आवश्यकता है उत्पादों के निर्यात पर जोर
भारत सरकार के कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग की वर्ष 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट में कृषि व्यापार संबंधी आकड़े एक सकारात्मक दिशा को दर्शाते हैं। इनमें मुख्य रूप से धान, कपास, गन्ना, काजू, अरंडी बीज तथा मूंगफली प्रमुख है। विश्व में भारत का कृषि उत्पादों का निर्यात तथा आयात के व्यापार का योगदान क्रमश: 2.26 प्रतिशत तथा 1.74 प्रतिशत है। वर्ष 2016-17 में कृषि उत्पादों का निर्यात 2,37,554 करोड़ रुपए तक पहुंच गया जबकि यह वर्ष 2012-13 में 2,27,193 करोड़ रुपए ही था। वर्ष 2012-13 में उत्पादों का आयात 95,719 करोड़ रुपए था जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 1,64,680 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो निर्यात से कमाई गई रकम से काफी कम है।भारत से निर्यात किए जाने वाले उत्पादों में बासमती चावल प्रथम स्थान पर आता है। इसके निर्यात से वर्ष 2012-13 में जहां 19409 करोड़ रुपए अर्जित किये गये थे वह वर्ष 2016-17 में बढ़कर 21604 करोड़ रुपए तक पहुंच गये। बासमती चावल के निर्यात के लिए वर्ष 2013-14 सबसे अच्छा वर्ष था जब 29292 करोड़ रुपए का बासमती चावल निर्यात किया गया था। बासमती चावल के बाद निर्यातक कृषि उत्पादों में दूसरा स्थान मसालों का है। वर्ष 2012-13 में 19409 करोड़ रुपए के मसालों का निर्यात किया गया था जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 21604 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
कृषि उत्पादों के निर्यात में तीसरे नम्बर पर साधारण चावल (बासमती को छोड़कर) आता है। वर्ष 2012-13 में जहां इसके निर्यात से 14449 करोड़ रुपए अर्जित किये गये थे वे वर्ष 2016-17 में बढ़कर 17145 करोड़ रुपए तक पहुंच गये। कपास के निर्यात में पिछले वर्षों में कमी देखी गई है जहां वर्ष 2013-14 में कपास के निर्यात से 22338 करोड़ रुपए देश को प्राप्त हुई थे वह वर्ष 2016-17 में घटकर आधे से भी कम 10982 करोड़ रुपए तक पहुंच गये। निर्यात के मामले में चीनी (शक्कर) का निर्यात पांचवे स्थान पर आता है। इसमें वर्ष प्रति वर्ष कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। वर्ष 2012-13 में चीनी का 8576 करोड़ रुपए का निर्यात किया गया था व वर्ष 2016-17 में इसका 8678 करोड़ रुपए का निर्यात किया गया, जबकि वर्ष 2015-16 में यह 9825 करोड़ रुपए का था।
इन फसलों के अतिरिक्त ताजी सब्जियों, काफी मूंगफली, तिलहन खली व काजू का वर्ष 2016-17 में क्रमश: 5772, 5668, 5454, 5371 व 5303 करोड़ रुपए निर्यात से देश ने अर्जित किये। देश व प्रदेश में कृषि उत्पादों के निर्यात की प्रचुर संभावनायें हैं जिनके लिए प्रयास किये जाने चाहिए।