ग्रीन हाउस तकनीक
ग्रीन हाउस, पॉलीथीन या कांच से बना हुआ अद्र्ध चंद्राकर या झोपड़ीनुमा संरचना होती है, जिसके अन्दर नियंत्रित वातावरण में पौधों को उगाया जाता है तथा उत्पादन को प्रभावित करने वाले कारक जैसे सूर्य का प्रकाश, तापमान, आद्र्रता आदि विभिन्न कारकों पर नियंत्रण होता है। ठण्ड की अधिकता में जहां खुले वातावरण में फसल विशेष आसानी से प्राप्त नहीं की जा सकती, वहीं ग्रीन हाउस में सफलतापूर्वक इसका उत्पादन किया जा सकता है. कारण सूर्य प्रकाश द्वारा विकिरण से प्राप्त ऊर्जा ग्रीन हाउस के अंदर संचित की जाती है, जिससे इसका सूक्ष्म वातावरण बदल जाता है. तापमान बढऩे से अधिकतर फसलों का उत्पादन ग्रीन हाउस के नियंत्रित वातावरण में संभव हो सकता है.
ग्रीन हाउस के लाभ –
- सामान्य खेत में सब्जियों का सफल एवं अधिक उत्पादन लेना संभव नहीं होता है जबकि ग्रीन हाउस में सफलतापूर्वक कई गुना अधिक लिया जा सकता है.
- स्थान विशेष में कुछ सब्जियों को ग्रीन हाउस के अंदर वर्ष पर्यंत उगाया जा सकता है, बेमौसम में भाव भी अधिक मिलता है.
- ग्रीन हाउस में उगायी गई सब्जियां उत्तम गुणवत्ता वाली होती हैं. फलत: अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भेजने के अवसर प्राप्त किये जा सकते हैं तथा विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है.
- ग्रीनहाउस के नियंत्रित वातावरण में फसल सुरक्षा आसान होती है. यानी कीटनाशकों पर कम खर्च होता है.
- ग्रीन हाउस में सब्जियों की नर्सरी के साथ-साथ अलैंगिक प्रवर्धन के लिए भी उपयुक्त वातावरण होता है।
- सब्जियों में जैविक खादों का उपयोग कर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
स्थल का चुनाव– ग्रीन हाउस के निर्माण के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए जहां कम से कम लागत लगे. साथ ही आवश्यक सामग्री, जो ग्रीनहाउस के निर्माण में सहायक हो, उसकी उपलब्धता नियमित और समय पर हो, ताकि इसके निर्माण और कार्यक्षमता में कम से कम बाधा आये. इस हेतु कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु निम्नानुसार है:
ग्रीन हाउस निर्माण के उपयोग में लाए गए विविध अवयवों एवं आई लागत के आधार पर इन्हें तीन प्रकार से वर्गीकृत किया गया है-
- अल्प लागत : जिसमें फसलों के लिए वर्षा, धूप एवं लू से सुरक्षा हेतु व्यवस्था की जाती है.
- मध्यम लागत : जिसमें संरचना की आंतरिक जलवायु का तापमान फसलों की आवश्यकतानुसार कम व अधिक करने संबंधी (कूलिंग पैड सिस्टम) का समावेश किया जाता है.
- उच्च लागत : यह ग्रीन हाउस आधुनिकतम तकनीक से सुसज्जित एवं कम्प्यूटर नियंत्रण प्रणाली द्वारा संचालित, जिसमें फसल उत्पादन को प्रभावित करने वाले प्रत्येक कारकों जैसे- प्रकाश, तापमान, आर्द्रता एवं कार्बन डाइऑक्साइड आदि का नियंत्रण संभव होता है.
ग्रीन हाउस की संरचना का निर्माण मुख्यत: तीन भागों द्वारा सम्पन्न होता है –
अ. फ्रेम या ढांचा : यह ग्रीनहाउस का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है. ढांचे का निर्माण इस प्रकार से होना चाहिए ताकि तेज हवा, गर्मी, ठंड एवं वर्षा का प्रभाव कम से कम हो. इस ढांचे को ढंकने के लिए पॉलीथिन फिल्म (आवरण) का उपयोग करते एल्यूमिनियम एवं लोहे का उपयोग किया जाता है. मुख्यत: लोहे के पाइप (जी.आई. पाइप) का उपयोग फ्रेम या ढांचे के निर्माण में किया जाता है क्योंकि इसमें पर्याप्त मजबूती होती है और इसकी कार्य अवधि लगभग 15-20 वर्ष तक होती है. ग्रीन हाउस ढांचे के मुख्य सदस्य जैसे अद्र्धचन्द्राकार संरचना (हूप), नींव (फाउन्डेशन), लेटरल सहारा, पॉलीग्रिप असेम्बली तथा इंड फ्रेम. साधारणत: लकड़ी या लोहे का (जालीनुमा) बना होता है और सदस्य गेल्वेनाइज्ड स्टील (जी.आई.पाइप) के बने होते हैं.
ब. ग्लेजिंग वस्तु आवरण : साधारणत: गेल्वेनाइज्ड माइल्ड स्टील पाइप के साथ अल्ट्रावायलेट स्टेबलाइज्ड पॉलीथिन फिल्म का मुख्यत: निर्माणकर्ता के द्वारा चुनाव किया जाता है. आवरण का उपयोग संरचना को ढंकने के लिए किया जाता है. यह फिल्म 100 से 250 माइक्रॉन मोटाई एवं 7 मीटर चौड़ाई में उपलब्ध होती है, जिसका कार्यकाल लगभग 3 से 4 वर्ष तक होता है. यह आवरण एक विशेष प्रकार की रासायनिक निर्मित फिल्म है, जिसको ग्रीन हाउस के ढांचे को ढंकने में किया जाता है.
स. निगरानी यंत्र : ग्रीन हाउस में नियंत्रण एवं निगरानी का निर्धारण उस स्थान की जलवायु एवं उगाये जाने वाले पौधों पर निर्भर करता है. निगरानी यंत्र जैसे तापमान, आद्र्रता, सूर्य प्रकाश एवं कार्बन डाइऑक्साइड के अध्ययन हेतु विभिन्न प्रकार के निगरानी यंत्र लगाए जाते हैं. ठंडी जलवायु वाले स्थान में ग्रीन हाउस को गर्म रखने वाले यंत्र लगाना आवश्यक है. यद्यपि भारत में मुख्यत: ठंडा रखने वाले यंत्रों की आवश्यकता सभी जलवायु में होती है. किसानों की वर्तमान आर्थिक स्थिति एवं ग्रीन हाउस संचालन हेतु आवश्यक ऊर्जा आपूर्ति के मद्देनजर भारत में अल्प लागत ग्रीन हाउस निर्माण की अच्छी संभावनाएं हैं. इस प्रकार के ग्रीन हाउस में लागत भी कम आती है तथा अधिक तकनीकी की आवश्यकता नहीं होती है.