Editorial (संपादकीय)

मध्य प्रदेश में फसल बीमा का असल सच क्या ?

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– विनोद शाह

मप्र में फसल बीमा का असल सच क्या ?

किसानों के नाम पर फ़रेब की फ़सलविनोद शाह

पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ कहते थे कि उनके द्धारा प्रधानमंत्री फ़सल बीमा का राज्यांश जमा किया गया, लेकिन केन्द्र का हिस्सा जमा न होने से किसानो को बीमा नहीं मिल सका। उनकी सरकार के कृषि मंत्री ने कहा कि हमने 509 करोड का भुगतान बीमा कम्पनी को किया है। नये मुख्यमंत्री शिवराजसिंह कहते हैं कि पूर्व सरकार ने कुछ नहीं दिया। शिवराज सरकार ने अब 2200 करोड का भुगतान बीमा कम्पनी को किया है। लेकिन इससे परे बीमा कम्पनी के महाप्रबंधक आरटीआई के जवाब में कहते हैं कि 19 मार्च 2020 तक उन्हे केन्द्र एंव राज्य का एक धेला भी नही मिला है, जो कि बीमा भुगतान में देरी का कारण है।

इतना ही नहीं इसमें यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार से प्राप्त बीमा दावा रिपोर्ट भी आंशिक ही प्राप्त हुई है। किसानो के नाम पर होने वाली राजनीति मप्र में झूठ एवं फरेब की हो चुकी है। असल राजनैतिक मंशा क्या सिफऺ यही है कि किसान को अनपढ गंवार समझकर वोट हथियाए जाएँ । क्या आंशिक बीमा दावा किसान को वास्तविक फसल क्षति दिला पायेगा? कभी कर्जमाफी का झूठ,कभी सोयाबीन का भावान्तर , तो गेहूं पर 160 रुपये की बोनस घोषणा से प्रदेश के किसानो का भावान्तमक एंव आर्थिक श़ोषण ही हुआ है।

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