दूरी 9 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 5 फीट रखी गई थी। इनमें से ताइवान के 500 पौधे वायरस से ग्रसित हो गए, लेकिन सिलेक्शन-15 में कोई वायरस नहीं लगा। कटाई के बाद प्रति पौधा 35-40  किलो पपीता का उत्पादन मिला। कुल 14 लाख रुपए के पपीते बेचे गए थे। गत वर्ष साढ़े सात एकड़ में तरबूज की सागर किंग और बाहुबली किस्म लगाई थी। जिसका करीब 300 क्विंटल /एकड़ उत्पादन मिला। औसत 10 रु/किलो की दर से स्थानीय व्यापारियों को बेचा। 22 लाख के तरबूज बेचे गए। इस साल भी  5 एकड़ में 2 जनवरी को  सागर किंग और 28 जनवरी को बाहुबली तरबूज लगाया है। कटाई अप्रैल में आएगी। इस साल भी तरबूज का अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है। इसके अलावा एक अन्य खेत में 11 एकड़ में केले की जैन जी-9 किस्म के 1100 और कैडिला किस्म के 6500 पौधे जुलाई 2022 में लगाए हैं। फसल अच्छी है। फ्लावरिंग दो माह बाद आएगी। इसके पूर्व जनवरी 2021 में साढ़े 5 एकड़ में लगाई केला फसल का उत्पादन 17 टन मिला था। मेहनत के बल पर उद्यानिकी फसलों से रूपया और रूतबा  बढ़ाने का यह प्रयास अन्य किसानों के लिए प्रेरणादायक है।

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