खेती-बाड़ी: नई सरकार के सामने नई चुनौतियाँ
विकसित भारत- 2047 में क्या ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के पास खेती के अलावा आय के बेहतर विकल्प होंगे
शशिकांत त्रिवेदी
01 जुलाई 2024, नई दिल्ली: हेडलाइन: खेती-बाड़ी: नई सरकार के सामने नई चुनौतियाँ – पिछले सप्ताह मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कर नवनियुक्त केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छत्तीसगढ़ और असम से शुरुआत करते हुए राज्य के कृषि मंत्रियों के साथ आमने-सामने की बैठक करने की घोषणा की है. वे कृषि क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए राज्यों से बातचीत करना चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक राज्य के मंत्रियों को पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन तैयार करने और अपने राज्यों में किसानों और कृषि की स्थिति पर अपने विचार और सुझाव साझा करने के लिए कहा गया है।
भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले 10 वर्षों में राज्य के मंत्रियों के साथ ऐसी कोई बैठक आयोजित नहीं हुई। बल्कि पिछली सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान ही जून 2020 में एक अध्यादेश के ज़रिये तीन महत्वपूर्ण कृषि से सम्बंधित कानून पेश किए गए थे। बाद में कानूनों को निरस्त कर दिया गया। सीधे खेती से जुडी बातें केंद्रीय कृषि मंत्रालय में न के बराबर हुई हैं. पिछले महीने (11 जून) को पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद, चौहान ने कहा था कि वह राज्य के कृषि मंत्रियों सहित सभी हितधारकों के साथ चर्चा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद के साथ-साथ पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल से भी मुलाकात की, जो कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद गठित 26 सदस्यीय ‘एमएसपी पैनल’ के प्रमुख हैं। कृषि क्षेत्र में सुधारों के समर्थक चंद भी समिति के सदस्य हैं, जिसने अभी तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। इसके अलावा 21 जून को चौहान ने गुजरात, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और तेलंगाना के कृषि मंत्रियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस भी की।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सामने केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य का मुद्दा ही नहीं है बल्कि अब नई चुनौतियां भी हैं. मसलन बढ़ता हुआ तापमान और भारत में खेती पर इसका विपरीत असर एक बड़ी समस्या है. यह पुष्टि हो गई है कि राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) के अनुसार, वर्ष 2023 1850 के बाद से रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष था। 2023 का तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.18 डिग्री सेल्सियस अधिक था, और कई वैज्ञानिक भविष्यवाणी कर रहे हैं कि यह आगे और मुसीबत ला सकता है। बढ़ते तापमान की इस पृष्ठभूमि में, भारत में हमारे लिए महत्वपूर्ण प्रश्न हैं: क्या भारतीय कृषि मध्यम से दीर्घ अवधि में हमारी बढ़ती आबादी को खिलाने में सक्षम होगी, और क्या हमारे किसान भी 2047 तक विकसित भारत में समृद्ध होंगे?
हालांकि 2047 अभी भी 23 साल दूर है, और इस तरह के दीर्घकालिक अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है, लेकिन 1991 में सुधारों की शुरुआत से लेकर विभिन्न सरकारों के तहत किसी न किसी तरह से जारी रहने तक जो कुछ हुआ, उसे देखकर इसका एक मोटा अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन मोदी सरकार के तहत पिछले 10 वर्षों में विकास की कहानी को देखना और मनमोहन सिंह सरकार के पिछले 10 वर्षों से इसकी तुलना करना अधिक दिलचस्प होगा। मौजूदा सरकार वापस तो आ गई है लेकिन वह भारी बहुमत नहीं ला सकी है फिर भी यह अनुमान है कि यह पिछले 10 वर्षों की अपनी नीतियों को जारी रखेगी या विकसित भारत-2047 की अपनी आकांक्षा को साकार करने के लिए उन्हें गति भी दे सकती है।
भारत के विकास के लिए खेती अभी भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लगभग 45.8% कार्यशील आबादी (2022-23, पीएलएफएस डेटा) खेती पर किसी न किसी रूप में निर्भर है. इसलिए, यदि विकसित भारत को समावेशी भारत बनना है, तो उसे कृषि को उसकी पूरी क्षमता तक विकसित करना जरूरी है। उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है, पानी की खपत कम करने की जरूरत है, भूजल को रिचार्ज करने की जरूरत है, मिट्टी के क्षरण को रोकने की जरूरत है, और कृषि से ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करने की जरूरत है। आज की स्थिति में खेती कुल सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 18% का योगदान देती है, लेकिन इसमें 45.8% काम करने वाली आबादी शामिल है। यदि हमारे समग्र सकल घरेलू उत्पाद और कृषि-जीडीपी की वृद्धि दर पिछले 20 वर्षों या पिछले 10 वर्षों की तरह बढ़ती रहती है, तो संभावना है कि 2047 तक, समग्र सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा घटकर केवल 7-8% रह जाएगा, लेकिन फिर भी 30% से अधिक कार्यशील आबादी इस पर किसी न किसी रूप में निर्भर रहेगी। इसलिए शिवराज सिंह चौहान और उनके मंत्रालय पर अब ज़्यादा ज़िम्मेदारी है कि अधिक से अधिक लोग खेती पर आश्रित न होकर बेहतर कौशल के साथ अच्छी उत्पादकता वाले विकल्प तलाशें ताकि तेजी से बढ़ते और शहरी भारत के लिए ग्रामीण लोगों का कौशल काम आ सके। ताकि विकसित भारत-2047 में केवल ऊपर बैठे 20-25 फीसदी लोग ही नहीं बल्कि सभी एक बेहतर जीवन शैली अपना सकें।
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