टमाटर की उन्नत उत्पादन तकनीकी
भूमि-
टमाटर की खेती के लिए जल निकास वाली तथा पोषक तत्व युक्त दोमट या बलुई दोमट उपयुक्त रहती है।
उन्नत किस्में-
पूसा रूबी, पूसा-120, पूसा शीतल, अर्का सौरभ, अर्का अनन्या, अर्का आभा, काशी अमृत।
संकर किस्में-
पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाइब्रिड-4, पूसा हाइब्रिड-8, अविनाश-2, रश्मि, सोनाली।
इन किस्मों के अतिरिक्त कई अच्छी बीज उत्पादक कम्पनियों ने भी क्षेत्र के अनुसार अपनी किस्में विकसित की हैं। किसान कम्पनी की गुणवत्ता के अनुसार बीज खरीद सकता है।
बीज की मात्रा-
उन्नत किस्म हेतु- 350-400 ग्राम बीज प्रति हक्टेयर तथा संकर किस्मों हेतु 150-200 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है।
बुवाई समय – | ||
मौसम | नर्सरी बुवाई | रोपाई समय |
सर्द मौसम | जुलाई-सितम्बर | अगस्त-अक्टूबर |
बसन्त ग्रीष्म | नवम्बर-दिसम्बर | दिसम्बर-जनवरी |
नर्सरी तैयार करना-
नर्सरी क्यारी एक मीटर चौड़ी, 5 मीटर लम्बी तथा 15 सेमी ऊंची क्यारियाँ बनायें। क्यारियाँ बनाने से पहले मिट्टी को भुरभुरी बनाकर गोबर की सड़ी खाद 10-15 किग्रा तथा मिट्टी उपचार हेतु 100 ग्राम फोरेट मिलायें। बीजों को कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित कर बीजों को 5 सेमी की दूरी पर लाईनों में लगायें। बीज बोने के बाद क्यारी को पुआल या सरकंडा आदि की पलवार से ढंक देते हैं। इससे नमी संरक्षित रहती है, तथा अंकुरण जल्दी हो जाता है। अंकुरण के बाद पलवार हटा देते हैं। कीट व्याधि से पौधों को बचाने हेतु इमिडाक्लोप्रिड 1 मिली/3 लीटर पानी तथा 2 ग्राम मैन्कोजेब या कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव करें।
नर्सरी में 40 मैश नेट का उपयोग-
पत्ती मोड़क (लीफ कर्ल) वायरस से पौधों को बचाने हेतु बीज बुवाई के पश्चात क्यारी को 40 मैश की जालीदार नाइलोन नेट से ढंक देते हैं इसके लिए क्यारी के चारों तरफ एक फुट ऊंची लकड़ी गाड़ कर नेट लगा देते हैं।
खेत की तैयारी-
मिट्टी की जुताई तथा पाटा लगाकर भुरभुरी व ढेले रहित बना लेें। खेत की तैयारी के समय उपयुक्त मात्रा में गोबर खाद तथा उर्वरक मिश्रण मिलायें।
खाद एवं उर्वरक-
खाद एवं उर्वरक की मात्रा का निर्धारण मिट्टी परीक्षण के द्वारा किया जा सकता है। टमाटर की फसल हेतु निम्न खाद एवं उर्वरकों की आवश्यकता रहती है।
गोबर खाद, फॉस्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा रोपाई से पहले खेत में दें तथा नत्रजन की शेष मात्रा 30 दिन वाद व 50 दिन बाद दो भागों में दें। सूक्ष्म पोषक तत्वों में बोरोन व जिंक की कमी पाये जाने पर इनका उपयोग करें। जिंक हेतु जिंक सल्फेट 25 किग्रा/हेक्टेयर का उपयोग करें।
खाद एवं उर्वरक | उन्नत किस्म हेतु किलो/हेक्टेयर | संकर किस्म हेतु किलो/हेक्टेयर |
गोबर की सड़ी खाद या कम्पोस्ट | 20-25 टन | 25-35 टन |
यूरिया | 260 किग्रा | 300 |
सिंगल सुपर फास्फेट | 375 किग्रा | 500 |
म्यूरेट ऑफ पोटाश | 100 किग्रा | 500 |
पौध रोपण –
साधारणतया टमाटर में पौध रोपण की दूरी लाईन से लाईन 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 45-60 से.मी. रखते हैं। पौधे लगाने हेतु समतल क्यारी या रेज्ड बेड विधि का प्रयोग किया जा सकता है। पौधों को नर्सरी से निकालने के बाद इनकी जड़ों को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/लीटर पानी के घोल में 10 मिनट डुबोकर पौध रोपण करें। यथासम्भव पौध रोपण का कार्य शाम के समय करें तथा रोपण के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
सिंचाई-
भूमि एवं मौसम की स्थिति को देखते हुए आवश्यकतानुसार 6-10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें।
निंदाई-गुड़ाई-
पौध लगाने के 20-25 दिन बाद प्रथम निंदाई-गुड़ाई करें तथा उसके बाद 2-3 वार निंदाई-गुड़ाई आवश्यकतानुसार करके खेत को खरपतवार रहित रखें।
पौधों को सहारा देना –
टमाटर की लम्बी बढऩे वाली किस्मों को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है। पौधों को सहारा देने से फल मिट्टी एवं पानी के सम्पर्क में नहीं आ पाते जिससे फल सडऩे की समस्या नहीं होती है। सहारा देने के लिए तार एव बांस की लकड़ी या अन्य लकड़ी का उपयोग किया जा सकता है। पौधों की कतारों के दोनों तरफ लकड़ी को जमीन में गाड़कर इस पर तार या सुतली बांधकर पौधों को बांधा जाता है। दूसरी विधि में एक मीटर लम्बी लकड़ी को पौधों के पास जमीन में गाड़कर पौधों को तीन-चार जगह पर सुतली से बांध देते हैं।
फलों की तुड़ाई –
फलों की तुड़ाई इनके उपयोग पर निर्भर करती है, यदि टमाटर को नजदीक के बाजार में बेचना हो तो फल पकने के बाद तुड़ाई करें। तथा यदि फलों को दूर बाजार में भेजना हो तो जैसे ही उनके रंग में परिवर्तन होना प्रारंभ हो तो तुड़ाई प्रारम्भ करें।
उपज –
टमाटर की औसत उपज 300-500 क्विंटल/हेक्टेयर होती है। तथा संकर टमाटर की उपज 600-800 क्विंटल/हेक्टेयर तक हो सकती है।
- डॉ. राकेश कुमार शर्मा
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