Editorial (संपादकीय)

सांसद आदर्श ग्राम योजना- कितने बने आदर्श ग्राम

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2014 को श्री जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन पर देश के गांवों का कायाकल्प करने के उद्देश्य से ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ का शुभारंभ किया था। इस योजना में गांवों को आदर्श बनाने का जिम्मा 543 लोकसभा तथा 245 राज्यसभा के सांसद सदस्यों को सौंपा गया था। इस योजना में सांसद सदस्यों की कोई रूचि नहीं दिखाई देती है। यह स्थिति तब है जब सांसद सदस्य के उसी के लोकसभा क्षेत्र से गांव का चयन करना था। प्रथम फेज में तो 500 लोकसभा सदस्यों तथा 203 राज्यसभा सदस्यों ने गांव का चयन तो कर लिया था। 43 लोकसभा सांसद व 42 राज्यसभा सांसद तो ग्राम का चयन ही नहीं कर पाये। परंतु द्वितीय फेज में 234 लोकसभा सदस्य व 136 राज्य सभा सदस्य गांव का चयन ही नहीं कर पाये। चयनित ग्राम को आदर्श बनाने में अपना योगदान देने में सांसद सदस्य समर्थ नहीं हो पाये। इने – गिने सक्रिय सांसद अपवाद हो सकते हैं परंतु उनका प्रचार -प्रसार भी नहीं हो पाया जिससे दूसरे सांसद भी प्रेरित ही हो सकते थे। सांसद आदर्श ग्राम योजना का तीसरा फेज 2017 में आरंभ हो गया। योजना के प्रति सांसद सदस्यों की अरूचि तथा ग्रामवासियों के प्रति उनकी उदासीनता इस बात से लगाई जा सकती है कि तीसरे फेज में मात्र 68 लोकसभा सदस्यों ने समय पर गांवों का चयन कर पाये। राज्यसभा सदस्य तो गांव चयन में और अधिक उदासीन रहे। कुल 245 राज्यसभा सदस्यों में से मात्र 13 ने समय पर अपने तीसरे फेज के गांवों का चयन किया। सांसद सदस्यों की गांव चयन में ही यह संख्या ग्रामीण विकास तथा ग्रामीण जनता की उन्नति के प्रति उनकी मानसिकता को दर्शाता है। इस योजना का प्रथम चरण वर्ष 2016 में समाप्त हो गया था। योजना की परिकल्पना अनुसार देश के 788 ग्रामों को आदर्श ग्रामों के रूप में विकसित हो जाना था। परंतु सांसदों द्वारा चयनित गांवों को आदर्श गांव में परिवर्तित करने में हम असफल रहे हैं, जो एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। यदि सांसद यह सोचते हैं कि उन्होंने चयनित ग्राम को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित किया है तो वह उनका भ्रम होगा और ऐसे गांवों का भविष्य में आधारभूत सुविधायें जुटाने का अब मौका मिलने की कम ही सम्भावनायें हैं। सांसद आदर्श ग्राम योजना की समीक्षा समिति को प्रथम फेज में चयनित गांवों की समीक्षा रपट 15 गांवों का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा है जिसमें छत्तीसगढ़ में श्री मोतीलाल वोरा द्वारा चयनित गांव भी सम्मिलित है। इन 15 गांवों पर संदेश देने वाली फिल्म सांसदों को कुछ प्रेरित कर पायेगी, ऐसी आशा है।

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