गुणवत्ता युक्त बीज़ से सोयाबीन फसल उत्पादन में बढ़ोतरी
मोहित नागर (एमएससी कृषि) महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर
27 सितम्बर 2023, उदयपुर: गुणवत्ता युक्त बीज़ से सोयाबीन फसल उत्पादन में बढ़ोतरी – सोयाबीन एक मुख्य तिलहनी फसल है| किसी भी फसल का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने व अधिक आर्थिक लाभ लेने के लिए अच्छी गुणवता का बीज होना अतिआवश्यक है| अभी भी सभी किसानो को सोयाबीन के अच्छी गुणवता वाले बीज उपलब्ध नही हो पा रहे है और किसान अभी भी बीजो की कमी की समस्या से जूझ रहा है जिसका सीधा प्रभाव फसल उत्पादन पर पड़ रहा है| इस समस्या के निवारण हेतु किसानो को सोयाबीन बीज उत्पादन की विभिन्न तकनीको के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है जिससे वे स्वयं अच्छी गुणवता का बीज उत्पादित कर उसको आगे की बुवाई के लिए काम में ले सके|
बीज क्या है?
बीज एक जीवित रचना है जिसमे भ्रूणीय पौधा सुषुप्त अवस्था में रहता है जो अनुकूल वातावरण परिस्थितियों में नए पौधे में विकसित हो जाता है| जबकि अच्छी गुणवता वाला बीज वो होता है जिसका क्षेत्र अंकुरण कम से कम 70% हो और अंकुरित बीज स्वस्थ पौधे के रूप में उग सके|
गुणवत्तापूर्णबीज की मुख्य विशेषतायें:
भौतिक शुद्धता
बीज में संबंधित किस्म, अन्य किस्म, अन्य फसल, खरपतवार के बीज व कंकड़/मिट्टी की मात्रा एक निर्धारित सीमा से अधिक नही होनी चाहिए|
आनुवंशिक शुद्धता: बीज ढेर में सिर्फ एक ही किस्म का बीज होना चाहिए तथा किसी अन्य किस्म का बीज नही होना चाहिए|
अंकुरण:सोयाबीन बीज की अंकुरण क्षमता कम से कम 70% होनी चाहिए|
बीज ओज
बीज ओज किसी पौधे के अंकुरण के बाद स्वस्थ पौधे में विकसित होने की क्षमता को दर्शाता है|
बीज नमी
बीज के ओज और जीवन क्षमता को बनाये रखने के लिए इसमें उचित मात्रा में नमी होना बहुत आवश्यक है| इसके लिए बीज को अच्छी तरह से धुप में सुखाना चाहिए|
सोयाबीन के गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन की तकनीके:
बीज स्रोत
किसान बीज उत्पादन करने के लिए मान्य स्रोत से बीज प्राप्त कर बुवाई करे| वर्तमान में देश में सोयाबीन की अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अनुशंसित विभिन्न किस्मे विकसित की जा चुकी है|
इनमे से कुछ किस्मे जे. एस 2172 , एन आर सी 138, एन आर सी 150, rvsm 1135, ब्लैक बोल्ड ,जे. एस 2212 ,जे. एस 2218, एन आर सी -150 , एन आर सी 151 , एन आर सी142 आदि
अवांछनीय पौधों को निकलना
अवांछनीय पौधों को पुष्पन अवस्था में पुष्प के रंग, फली के रंग, पत्ती के आकार,फली पर रोयें की स्थिति आदि गुणों की भिन्नता को आधार मानकर खेत से निकाले| अंतिम रोगिंग परिपक्वता आने पर फली की विशेषताओ के आधार पर करे| रोगग्रस्त पौधों को भी खेत से निकाल देवें|
बीजो को सुखाना
गहाई के बाद बीजो को 10 प्रतिशत या इससे कम नमी (सुरक्षित तापमान = 43.3 डिग्री सेल्सियस) तक पतली तारपीन पर सुखाये| बीज में 10-20 प्रतिशत नमी रहने पर इनकी श्वसन क्रिया बढ़ जाती है और कई प्रकार के फंफूद जैसे एस्पर्जिलस, राइजोपस व पेनीसिलियम का संक्रमण होने लगता है जिससे बीज का ह्रास होने लगता है|
बीज की बोरा बंदी व भण्डारण
भण्डारण के समय बीज की प्रारम्भिक अवस्था, बीज में नमी की मात्रा, भंडारण स्थल का तापमान और आर्द्रता को विशेष रूप से ध्यान में रखा जाता है| बीजो की प्रारंभिक अवस्था सही रखने के लिए बीजो को अच्छे से साफ़ और ग्रेड करके टूटे हुए दानो व कचरे को निकल दे| बीज में नमी और तापक्रम से भंडारण के दौरान इसमें कई रसायनिक बदलाव आते है जैसे वसा, अम्ल, रंग, विटामिन आदि| भंडारण स्थल का तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त रहता है इससे अधिक तापमान बढ़ने पर बीजो में अधिक नुकसान होता है| भंडारण से पहले ये सुनिश्चित कर ले की भण्डारण स्थल में किसी भी तरह से नमी नही होनी चाहिए| भंडारण के ढांचे नमी रोधी होने चाहिए व इन्हें ठंडी जगह पर रखना चाहिए| सोयाबीन के भंडारण के ढांचे के लिए जूट के बोरे, धातुओं से बनी भण्डारण कोठियां व एचडीपीई बैग का प्रयोग किया जाता है|
बीज परीक्षण
बीज की अनुवांशिक शुद्धता, भौतिक शुद्धता, अंकुरण क्षमता व नमी प्रतिशत आदि का परीक्षण प्रयोगशालाओ में किया जाता है| बीज परीक्षण के बाद ही बीज शुद्धता का प्रमाणीकरण निश्चित होता है|
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