राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

चित्रा पिंक राजमा ने दूर की बलवंत की चिंता

01 मार्च 2025, इंदौर: चित्रा पिंक राजमा ने दूर की बलवंत की चिंता – किसानों को यदि फसल में नुकसान हो जाए तो उनकी देनदारियों एवं घरेलू खर्चों की चिंताएं बढ़ जाती हैं। ऐसा ही कुछ ग्राम खल तहसील खातेगांव जिला देवास के किसान श्री बलवंत गुर्जर के साथ भी हुआ। डॉलर चने की खेती में लगातार हो रहे नुकसान को देखते हुए उन्होंने फसल बदलने का सोचा और राजमा की थाईलैंड  चित्रा पिंक किस्म लगाई। इससे न केवल उत्पादन अच्छा मिला, बल्कि इंदौर मंडी में इन्हें अपनी राजमा उपज का 10 हज़ार रु /क्विंटल से भी अधिक का दाम मिला। चित्रा पिंक राजमा ने श्री गुर्जर की सभी चिंताएं दूर कर दीं।

श्री बलवंत गुर्जर

श्री बलवंत गुर्जर ने कृषक जगत को बताया कि पहले डॉलर चने की खेती करते थे, जिसमें फसल खराब होने का डर बना रहता था और उपज का सही दाम भी नहीं मिल पा रहा था। इसलिए अन्य किसानों से प्रेरणा लेकर फसल बदलने का सोचा और प्रयोग के तौर पर इजराइल लाल राजमा किस्म का एक किलो बीज लगाया, जिसका 9 किलो का ही उत्पादन मिला, जो बहुत कम था। इसके बाद अक्टूबर 2024 में 7 एकड़ में राजमा की थाईलैंड  चित्रा पिंक किस्म लगाई। इसका बीज इंदौर से 165 रु /किलो की दर से खरीदा। 90 -100  दिन में पकने वाली इस राजमा फसल पर पीला मोजेक और इल्लियों के नियंत्रण के लिए 4 -5 बार दवाइयों का छिड़काव करना पड़ा। चित्रा पिंक राजमा का कुल 60 क्विंटल उत्पादन हुआ , जो औसत 8 क्विंटल  / एकड़ के करीब रहा । हाल ही में इंदौर की छावनी मंडी में इनकी राजमा 10, 201 रु / क्विंटल के दाम पर बिकी। राजमा का अच्छा उत्पादन और कीमत पाकर किसान खुश हैं।

 उल्लेखनीय है कि दलहन प्रजाति की राजमा मूलतः चीन, ब्राजील और इजरायल की फसल है, जिसे आयात किया जाता है। देश में दक्षिण भारत और दिल्ली में राजमा का उपयोग अधिक किया जाता है।  महाराष्ट्र के सतारा व अन्य जिलों में  चित्रा पिंक राजमा की पैदावार होती है, जबकि मप्र के हरदा ,खातेगांव और नसरुल्लागंज की ओर लाल और सफेद राजमा की फसल ली जाती है ,लेकिन आपूर्ति की तुलना में राजमा का उत्पादन कम होता है। यही कारण है कि राजमा के उत्पादक किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है, जो उनकी आय बढ़ाने में सहायक होती है।  

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