Editorial (संपादकीय)

Editorial related to agriculture in India, agriculture policies, farmer feedback & its relevance in Indian Scenario.

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अन्नदाता को तमाशा न बनायें

दुनिया में काश्तकार को धरतीपुत्र एवं अन्नदाता का दर्जा सिर्फ इसलिये प्राप्त है क्योंकि वह पूर्ण ईमानदारी एवं स्वाभिमान से धरती के जीवन के लिये पेट भरने की व्यवस्था करता है। लेकिन दुर्भाग्यवश इस देश की नौकरशाही अन्नदाता की अहमियत

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गर्मी में मक्का की खेती

विश्व के खाद्यान्न उत्पादन में इसका 25 प्रतिशत योगदान है। धान्य फसलों के क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से मक्का का स्थान तीसरा है। भारत में मक्का का रकबा 7.27 मिलियन हेक्टेयर है। मक्का की असिंचित खेती खरीफ के मौसम

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पशुओं को लू लगने के लक्षण एवं उपाय

लू लगने का कारण – पशुओं के बाड़े में ज्यादा मात्रा में नमी होना तथा वायुसंचार ठीक प्रकार नहीं होना, बाड़े में भीड़ होना, पशुओं से धूप में काम करवाना, उन्हें ठीक से पानी न पिलाना इन कारणों से पशुओं

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मैं गुलदावदी फूल की खेती करना चाहता हूं कब लगाएं, तकनीकी बतलायें।

समाधान- गुलदावदी शरदऋतु का लोकप्रिय पुष्पीय पौधा है इसे शरद ऋतु की रानी के नाम से जाना जाता है। यह अनेकों रंग का होता है यह एक वर्षीय, बहुवर्षीय सभी प्रकार का होता है। आप इसे लगायें बगिया की शोभा

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भूमि क्षरण कारण एवं निवारण

रसायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से मृदा संरचना नष्ट हो जाती है जिससे  भूमि क्षरण मृदा के कण एक दूसरे से अलग हो जाते हैं परिणामस्वरूप मृदा अपरदन की दर में तीव्र वृद्धि की सम्भावना बढ़ जाती है। कृषि में

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गन्धक का महत्व

फसलों में गन्धक की आवश्यकता आवश्यकता की दृष्टि से गंधक और फास्फोरस की मात्रा दलहनी और तिलहनी फसलों में धान्य फसलों की अपेक्षा अधिक आंकी गई है। धान्य फसलों में गन्धक और फास्फोरस का अनुपात 1:3 का होता है। जब

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फलों में लोकप्रिय अमरूद लगाएं

भूमि अमरूद को लगभग प्रत्येक प्रकार की मृदा में उगाया जा सकता है परंतु अच्छे उत्पादन के लिये उपजाऊ बलुई दोमट भूमि अच्छी पाई गई है यद्यपि अमरूद की खेती 4.5 से 9.0 पी.एच.मान वाली मिट्टी में की जा सकती

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खेती में नई-नई तकनीक अपना रहे किसान

शहडोल। खेती में आधुनिक एवं नवीन संसाधन अपना कर किसान अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। सीहोर जिले में ऐसे अनेक किसान हैं, जिन्होंने सिंचाई में नई तकनीक को अपनाया है, इन किसानों ने खेतों में गहरी जुताई की और बीजों

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समर्थन मूल्य हेतु उत्पादकता सीमा

भोपाल। राज्य में चना, मसूर एवं सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी 10 अप्रैल से 21 मई 2018 तक की जा रही है। इसके लिए लगभग 425 मंडियों में उपार्जन केन्द्र बनाये गये हैं। राज्य शासन द्वारा इन फसलों

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नरवाई जलाने से बंजर हो रही खेतों की कोख

राज्य सरकार व कृषि विभाग के अधिकारियों की तमाम समझाइशों के बाद भी किसान इसे नजरअंदाज कर बड़ी नादानी कर रहे हैं। फलत: प्रकृति, पर्यावरण और जान-माल की क्षति के रूप में समाज को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही

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