गेहूं बीज उत्पादन तकनीक
बीज एक वैज्ञानिक विधि द्वारा तैयार किया जाता है। सही ढंग से उपचारित, पैक, चिंहित एवं उचित ढेर प्रदर्शित करता है। वह अपनी जाति व गुणों के मानकों के अनुरूप होता है। अच्छे बीज रोग, कीट, खरपतवार व अन्य फसल के बीज व अन्य बाहरी पदार्थो से मुक्त रहता है। यह भौतिक व आनुवांशिक रूप से शुद्ध होता है। इसका अंकुरण प्रतिशत, नमी प्रतिशत मानकों के अनुरूप होती है। किसान भाई खराब गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग कर कृषि के अन्य कार्यो पर जैसे खाद, खरपतवारनाशी, कीट- रोग व्याधि नाशी रसायनों आदि पर खर्च करते हैं परंतु यदि किसान खराब बीज न बोकर शुद्ध बीज, अच्छी गुणवत्ता वाले बीज बोयें तो कृषि के अन्य खर्चों में कमी कर सकते हैं। आईये हम जाने कि अच्छा गेहूं बीज उत्पादन प्राप्त कैसेे करे।
बीज स्त्रोत:- आधार बीज तैयार करने के लिए प्रजनक या आधार बीज और प्रमाणित बीज उत्पादन के लिये आधार बीज किसी प्रमाणीकरण संस्था के मान्य स्त्रोत से प्राप्त किया जाता है। बोने से पूर्व बीज थैलों पर लगे लेबिल आदि से बीज की किस्म की शुद्धता की जांच कर लेनी चाहिये और लेबिल संभालकर रखना चाहिए।
पृथक्करण दूरी:- गेहंू एक स्व-परागित फसल हैं अत: गेहंू की सभी जातियों को आपस में अच्छे बीज उत्पादन हेतु 3 मीटर पृथक्करण दूरी अन्य जातियों से रखना चाहिए, लेकिन अनावृत कंड रोग से बचाव के लिये न्यूनतम पृथक्करण दूरी 150 मीटर रखी जाती हैं।
बीजोपचार:- 2.5-3 ग्राम थायरम दवा से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए। लूज स्मट की रोकथाम के लिए वीटावैक्स 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज उपचारित करना चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण:- खरपतवार वे अवान्छित पौधे होते हैं जो कि वहंा उगते हैं जहंा इनकी आवश्यकता नहीं होती है। खरपतवार आर्थिक दृष्टि से हानिकारक होते हैं जो फसलों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। इनके कारण उपज व गुणवत्ता प्रभावित होती है।
अवांछनीय पौधों को निकलना:- सभी भिन्न पौधों (दूसरी किस्मों, अन्य फसलों व खरपतवारों) व कंडुआग्रस्त पौधों को उनमे बाली निकलने के समय पहचानकर निकाल देना चाहिए। पौधों को जड़ सहित निकाला जाता है और कंडुआग्रस्त पौधों को बालियों पर पहले लिफाफा ढंककर लिफाफे के निचले हिस्से को मु_ी से बंद करने के बाद उखाडऩा चाहिये, जिससे उखाड़ते समय बीजाणु खेत में न गिरे। बाद में गड्डों में दबा या जला देना चाहिये। शेष बचे रहे पौधों को पकने के समय दोबारा निकाल देना चाहिए।
कटाई व गहाई:- बीज फसल की कटाई के समय बीज में नमी की मात्रा 15: से अधिक नहीं होना चाहिये। अत: कटाई से पूर्व नमी की मात्रा की जांच कर लेना चाहिये। बीज फसल की विभिन्न किस्मों की गहाई अलग खलिहान में करनी चाहिये, जिससे अपमिश्रण न होने पाये। गहाई, बीज में नमी की मात्रा 14 प्रतिशत से कम होने पर करनी चाहिये। गहाई से पूर्व गहाई यंत्र को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिये, जिससे उसमें पहले की गई किस्म के दाने न रह गये हों।
संसाधन व भण्डारण:- कटाई व गहाई के बाद बीज को अच्छी तरह सुखाकर साफ कर लेना चाहिये। बीज भरने में प्रयुक्त होने वाले बोरों को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिये। बीजों के विक्रय तथा बुवाई के समय तक उसकी अंकुरण क्षमता एवं गुणवत्ता को कायम रखना ही भण्डारण का उद्देश्य होता है। अनाज का उचित भण्डारण नही करने से कुल पैदावार का लगभग 10 से 12 प्रतिशत नुकसान कीड़े, चूहे व अन्य जीव जन्तु द्वारा होता है। फसल की कटाई के साथ ही इस व्यवस्था की शुरूआत होने लगती है। भण्डारण के लिए गेहंू बीज में नमी की मात्रा (अधिकतम) 10.12: होनी चाहिए। बीज भण्डारण के लिये गोदाम ऊँचे स्थान पर होना चाहिये, जिसका फर्श कंकरीट का बना हो, दीवारों में दरारे न हो व नमी से सुरक्षित व स्वच्छ होना चाहिये। बोरों को लकड़ी के ल_ों पर अलग-अलग रखना चाहिये, जिससे एक ढेर से दूसरे ढेर की दूरी कम से कम आधा मीटर हो। इसके बाद 15-15 दिन के अंतराल पर गोदाम का निरीक्षण करते रहना चाहिये।