मिर्च की फसल में रखें सावधानी
धार। जिले में लगभग 35000 हैक्टेयर में मिर्च की खेती होती है। मिर्च की खेती में प्रमुख समस्या सूखा रोग (विल्ट) तथा पर्णकुंचन (कुकड़ा/वायरस) की होती है। लगातार निरीक्षण करते हुए दवाओं के सावधानीपूर्वक प्रयोग से हानि से बचा जा सकता है।
उप संचालक उद्यानिकी के अनुसार बादली और भारी मौसम में कीट प्रकोप तेजी से संभव है। जिन कृषकों की मिर्च फसल कुकड़ा/वायरस से संक्रमित हो रही है, वे समय-समय पर अदल-बदल कर कीटनाशी दवाओं का प्रयोग करें। इनमें नीम तेल 75 से 100 मिली. प्रति 15 लीटर पानी में, इमिडाक्लोप्रिड अथवा एसिटामिप्रिड अथवा थायोमिथॉक्जाम में से कोई एक दवाई अदल-बदलकर 10-12 दिन के अन्तराल से 7 से 10 मिली के साथ एन्टीबायोटिक दवा स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 3 ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर सुबह या शाम के समय में छिड़काव करें। खेत की मेढ़ों पर भी उक्त दवा का अच्छे से स्प्रे कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जो किसान प्लास्टिक मल्चिंग (पलवार) 25 से 30 माईक्रोन की बेड (क्यारी) पर बिछाकर मिर्च का रोपा लगाते हैं, उनकी मिर्च फसल में वायरस से होने वाली बीमारी के प्रकोप की संभावना कम रहती है।