संपादकीय (Editorial)

किसानों ने समझी अपनी सरकार

किसानों ने समझी अपनी सरकार

शिवराज के 100 दिन

07 जुलाई 2020, भोपाल। किसानों ने समझी अपनी सरकार – मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद का चौथी बार 23 मार्च, 2020 को कार्यभार संभाला। उनके लंबे प्रशासनिक और राजनैतिक अनुभव का लाभ मध्यप्रदेश को मिला है। वर्ष 2005 में पहली बार, 2008 में दूसरी बार, 2013 में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद वर्ष 2020 में जिन कोरोना काल की परिस्थितियों में श्री चौहान ने पदभार संभाला, वह किसी सरकार के लिए अनुकूल नहीं मानी जा सकतीं।

सदैव चुनौतियों के बीच पूरी ऊर्जा और कार्य क्षमता में वृद्धि कर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विद्यमान समस्याओं का सामना किया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान के सौ दिन के इस कार्यकाल के महत्वपूर्ण फैसलों की बात की जाये तो सबसे अहम कोरोना के संकट में विभिन्न तबकों को आर्थिक सहायता पहुँचाना है जिससे उनकी रोजमर्रा के जीवन की कठिनाईर्याँ दूर हो सकीं। मध्यप्रदेश के किसान, मजदूर, आदिवासी, विद्यार्थी और महिला वर्ग आज सरकार से मिली मदद के कारण कोरोना का दुख भूलकर चेहरे पर स्वाभाविक मुस्कान लाने में सफल हुए हैं।

किसानों का महानायक किसान पुत्र मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार शपथ लेते ही कोरोना की संकटकालीन परिस्थितियों के मुकाबले के साथ किसानों की सबसे पहले चिंता की। शपथ लेते ही मुख्यमंत्री ने समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी की प्रभावी तैयारियां की जिसके चलते प्रदेश में 15 अप्रैल से खरीदी प्रांरभ हुई। विपरीत परिस्थितियों में बेहतर तैयारियों और सतत मॉनिटरिंग से प्रदेश ने इस साल गेहूँ उपार्जन का ऑल टाईम रिकॉर्ड बनाया।

मध्यप्रदेश ने एतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए गेहूँ उपार्जन के मामले में देश के अग्रणी राज्य के रूप में नई पहचान स्थापित की है। मध्यप्रदेश के अन्नदाता किसानों ने मध्यप्रदेश को बनाया है। पंजाब जो परंपरागत रूप से गेहूँ उत्पादन और उपार्जन में देश में सबसे आगे होता था वो स्थान आज मध्यप्रदेश ने प्राप्त कर लिया है। इस वर्ष 129 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूँ उपार्जन कर मध्यप्रदेश ने एक नया इतिहास रचा है।

उपार्जित गेहूँ के भुगतान की भी सरकार ने सुनिश्चित व्यवस्था की। अभी तक लगभग 24 हजार करोड़ से अधिक की राशि किसानों के खातों में पहुँच चुकी है। कोरोना और लॉकडाउन के चलते इस वर्ष गेहूँ उपार्जन कर किसानों को प्राथमिकता के आधार पर राशि दी गई। जिसमें ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को गति मिली। गेहूँ उपार्जन की प्रकिया में छोटे-छोटे भूखंड पर खेती करने वाले लघु और सीमांत किसानों को सबसे पहले सीधे लाभान्वित करने में सफलता मिली।

पिछली सरकार ने खरीफ और रबी फसलों के लिए फसल बीमा प्रीमियम की राशि 2200 करोड़ रूपये का भुगतान बीमा कंपनियों को नहीं किया था। जिसके कारण किसानों को बीमा राशि नहीं मिल रही थी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बीमा राशि भुगतान करने का निर्णय लिया और इसके फलस्वरूप किसानों को 2900 करोड़ रूपये की बीमा राशि मिली। जीरो प्रतिशत ब्याज पर किसानों को ऋण देने की योजना फिर शुरू की गई। चना, मूंग, उड़द की भी सरकारी खरीदी की गई। चने में 2 प्रतिशत तक तिवड़ा होने पर भी चने की खरीदी की गई। मध्यप्रदेश में चना, मसूर, सरसों प्रतिदिन प्रति व्यक्ति उपार्जन सीमा 40 क्विंटल को समाप्त कर दिया गया, इससे किसानों को इन फसलों की पूरी उपज समर्थन मूल्य पर बेचने की सुविधा मिली।

अब नए दौर में मध्यप्रदेश के किसान

कोरोना महामारी के संकटकाल में मध्यप्रदेश में किसानों को एक ऐसी सौगात दी गई, जिसका वे लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। कोरोना संकट के दौर में किसानों को आर्थिक परेशानियों से बचाने के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ही झटके में मंडी अधिनियम में संशोधन करके किसानों को एक तरह से ग्लोबल मार्केटिंग से जोडऩे का करिश्मा कर दिखाया। आढ़त का काम कर रहे व्यापारियों को अगर लायसेंस राज से मुक्ति मिली है तो किसानों के लिए भी यह एक तरह से आर्थिक रूप से अपने को मजबूत बनाने का मौका कहा जा सकता है।

मण्डी एक्ट में संशोधन का सीधा फायदा किसान को होगा। अब उसे अपने उत्पादन का ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सकता है। इसके लिए किसानों को अब मंडियों के चक्कर काटने की जरूरत भी नहीं होगी। मंडियों में किसानों को लंबे इंतजार के साथ अपनी उपज की गुणवत्ता को लेकर कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ता था। मंडी अधिनियम में संशोधन के बाद अब किसान घर बैठ कर भी अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेच सकेगा। मंडी में जाकर समर्थन मूल्य पर उपज बेचने का विकल्प किसान के पास जस का तस रहेगा। नई वैकल्पिक व्यवस्था बन जाने के बाद कृषि जिंसों के व्यापार में एक नई प्रतिस्पर्धा खड़ी होगी, जिसका फायदा किसानों को मिलेगा। लायसेंसी व्यापारी अब किसान के घर या खेत पर जाकर ही उसकी फसल खरीद सकेगा। एक ही लायसेंस से व्यापारी प्रदेश में कहीं भी जाकर यह खरीददारी कर सकेगा। इससे बिचौलियों की व्यवस्था खत्म होगी।।

मंडी अधिनियम में बदलाव के बाद अब गोदामों, साइलो कोल्ड स्टोरेज आदि को भी प्राइवेट मंडी माना जाएगा। मंडी समितियों का इन प्रायवेट मंडियों के काम में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं रहेगा।
सरकार के इन फैसलों में यह साफ झलकता है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह को न सिर्फ किसानों की चिंता है बल्कि एक किसान परिवार से होने के कारण किसानों की इन तकलीफों को भी वे बेहतर तरीके से जानते हैं। किसानों के हित में उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में भी बहुत कुछ किया है। सरकार के इस कदम ने किसानों के लिए आर्थिक मंदी के इस दौर में एक नया रास्ता खोल दिया है।

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