लहसुन की खेती में मुनाफा
20 अगस्त 2020, इंदौर। लहसुन की खेती में मुनाफा – यदि किसानों को उनके परिश्रम का प्रतिफल अच्छे उत्पादन और उचित मूल्य के रूप में मिल जाए, तो वे संतोष का अनुभव कर खुद को खुशहाल समझते हैं। ऐसी ही खुशहाली रतलाम जिले के एक प्रगतिशील कृषक के जीवन में लहसुन के कारण आई है। उन्होंने लहसुन बेचकर सवा लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा कमाया है।
कृषक जगत से चर्चा में ग्राम भाकरखेड़ी विकासखंड पिपलौदा जिला रतलाम के 34 वर्षीय उन्नत कृषक श्री निर्भयसिंह आंजना ने बताया कि 7 साल से लहसुन की खेती कर रहे हैं। हालाँकि समानांतर रूप से गेहूं, मेथी, मटर और अलसी की भी खेती करते हैं। अभी खरीफ में सोयाबीन लगाया है।
पहले हुनर हासिल किया – श्री आंजना ने बताया कि लहसुन की खेती शुरू करने से पहले करीब 7 साल तक निजी कंपनियों में नौकरी कर खेती से जुडी जमीन की तैयारी, बीज, खाद, दवाई आदि देने के तरीकों को समझकर हुनर हासिल किया, उसके बाद इसे शुरू किया। इस साल 3 बीघे में देसी किस्म की लहसुन लगाई थी। यह ब्रांड क्वालिटी की देसी लहसुन है, जो पूरी तरह सफेद, बोल्ड और गाँठ भी वजनदार है। इस क्षेत्र में धुरंधर लहसुन उत्पादक है, जिनकी पहचान लहसुन से हो रही है। इनमें भाकरखेड़ी के श्री हीरालाल आंजना, श्री विक्रम रुपावट, श्री दिनेश आंजना, श्री हरीश पाटीदार नवेली, श्री विनोद धाकड़ और श्री प्रभुलाल धाकड़ , रियावन के नाम प्रमुख हैं। इन किसानों द्वारा लहसुन पूरे देश में भेजी जाती है। लहसुन उत्पादन को लेकर इनमें स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होती रहती है।
भण्डारण प्रक्रिया – श्री निर्भयसिंह ने बताया कि लहसुन को उखाडऩे के बाद बबूल या अन्य पेड़ की छाँव में सुखाया जाता है। फिर टाट की बोरियों में रखते हैं। घर पर ही 60&40 फीट के दो हॉल का निजी वेयर हाउस बनाया है, जहां लहसुन को एक कतार में सिंगल बोरी के रूप में रखा जाता है।
सवा लाख का मुनाफा – श्री निर्भयसिंह को इस साल 3 बीघा में 75 क्विंटल /बीघा लहसुन का उत्पादन मिला है। बीज दवाई और अन्य पर करीब 70 हजार की लागत आई। कुल उपज मूल्य 1 लाख 95 हजार में से लागत घटाने पर 1 लाख 25 हजार का शुद्ध मुनाफा हुआ। फिलहाल छोटी लहसुन का भाव 6500 रु./क्विंटल चल रहा है। जबकि करीब 70 क्विंटल का स्टॉक उनके पास बचा हुआ है। जिसे बेचना बाकी है। सम्पर्क नंबर 9977899337