Crop Cultivation (फसल की खेती)

गेहूं में उर्वरकों की मात्रा एवं उनका प्रयोग

Share

10 दिसम्बर 2022, भोपाल: गेहूं में उर्वरकों की मात्रा एवं उनका प्रयोग – गेहूं उगाये जाने वाले ज्यादातर क्षेत्रों में नत्रजन की कमी पाई जाती है। फास्फोरस तथा पोटाश की कमी भी क्षेत्र विशेष में पाई जाती है। पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में गंधक की कमी पाई गई है। इसी प्रकार सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जस्ता, मैगनीज तथा बोरान की कमी गेहूं उगाये जाने वाले क्षेत्रों में देखी गई है। इन सभी तत्वों को भूमि में मृदा-परीक्षण को आधार मानकर आवश्यकता अनुसार प्रयोग करें। लेकिन ज्यादातर किसान विभिन्न कारणों से मृदा परीक्षण नहीं करवा पाते हैं। ऐसी स्थिति में गेहूं के लिये संस्तुत दर निम्न हैं।

असिंचित दशा में उर्वरकों को कूड़ों में बीजों से 2-3 से.मी. गहरा डाले तथा बालियां आने से पहले यदि पानी बरस जाए तो 20 किग्रा/हे. नत्रजन को टॉप ड्रेसिंग के रूप में देे।

एनपीके

सिंचित दशाओं में फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की 1/3 मात्रा बुवाई से पहले भूमि में अच्छे से मिला दे। नाईट्रोजन 2/3 मात्रा प्रथम सिंचाई के बाद तथा शेष आधा तृतीय सिंचाई के बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में देे।

धान, मक्का एवं कपास के बाद गेहूं लेने वाले क्षेत्रों में गंधक, जस्ता, मैगनीज एवं बोरान की कमी की संभावना होती है तथा कुछ क्षेत्रों में इसके लक्षण भी देखे गए हैं। ऐसे क्षेत्रों में अच्छी पैदावार के लिये इनका प्रयोग आवश्यक हो गया है।

महत्वपूर्ण खबर: कपास मंडी रेट (08 दिसम्बर 2022 के अनुसार)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *