Editorial (संपादकीय)

खेती की जरूरत मिट्टी परीक्षण

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29 अप्रैल 2023, भोपाल खेती की जरूरत मिट्टी परीक्षण – जिस प्रकार हर व्यक्ति को समय-समय पर अपने शरीर, अपने स्वास्थ्य का परीक्षण करके औषधियों का सेवन जरूरी होता है ठीक उसी प्रकार मिट्टी का परीक्षण वर्ष में एक बार कराना अत्यंत जरूरी है। ताकि मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धि का जायजा मिल सके और जरूरत के मुताबिक रसायनिक उर्वरकों की पूर्ति करके खाद्यान्नों का उपार्जन किया जा सके। पिछले कुछ दशकों से भूमि पर फसलों का बोझ बढ़ता जा रहा क्योंकि हमारे भोजन की मांग आबादी के विस्तार के कारण बढ़ गई है और मजबूरन हमें एक-दो नहीं बल्कि वर्ष में तीन-तीन फसलों को पैदा करना जरूरी हो गया है। भूमि में प्राकृतिक रूप से पौधों को लगने वाले सभी पोषक तत्वों का खजाना मौजूद है परंतु किसी ने सच ही कहा है कि यदि कुएं में झिर नहीं हो तो कुआं सूख जाएगा मतलब भूमि में मौजूद पोषक तत्वों का भंडार यदि केवल अवशोषित ही करता रहा जाये और उनकी अलग से पूर्ति ना की गई हो तो भूमि का खजाना खाली हो जायेगा जिसका असर सीधा-सीधा प्रति इकाई उत्पादकता पर होगा। बैंक में पैसा जमा जितना होगा उतना ही चैक काटना होगा। अन्यथा चैक खाली लौट आयेगा वर्तमान में चैक लौटने पर सजा का भी प्रावधान है। तो हमें सजग रहना होगा कि भूमि से कितना पोषक तत्वों का अवशोषण पिछली फसलों के द्वारा किया जा चुका है। और अब क्या स्थिति है कितनी मात्रा ऊपर से अब देनी होगी ताकि प्रति इकाई उत्पादकता नहीं घट पाये।

उल्लेखनीय है कि प्रमुख फसल गेहूं के एक टन के उत्पादन पर भूमि से 27.2 किलो नत्रजन, 10.1 किलो स्फुर तथा 34 किलो पोटाश का अवशोषण  हो जाता है। चावल भी 20.4 किलो नत्रजन 13.1 किलो स्फुर तथा 26.0 किलो पोटाश भूमि से  खींच लेता है दलहनी तथा तिलहनी फसल जैसे चना, मूंग, उड़द, अरहर, मूंगफली, सोयाबीन, अलसी इत्यादि भूमि से भारी मात्रा में तीनों प्रमुख तत्वों का अवशोषण करते हंै। जिसमें दलहनी फसलों द्वारा वायुमंडल से हवा द्वारा नत्रजन का जमाव गांठों में करके बहुत कुछ भूमि में छोड़ा भी जाता है तिलहनी फसलों में स्फुर की जरूरत अधिक होती है इस तरह यदि खरीफ में जो भी फसल ली जाये उसी को आधार मानकर रसायनिक उर्वरकों की मात्रा कितनी दी जाये यह मानकर ही उर्वरकों को दिया जाये। वर्तमान की खेती में विपुल उत्पादन देने वाली छोटे कद की जातियां जिनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति अधिक होती है उपलब्ध है। परंतु उनकी खाद तथा पानी की जरूरत भी सामान्य फसलों की तुलना में अधिक होती है। बांध वाले क्षेत्रों में इफरात पानी नहरों में उपलब्ध होता है। क्रांतिक अवस्थाओं की जांचें बिना मिट्टी परीक्षण कराये अंधाधुंध उर्वरकों के उपयोग से भूमि के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी है। क्षारीयता, लवणीयता आने लगी है। इस कारण जरूरी है अपनी भूमि की मिट्टी की जांच करवाते रहें। उर्वरकों के असंतुलित उपयोग आज भी आपेक्षित हैं। यूरिया आधारित खेती आज भी कायम है। फसल बचाने के लिये क्षति सीमा के भीतर ही कीटों की रोकथाम के लिये रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग इन सबसे भूमि जहरीली बनती जा रही है। जिस प्रकार हमें भोजन में दाल-चावल, सब्जी, सलाद, रोटी जरूरी है ठीक उसी प्रकार से भूमि को भी संतुलित आहार की जरूरत है जिसे जानना, पहचानना तथा मानना आज की प्रमुख जरूरत है वर्तमान का समय मिट्टी परीक्षण कराने के लिये उपयुक्त है। नमूने निकालें और शासन द्वारा प्राय: हर जिले में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला है उनका लाभ उठायें। आधुनिक खेती का मतलब नये-नये बीजों के उपयोग भर से पूरा नहीं हो सकता इसके अलावा भूमि की दशा और दिशा पर भी ध्यान देना अधिक महत्वपूर्ण है।

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