मध्य प्रदेश दलहन प्रदेश: मूँग परिदृश्य
25 मार्च 2023, भोपाल: मध्य प्रदेश दलहन प्रदेश: मूँग परिदृश्य – मध्य प्रदेश भारतवर्ष का प्रमुख दलहन उत्पादक राज्य है। राज्य में खरीफ मौसम में मूँग, उड़द तथा अरहर, रबी मौसम में चना और मसूर तथा जायद या ग्रीष्मकाल में मूँग और उड़द की फसलें प्रमुखता से उत्पादित की जाती हैं। प्रस्तुत श्रृंखला में उक्त पाँच प्रमुख दलहनी फसलों का वर्तमान परिदृश्य, प्रमुख उन्नत किस्में तथा अनुसंधान आवश्यकता का विवरण दिया गया है। प्रथम भाग में मूँग का विवरण प्रस्तुत है। अपने विशिष्ट गुणों और उपयोगिता के कारण मूँग एक प्रमुख दलहनी फसल मानी जाती है। उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन की उपलब्धता 1⁄4लगभग 25 प्रतिशत1⁄2 जहाँ एक ओर मूँग को पौष्टिक आहार बनाती है, वहीं दूसरी ओर प्रत्येक फसल मौसम 1⁄4खरीफ, रबी, जायद1⁄2 में उत्पादित की जाने वाली, कम अवधि में तैयार होने के कारण यह फसल धान-गेहूँ फसल चक्र में आसानी से समाविष्ट हो जाती है। हमारे देश में व्याप्त कुपोषण की विकराल समस्या का प्रभावी समाधान कृषि में विविधता और पौष्टिक फसलों के उत्पादन तथा उपभोग में निहित है। अतएव हमें अपने फसल चक्र में अधिक उत्पादन क्षमतावान तथा पौष्टिक फसलों के समावेष की आवश्यकता है। मूँग फसल का उत्पादन इस समस्या का एक बेहतर विकल्प है जोकि पौष्टिकता का सस्ता स्त्रोत होने के साथ साथ अपनी प्राकृतिक नत्रजन स्थिरीकरण क्षमता के कारण मृदा स्वास्थ सुधार में भी सहायक है। हाल के वर्षों में पादप प्रोटीन के प्रति विश्व समुदाय में बढ़ती लोकप्रियता के कारण मूँग का उपभोग बढ रहा है।
उत्पत्ति एवम् विस्तार
मूँग का उत्पत्ति स्थल भारतवर्ष माना जाता है। मध्यप्रदेश के महेश्वर नगर के समीप नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित नवदाटोली नामक ताम्रपाषाण कालीन गाँव में वर्ष 1952 से 1959 के दौरान किये गये उत्खनन में पुरातत्व विभाग को अनेक प्रकार के अनाज प्राप्त हुये जिनमें मूँग भी था। मूँग के प्राप्त दानों की कार्बन डेटिंग से इनका काल 1440 से 1660 वर्ष ईसा पूर्व का निर्धारित किया गया, अर्थात मध्यप्रदेश का निमाड़-मालवा क्षेत्र मूँग की फसल से प्राचीन काल से ही परिचित रहा है। वर्तमान से लगभग 3000 वर्ष पूर्व भारत से मूँग चीन के रास्ते दक्षिण पूर्व एशिया तक विस्तारित होने के प्रमाण मिलते हैं। वर्तमान में मूँग का उत्पादन भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान,चीन, इंडोनेशिया, थाईलेण्ड, केन्या, तंजानिया आदि देशो में लिया जाता है। एक अनुमान के अनुसार मूँग का वैश्विक रकबा लगभग 73 लाख हेक्टर है जिससे 721 कि.ग्रा/हेक्टर की दर से 53 लाख टन उत्पादन लिया जाता है। कुल वैश्विक मूँग उत्पादन में भारत और म्यानमार की हिस्सेदारी 30-30 प्रतिशत है। विगत् पाँच वर्षों 1⁄42016-17 से 2020-211⁄2 में भारत में मूँग का औसत उत्पादन 24.47 लाख टन रहा। राष्ट्रीय मूँग उत्पादन में 44.74 प्रतिशत की हिस्सेदारी राजस्थान की रही, जबकि 14.14 प्रतिशत की हिस्सेदारी से मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा |
देश के दस शीर्ष मूँग उत्पादक राज्य राष्ट्रीय उत्पादन में 93 प्रतिशत का योगदान देते हैं। हमारे देश में मूँग की फसल खरीफ, रबी और ग्रीष्मकाल में उत्पादित की जाती है। उत्तर और मध्यभारत में खरीफ तथा ग्रीष्मकाल में तथा दक्षिण भारत में रबी मौसम में धान कटाई उपरांत मृदा में संरक्षित नमी का लाभ लेकर मूँग उत्पादन किया जाता है। मध्यप्रदेश में खरीफ तथा ग्रीष्मकालीन मूँग उत्पादित की जाती है।
मध्य प्रदेश में मूँग उत्पादन परिदृश्य
विगत् पाँच दशकों 1⁄41971 से 20201⁄2 में भारत एवम् मध्य प्रदेश के मूँग परिदृश्य के तुलनात्मक आँकड़े तालिका 1 में संकलित किये गये हैं। तालिका से स्पष्ट है कि राज्य में मूँग के रकबे, उत्पादन तथा उत्पादकता की वार्षिक वृद्धि दर राष्ट्रीय वृद्धि दर की अपेक्षा अधिक रही है, परंतु औसत उत्पादकता लगभग 15 प्रतिशत कम है।
मध्य प्रदेश राज्य के विगत् पाँच वर्षों के मूँग के रकबे, उत्पादन तथा उत्पादकता के जिलेवार आँकड़ों के आधार पर दस शीर्ष जिलों का चयन कर चित्र क्रमांक 2, 3 तथा 4 में प्रदर्षित किया गया है। वर्ष 2016-17 से 2020-21 में राज्य में मूँग का औसत रकबा 69248 हेक्टर रहा तथा सर्वाधिक रकबा 1⁄411491 हे1⁄2 होशंगाबाद में रहा। रीवा 1⁄45045 हे1⁄2 तथा छतरपुर 1⁄44985 हे1⁄2 क्रमषः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। उक्त दस शीर्ष जिलों की राज्य के कुल मूँग रकबे में लगभग 65 प्रतिशत की हिस्सेदारी रही 1⁄4चित्र क्रमांक 21⁄2। आलोच्य अवधि 1⁄42016-17 से 2020-211⁄2 के दौरान राज्य में औसत मूँग उत्पादन 25129 टन रहा। होशंगाबाद 1⁄42474 टन1⁄2, रीवा 1⁄42336 टन1⁄2
तथा दमोह 1⁄42030 टन1⁄2 प्रथम तीन स्थानों पर रहे। मूँग उत्पादन में राज्य के शीर्ष दस जिलों ने सम्मिलित रूप से कुल मूँग उत्पादन में लगभग 62 प्रतिशत का योगदान दिया 1⁄4चित्र क्रमांक 31⁄2। उक्त अवधि में भिण्ड जिला सर्वाधिक 769 कि.ग्रा/हे उत्पादकता के साथ प्रथम स्थान पर रहा जिसमें मूँग की उत्पादकता राज्य की औसत उत्पादकता 1⁄4352 कि.ग्रा/हे1⁄2 से लगभग 118 प्रतिशत अधिक रही। दसों शीर्ष जिलों की औसत उत्पादकता राज्यीय उत्पादकता से अधिक रही 1⁄4चित्र क्रमांक 41⁄2। अतएव, राज्य में मूँग की उत्पादकता वृद्धि के प्रयास अपेक्षित हैं। उत्पादकता की सूची में सम्मिलित प्रथम आठ जिले रकबे एवम् उत्पादन की सूचियों में नहीं हैं जबकि होशंगाबाद, रीवा, दमोह तथा छतरपुर में उत्पादकता अपेक्षाकृत कम है। अतएव, भिण्ड, कटनी, श्योपुर जिलों में क्षेत्र विस्तार तथा होशंगाबाद, रीवा, दमोह और छतरपुर जिलों में अधिक उत्पादकता वाली उन्नत किस्मों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
मूँग अनुसंधान
हमारे देश एवम् राज्य में मूँग अनुसंधान की इतिहास प्राचीन रहा है। मूँग की प्रथम उन्नत किस्म ”टाईप 1“ वर्ष 1948 में उत्तर प्रदेश में विकसित की गई। यह किस्म मुजफ्फरपुर की एक स्थानीय किस्म से चयन कर विकसित की गई। चयन विधि अपनाकर विकसित की गई अन्य उल्लेखनीय किस्मों में सी ओ 1 तथा 1⁄4तमिलनाडु1⁄2, जलगाँव 1⁄4महाराष्टं1⁄2, खरगोन 1 तथा कृष्णा 1⁄4मध्य प्रदेष1⁄2, जी 5 1⁄4पंजाब1⁄2 आदि सम्मिलित हैं। वर्ष 1971 में जवाहर 45 1⁄4मध्य प्रदेश 1⁄2 तथा 1972 में टाईप 44 1⁄4 उत्तर प्रदेश 1⁄2 किस्में संकरण विधि द्वारा विकसित प्रथम किस्में मानी जाती हैं। टाईप 1 किस्म को संकरण विधि में उपयोग करके टाईप 2, के-851, सुनयना आदि किस्में विकसित की गईं। टाईप 44 किस्म को भी संकरण कार्यक्रम में लेकर पूसा बैसाखी, पीआईएमएस 4 तथा ज्योति आदि किस्में विकसित हुईं। वर्तमान में जैव प्रोद्योगिकी संसाधनों के उपयोग से मूँग के पीले विशाणु रोग प्रतिरोधक किस्मों के विकास का कार्य प्रगति पर है। प्राथमिक तौर पर मूँग खरीफ मौसम की फसल है, परंतु भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर द्वारा वर्ष 2016 में विकसित 55 दिन में पकने वाली किस्म विराट ने स्थिति में परिवर्तन किया परिणामस्वरूप धान-गेहूँ फसल चक्र में
वसंत या ग्रीष्मकाल में भी मूँग की फसल का उत्पादन बढ़ गया। वैज्ञानिक अनुषंसा के अनुसार मध्य प्रदेश में खरीफ मौसम के लिये जवाहर मूँग 721, टीजेएम 3, एकेएम 8802, पीकेव्हीएकेएम 4 तथा वसंत या ग्रीष्मकाल में बोने के लिये विराट, शिखा, मेहा, पीडीएम 139 टीजेएम 3, एचयूएम 1आदि किस्में उपयुक्त हैं।
बीज उत्पादन
राष्ट्रीय मूँग प्रजनक बीज उत्पादन कार्यक्रम के अनुसार वर्तमान में राष्ट्रीय बीज श्रृंखला में मूँग की 59 किस्में सम्मिलित हैं जिनसे वर्ष 2023-24 के लिये 503.35 क्विंटल बीजोत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उक्त 59 किस्मों में से 34 किस्में 10 वर्ष से कम पुरानी हैं। बीजोत्पादन कार्यक्रम के अनुसार देश में सर्वाधिक मांग वर्ष 2016 में विकसित शिखा 1⁄4118.94 क्विंटल 1⁄2 तथा विराट 1⁄492.70 क्विंटल 1⁄2 किस्मों की है। इस वर्ष मध्य प्रदेश में विराट तथा शिखा किस्मों के कुल राष्ट्रीय प्रजनक बीजोत्पादन का क्रमश: 37 तथा 26 प्रतिशत उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
अनुसंधान आवश्यकता
मूँग में अपेक्षाकृत कम उत्पादन क्षमता, फूलों और फलियों का एकसाथ न निकलना तथा पीला मोजेक विषाणु रोग का आक्रमण प्रमुख उत्पादन बाधायें हैं। अतएव मूँग उत्पादकों को उच्च उपज क्षमतायुक्त, रोग रोधी किस्मों की आवश्यकता है। साथ ही फूल और फलियों के एक साथ निकलने और पकने के गुणों से युक्त किस्मों की मांग भी है। इसके अतिरिक्त किस्मों का कटाई सूचकांक भी अधिक होने की अपेक्षा उत्पादकों द्वारा की जाती रही है अर्थात मूँग में दानों की उपज पौधों की जैविक उपज की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक होना वांछनीय है। राज्य में किसानों के खेतों में किये गये अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनों में उन्नत उत्पादन तकनीक अपना कर उत्पादित फसल और स्थानीय पद्धति अपनाकर उत्पादित फसल की उपज में लगभग 27 प्रतिशत का अंतर है। राज्य में मूँग उत्पादन की सम्भावनायें देखते हुये उक्त उपज अंतर को पाटने के लिये किसानों और विस्तार कार्यकर्ताओं के समक्ष एक चुनौती है। अतएव इस दिशा में सार्थक प्रयास किये जाना चाहिये।
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