श्री अन्न योजना से मिलेगी आर्थिक और स्वास्थ्य सुरक्षा
- मधुकर पवार
27 फरवरी 2023, भोपाल । श्री अन्न योजना से मिलेगी आर्थिक और स्वास्थ्य सुरक्षा – केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2023-24 के आम बजट में ‘श्रीअन्न’ योजना की घोषणा की है। श्रीअन्न (मोटे अनाज) योजना न सिर्फ उत्पादक किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी बल्कि आम नागरिकों के स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रखेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार भारत को श्रीअन्न का हब बनाने जा रही है। मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे मोटे अनाज का निर्यात भी बढ़ेगा जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है। जिससे भारत सहित समूचे विश्व में मोटे अनाजों को लेकर जन जागरूकता तेजी से फैल रही है। हालांकि भारत सहित कुछ देशों में मोटे अनाजों का पहले से ही उपयोग किया जाता रहा है लेकिन कृषि में नए-नए अनुसंधान और खाद्य पदार्थों के प्रति रुचि में आए परिवर्तन से मोटे अनाजों की लोकप्रियता में कमी आ गई थी। लेकिन जब से संयुक्त राष्ट्र संघ ने मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है, इसके प्रति जन जागरूकता बढ़ रही है और आने वाले समय में निश्चित ही वैश्विक स्तर पर मोटे अनाजों के खाद्य पदार्थ लोकप्रियता के शिखर को अवश्य छुएंगे।
पोषक तत्व भरपूर
जीवन शैली, दिनचर्या और खान-पान के कारण भारत सहित पूरे विश्व में मोटापा, मधुमेह, रक्तचाप, हृदय और पाचन संबंधी रोगों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत के संदर्भ में बात करें तो ये रोग अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी पैर पसारने लगे हैं। कुछ दशक पहले ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के रोगियों की संख्या नगण्य हुआ करती थी। इसका एक प्रमुख कारण मोटे अनाजों का भोजन में उपयोग करने के साथ नियमित दिनचर्या भी थी। मोटे अनाजों में प्रोटीन, कैल्शियम व अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जिसके कारण अनेक बीमारियों से बचाव होता है।
मोटे अनाज को बढ़ावा देने के प्रयास
भारत के लिए वर्ष 2023 बेहद महत्वपूर्ण है विशेषकर मोटे अनाजों को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने के साथ ही निर्यात को बढ़ावा देकर किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए। जी- 20 देशों की इस वर्ष 2023 की अध्यक्षता का दायित्व भारत निभा रहा है। इन देशों की विभिन्न शहरों में नियमित बैठकें आयोजित हो रही हैं जिनमें मोटे अनाज से बने व्यंजन भी परोसे जा रहे हैं। पिछले दिनों ही इंदौर में आयोजित प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट तथा भोपाल में जी-20 देशों की बैठक में भी मोटे अनाज से बने व्यंजनों का प्रतिभागियों ने लुत्फ उठाया। वर्ष भर होने वाले विभिन्न शासकीय आयोजनों में मोटे अनाज के व्यंजनों का बोलबाला रहेगा। केंद्र सरकार भी मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है।
2000 करोड़ रुपए का प्रावधान
आम बजट में श्रीअन्न योजना के कार्यान्वयन के लिए 2000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री ने हैदराबाद स्थित भारतीय बाजरा अनुसंधान केंद्र को उत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित करने का ऐलान किया है। भारत सरकार देश को श्रीअन्न का हब बनाने की दिशा में व्यापक तैयारी कर रही है। इसमें भारतीय बाजरा अनुसंधान केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस केंद्र में मोटे अनाजों की उन्नत किस्मों के साथ उत्पादन बढ़ाने के लिए भी अनुसंधान कार्य किए जा रहे हैं। इस केंद्र से देश के राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित 14 राज्यों को तकनीकी सहायता मिल रही है। सरकार ने इंटरनेशनल मिलेट इंस्टीट्यूट स्थापित करने की भी घोषणा की है। इससे आदिवासी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में विशेष फायदा होने की संभावना है। मोटे अनाजों की खेती के लिए अत्यधिक उपजाऊ जमीन की आवश्यकता नहीं होती और पानी की भी कम जरूरत होती है। मोटे अनाज खरीफ की फसल है इसलिए कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इनकी खेती आसानी से की जा सकती है।
भारत दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश
भारत विश्व में मोटे अनाज का अफ्रीका के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। भारत से अमेरिका, लीबिया, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, सऊदी अरब, ओमान, यमन, इंग्लैंड आदि देशों को मोटे अनाज का निर्यात किया जाता है। भारत में हरित क्रांति के बाद गेहूं और चावल भोजन का प्रमुख हिस्सा बन गए हैं जिससे परंपरागत रूप से उपयोग में किए जाने वाले मोटे अनाजों बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो, कुटकी, कंगनी, सांवा आदि भोजन की थाली से लगभग गायब हो गए। इस कारण मोटे अनाज का रकबा भी कम होता गया। सरकार भी मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ भोजन में उपयोग करने के लिए प्रयास कर रही है। संचार माध्यमों की पंहुच अब देश के प्राय: सभी लोगों तक हो गई है। मोबाइल नेटवर्क भी देश के सुदूर इलाकों तक पहुंच गया है। इसके कारण सोशल मीडिया भी अब ग्रामीण और सुदूर इलाकों में उपयोग किया जाने लगा है। ऐसी स्थिति में श्रीअन्न योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार होने की उम्मीद है। शासकीय प्रयासों से भी जानकारी और जागरूकता बढ़ेगी। मोटे अनाज की खेती के लिए किसान प्रोत्साहित होते हैं तो उन्हें उनकी उपज का बेहतर मूल्य भी एक समस्या हो सकती है। बाजारों में इस समय इन उत्पादों की मांग तो है लेकिन मूल्य भी अधिक होने के कारण उपभोक्ता चाह कर भी मोटे अनाजों का उपयोग करने से हिचकिचाते हैं। पैदावार बढ़ेगी तो निश्चित ही मूल्यों में गिरावट आने की संभावना है। इसलिए सरकार मोटे अनाजों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करें तो निश्चित ही किसान मोटे अनाजों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। शासकीय कैंटीन और होटलों के साथ सभी शासकीय आयोजनों में अनिवार्य रूप से मोटे अनाजों को जलपान और भोजन में शामिल करने के लिए आदेश जारी करना चाहिए। रेलवे, हवाई जहाज में भी मोटे अनाजों के भोज्य पदार्थ व अन्य सह उत्पाद परोसे जा सकते हैं। मोटे अनाजों के सह उत्पाद बनाने के लिए स्टार्टअप को भी प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इन प्रयासों से एक ओर जहां किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी वहीं दूसरी ओर किसानों के साथ देश के नागरिकों की सेहत भी अच्छी होगी।
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