फसल की खेती (Crop Cultivation)

जानिए क्या है असली फ़र्टिलाइज़र की पहचान

शुद्ध डी.ए.पी.क्या है ?

15  जुलाई 2022, भोपाल: जानिए क्या है असली फ़र्टिलाइज़र की पहचान – यदि आप डी.ए.पी.के कुछ दानों को हाथ में लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मलें और  उसमें से तेज गन्ध निकले जिसे सूंघना मुश्किल हो तो समझें कि ये. असली डी.ए.पी.  है । डी.ए.पी.को पहचानने की एक और सरल विधि है । यदि हम डी.ए.पी. के कुछ दाने धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें और  ये दाने फूल जाते है तो समझ लें यही असली डी.ए.पी. है असली डी.ए.पी.  के  कठोर दाने होते हैं और  ये भूरे काले एवं बादामी रंग के होते है। साथ ही  नाखून से आसानी से नहीं टूटते हैं।

असली यूरिया की पहचान

यूरिया के सफेद चमकदार एकसमान आकार के कड़े दाने ही इसकी  असली पहचान है । यह पानी में पूरा घुल जाता है और  इसके घोल को छूने पर शीतलता का अनुभव होता  है। यूरिया को तवे पर गर्म करने से इसके दाने पिघल जाते है यदि हम आंच तेज कर दें और इसका कोई अवशेष न बचे तो समझें  यही असली यूरिया है।

सुपर फास्फेट

सुपर फास्फेट की असली पहचान है इसके सख्त दाने तथा इसका भूरा काला बादामी रंग। यदि आप  इसके कुछ दानों को गर्म करें और ये नहीं फूलते है तो समझ लें यही असली सुपर फास्फेट है । ध्यान रखें कि गर्म करने पर डी.ए.पी. व अन्य काम्प्लेक्स के दाने फूल जाते है जबकि सुपर फास्फेट के नहीं फूलते है । इस प्रकार इसकी मिलावट की पहचान आसानी से की जा सकती है। सुपर फास्फेट नाखूनों से आसानी से न टूटने वाला उर्वरक है। ध्यान रखें इस दानेदार उर्वरक में मिलावट बहुधा डी.ए.पी. व एन.पी.के. मिक्स्चर उर्वरकों के साथ की जाने की  आशंका  रहती है।

पोटाश की असली पहचान

पोटाश की असली पहचान है इसका सफेद कड़क , नमक तथा लाल मिर्च जैसा मिश्रण । पोटाश के कुछ दानों को नम करें यदि ये आपस में नही चिपकते है तो समझ लें की ये असली पोटाश है। एक बात और पोटाश पानी में घुलने पर इसका लाल भाग पानी में ऊपर तैरता रहता है।

जिंक सल्फेट को जानिये

जिंक सल्फेट की असली पहचान ये है कि इसके दाने हल्के सफेद पीले तथा भूरे बारीक कण के आकार के होते है। किसान भाइयों जिंक सल्फेट में प्रमुख रूप से मैगनीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है। भौतिक रूप से सामान्य होने के कारण इसके असली व नकली की पहचान करना कठिन होता है। इसके अलावा  डी.ए.पी. के घोल मे जिंक सल्फेट का घोल मिलाने पर थक्केदार घना अवशेष बनाया जाता है। जबकि डी.ए.पी. के घोल में मैगनीशियम सल्फेट का घोल मिलाने पर ऐसा नही होता है। यदि आप  जिंक सफेट के घोल मे पलती कास्टिक का घोल मिलायें तो सफेद मटमैला मांड जैसा अवशेष बनता है। यदि इसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिला दें तो ये अवशेष पूर्णतया घुल जाता है। इसी प्रकार यदि जिकं सल्फेट की जगह पर मैगनीशियम सल्फेट का प्रयोग किया जाय तो अवशेष नहीं घुलता है।

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