किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

रतलाम के लक्ष्मीनारायण के घर अंगूर स्ट्रॉबेरी से बरसती है लक्ष्मी

(विशेष प्रतिनिधि )

25 जून 2022, इंदौर । रतलाम के लक्ष्मीनारायण के घर अंगूर स्ट्रॉबेरी से बरसती है लक्ष्मी इसे विधि का विधान ही कहेंगे कि ‘विधि ‘की उपाधि प्राप्त ग्राम तितरी जिला रतलाम के उन्नत कृषक श्री लक्ष्मीनारायण (68 ) पिता स्वर्गीय केशवलाल पाटीदार ने वकालत को छोड़कर 35 साल पहले अंगूर की खेती शुरू की। समय के साथ उन्होंने खुद को प्रोन्नत किया। विदेश जाकर प्रशिक्षण लिया और नई विधियां अपनाई । बाद में उन्होंने स्ट्राबेरी, अनार और एप्पल बेर की भी खेती शुरू की । फलों की इस खेती से उन्हें दौलत और शोहरत दोनों मिली।उन्हें  जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार मिले हैं ।  गत दिनों विदेशी  एजेंसी द्वारा उनके कृषि कार्यों का मूल्यांकन करते हुए उनका नाम नोबल बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज़ किया गया है ,जो वस्तुतः  उनकी उद्यानिकी कृषि के प्रति कर्मठता , समर्पण और सतत सक्रियता का सम्मान है, जिसके वे हक़दार हैं। इससे उनके कृषि कार्यों को मान्यता मिली है। इसका लाभ निश्चित ही कृषक वर्ग और समाज को मिलेगा।
 
उन्नत तकनीक के लिए विदेश में प्रशिक्षण – श्री पाटीदार ने कृषक जगत को बताया कि 1985 में वकालत शुरू की। लेकिन दो साल बाद पिताजी ने खेती पर ही ध्यान देने को कहा, तो कुछ अनूठा करने की सोची और परम्परागत खेती को छोड़कर 20 एकड़ में अंगूर की खेती शुरू की। जिसके पौधे महाराष्ट्र से लाए गए । समय के साथ इसमें स्ट्राबेरी ,अनार और एप्पल बेर को भी शामिल किया,जिन्हें तितरी जैसे छोटे गांव में मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में उगाना और उत्पादन लेना बड़ी चुनौती थी, लेकिन उन्होंने विकलांगता के बावज़ूद हार नहीं मानी और अंततः सफलता हासिल की। श्री पाटीदार ने 1998 में निजी खर्च से इजराइल और मिस्र की यात्रा की और वहां फलों की उन्नत तकनीक का 15 दिनों का प्रशिक्षण लिया जिसे तितरी में लागू किया । वहां Y आकार में अंगूर की बेलों का ढांचा बनता है , जिससे प्रकाश संश्लेषण अच्छा होने से फल मीठे और वजनदार होते हैं। पत्तियां भी पीली नहीं पड़ती है। 2014 में मध्यप्रदेश शासन के खर्च पर नीदरलैंड और हालैंड की यात्रा पर भी गए , ताकि वहां की तकनीक का लाभ प्रदेश के किसानों को भी मिल सके।15 दिवसीय इस यात्रा में बागवानी में अवांछित सिंचाई और दवाई /खाद के अति छिड़काव को नियंत्रित करने की तकनीक सीखी। यही नहीं कृषक जगत के नेतृत्व में किसान समूह की सन 2018  में की गई इजराइल यात्रा में उन्होंने अपने भाई श्री समरथ पाटीदार और भतीजे  श्री कैलाश पाटीदार को भेजा , ताकि युवा पीढ़ी भी आधुनिक  कृषि तकनीकों को स्वयं देखें, समझें और प्रयोग में ला सकें।

फलों की महानगरों में बिक्री – श्री पाटीदार ने बताया कि फ़िलहाल संयुक्त परिवार की 300 बीघा ज़मीन में बागवानी की जा रही है। 80 बीघा में अंगूर,40 बीघा में अनार, 40 बीघा में स्ट्राबेरी और 8 बीघा में एप्पल बेर की खेती की जाती है। स्ट्राबेरी चार माह की फसल है, जिसे सितंबर में लगाया जाता है और सर्दियों में उत्पादन आ जाता है। इसके लिए हर साल अमेरिका से 18 हज़ार पौधे  मंगाए जाते हैं। ड्रिप इरिगेशन में भी विदेश से आयातित खाद का इस्तेमाल किया जाता है। यह खाद शक्तिशाली होता है इसलिए इसकी मात्रा कम लगती है। गोबर का खाद ज़्यादा मात्रा में प्रयोग किया जाता है। अंगूर का उत्पादन 12 टन /एकड़ और स्ट्राबेरी से हर मौसम में 3 लाख रु /एकड़ का मुनाफा मिल जाता है। अनार और एप्पल बेर भी अच्छी कमाई देते हैं। अंगूर एवं अन्य फसल को स्थानीय स्तर पर नहीं बेचा जाता है, बल्कि दिल्ली और देश के बड़े महानगरों में भेजा जाता है। वहां गुणवत्ता के हिसाब से अच्छी कीमत मिल जाती है। सम्पर्क नंबर -9977128972  

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