फसल की खेती (Crop Cultivation)

अरहर में लगने वाले कीट और उनकी रोकथाम

  • अरविन्द कुमार , रत्नाकर पाठक , विशाल यादव
  • डॉ. पंकज कुमार (सहायक-प्राध्यापक), कीट विज्ञान विभाग
    आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या (उप्र)

5 जनवरी 2022, अरहर में लगने वाले कीट और उनकी रोकथाम भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में अरहर की खेती को लगभग 20 प्रतिशत के क्षेत्र में उगाया जाता है। फतेहपुर, कानपुर, हमीरपुर, जालौन, प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश के वह जिले है जिनमे अरहर की अधिक पैदावार की जाती है। अरहर की दाल में तकऱीबन 21 से 22 प्रतिशत तक का प्रोटीन पाया जाता है। अरहर के पौधे नम तथा शुष्क जलवायु वाले होते हैं। इसके पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है। ऐसी जलवायु में पौधों में लगने वाले फूल, फली और दानों का विकास भी अच्छे से होता है। अत्यधिक बारिश वाले क्षेत्रों में इसकी फसल को नहीं करें। 75 से 100 सेंटीमीटर बारिश वाले क्षेत्रों में इसकी खेती को किया जा सकता है।

प्रमुख कीट

फली मक्खी- यह छोटी, चमकदार काले रंग की घरेलू मक्खी की तरह परन्तु आकार में छोटी मक्खी होती है। यह कीट मादा बीज युक्त फलियों में अंडे देती है तथा अन्दर से लार्वा निकलते हैं और फलियों पर छोटा सा गोल छेद कर देते हैं और दानों को खाने लगते हैं फली के अंदर लार्वा वयस्क में बदल जाती है जिसे (कराना) दानों पर तिरछी सुरंग बनाते है जिससे दानों का आकार छोटा रह जाता है इल्ली अपना जीवनकाल तीन सप्ताह में फली के भीतर दानों को खाकर एक जीवन चक्र पूर्ण करती है। फली मक्खी से प्रकोपित 5 प्रतिशत फली मिलती हैं।

नियंत्रण
  • गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें।
  • बुवाई मेड़ पर मध्य जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह में करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17. 8 एसएल 200 मिली. को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें या डाईमेथोएट 30 ई. सी. 1 लीटर 800 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ें।
  • फूल तथा फलियां बनते समय 50 से 60 वर्ड पर्चर प्रति हेक्टेयर की दर से लगायें।
  • इस कीट की रोकथाम के लिए उपरोक्त मिश्रण के अतिरिक्त 1.05 लीटर थायोडान 35 ई.सी. को 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिडक़ाव करें।
  • इस कीट से बचने के लिए प्रति एकड़ जमीन में 160 मिली. साइपरमेथ्रिन 20 ई.सी का छिडक़ाव करें।
  • इसके अलावा प्रति एकड़ जमीन में 300 मिलीलीटर फेनवेलरेट 20 ई.सी का छिडक़ें।

अरहर फली बग- प्रौढ़ बग लगभग 2 सेन्टीमीटर लम्बा कुछ हरे भूरे रंग के होते है। इसके शीर्ष पर एक शूल युक्त, प्रवक्ष पृष्ठक पाया जाता है। अंडे कत्थई रंग के होते है तथा यह अंडे बाहर निकल कर अपना जीवन चक्र चलाते हैं। एक जीवन चक्र लगभग चार सप्ताह में पूरा करते है। उदर प्रोथ पर मजबूत कांटे होते हैं, इसके शिशु और प्रौढ़ अरहर के तने, पत्तियों तथा पुष्पों या फलियों से रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं, प्रकोपित फलियों पर हल्के पीले रंग के धब्बे बन जाते हैं और अत्याधिक प्रकोप होने पर फलियां सिकुड़ जाती है व दाने छोटे रह जाते है।

नियंत्रण
  • गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें।
  • बुवाई मेड़ पर मध्य जून से जुलाई से प्रथम सप्ताह में करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17. 8 एसएल 200 मिलीलीटर 800 लीटर पानी में मिलाकर का छिडक़ाव करें।
  • प्रकोप होने पर डाईमेथोएट 30 ई. सी. 1 लीटर को 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें।
  • अरहर फली बग का प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रिड 17 8 एसएल 200 मिलीलीटर या एसिटामिप्रिड 20 डब्लू पी 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें।
  • परासिटाइड ट्राईकोग्रामा इस फसल पर काफी उपयोगी होता है।

leaf-worn1

पत्ती लपेटने वाला कीट- यह कीट पीले रंग की सुंडी होती है जो पत्तियों को लपेट कर सफेद जाल बनाती हैं। उस जल के अंदर छुप कर यह पत्तियों को खाती हैं। पत्तियों के साथ यह फूलों और फलियों को भी खाती हैं। पत्ती लपेटने वाला कीट सितंबर माह में अधिक आक्रमण करता है। पत्तियों के साथ यह फूलों और फलियों को भी खाती हैं।

नियंत्रण
  • गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें।
  • बुवाई मेड़ पर मध्य जून से जुलाई से प्रथम सप्ताह में करें।
  • प्रतिरोधक प्रजातियों का चयन करें।

अच्छी अदरक की फसल कैसे प्राप्त करें

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *