State News (राज्य कृषि समाचार)

सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (14-20 अगस्त )

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16 अगस्त 2023, इंदौर: सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (14-20 अगस्त ) – भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर द्वारा 14-20 अगस्त वाले सप्ताह के लिए सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह दी गई है , जो इस प्रकार है –

1.कृषकों को सलाह है कि अपनी फसल की सतत निगरानी करें तथा किसी भी कीट या रोग के लक्षण दिखने पर निम्नानुसार नियंत्रण के उपाय अपनाएं।

2. कुछ क्षेत्रों में फफूंदजनित रोगों के साथ साथ इल्लियों द्वारा फूलों को खाने के समाचार प्राप्त हुए है।  अतः कीट एवं रोगों से फसल की सुरक्षा हेतु अनुशंसित कीटनाशकों/फफूंदनाशकों का छिड़काव  करें, भले ही सोयाबीन फसल फूल आने की अवस्था में हो।

3.जहाँ पर कम समयावधि में पकने वाली किस्मे लगी हैं, कृषकों को सलाह है कि चूहें द्वारा फलियों के अन्दर दाने खाने से होने वाले नुकसान से बचाने हेतु प्रबंधन के उपाय अपनाये. इसके लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005% रसायन से बने प्रति हेक्टेयर 15-20 बेट/हे. बनाकर चूहों के छेदों के पास  रखें ।

4. ऐसे किसान जो आगामी वर्ष के लिए उपयोगी सोयाबीन बीज का बीजोत्पादन कर रहे हैं, शुद्धता बनाये रखने के लिए फूलों के रंग एवं पौधों/पत्तियों/तने पर पाए जाने वाले  रोएं के आधार पर भिन्न किस्मों के पौधों को अपने खेत से निष्कासित करें।

5. मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन फसल पर इस वर्ष “कॉटन ग्रे वीविल” नामक कीट का प्रकोप देखा जा रहा है, जो पत्तियों को किनारों से कुतर कर खाता है. इसी प्रकार इस वर्ष टस्क मोथ नामक कीट का भी प्रकोप देखा जा रहा है।  यह भी एक पर्णभक्षी कीट है।  इनका प्रकोप अधिक होने पर इसी साप्ताहिक सलाह के बिंदु क्रमांक 6 पर पत्ती खाने वाले कीटों के नियंत्रण हेतु अनुसंशित कीटनाशकों में से किसी एक का  छिड़काव  करने की सलाह है।

6. मध्य प्रदेश के कुछ जिले (धार, इंदौर, शाजापुर, देवास) में सोयाबीन का रस चूसने वाले “जेवेल बग” नामक कीड़े का प्रकोप कुछ क्षेत्रों में देखा जा रहा है, जो कि कभी-कभार ही देखा जाता है।  अधिक प्रकोप होने पर इसके नियंत्रण हेतु सलाह है कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125  मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC(10% W/V) DC (600 मिली/हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मि.ली.) का छिड़काव करें।  तना मक्खी के नियंत्रण के लिए भी  इन्हीं  रसायनों का उपयोग करें।

7. चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि प्रारंभिक अवस्था में ही आइसोसायक्लोसरम 9.2% W/W Dc (10%W/V) DC (600 मिली/हे) या एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी (1 ली./है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/ है ) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल18.5 एस.सी 18.50 % SC का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।

8. जहाँ  पर तीनों प्रकार की पत्ती खाने वाली इल्लियाँ हो, इनके एक साथ नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिडकाव करें : एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) या ब्रोफ्लानिलाइड 300 एस.सी. (42-62 ग्राम/हे), या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एस. सी (333 मि.ली/हे ), या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी., (250-300मिली/हे) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50 % एस. सी. (825-875 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी, (150 मि.ली./हे ) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे), या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी (250-300 ग्राम/हे) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी (450 मिली/हे केवल तम्बाकू की इल्ली के नियंत्रण हेतु), या पूर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/है :सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम़ + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./है सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % +लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60 % ZC, (200 मिली/हे सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) का  छिड़काव  करें।  इनसे पत्ती खाने वाली इल्लियों के साथ साथ फूल खाने वाली इल्लियों का  नियंत्रण  हो सकेगा।

9. जहाँ पर एक साथ पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर/तम्बाकू/चने की इल्ली) तथा रस चूसने वाले कीट जैसे सफ़ेद मक्खी/जेसिड एवं तना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) प्रकोप हो, इनके नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रितकीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. या थायोमिथोक्सम12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350मिली./हे.) का  छिड़काव करें।

10. कृषकों को सलाह है कि फफूंदजनित रोगों से सुरक्षा हेतु अपनी फसल पर टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625मिली/हे) या टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर 65%WG (1250 ग्राम/हे) या कार्बेन्डाजिम+मेन्कोजेब 63% WP(1250 ग्राम/हे) या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% w/wSC (400 मिली/हे) या फ्लुक्सापाय्रोक्साड 167 g/l +पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 g/l SC (300 ग्रा/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 g/l + इपिक्साकोनाजोल 50g/lSE (750 मिली/हे) जैसे अनुशंसित फफूंदनाशकों में से किसी एक का सुरक्षात्मक छिडकाव करें।  इससे एन्थ्राक्नोज, रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट जैसे फफूंदजनित रोगों का नियंत्रण हो  सकेगा।

11. जहाँ पर पीले मोज़ेक वायरस रोग के लक्षण देखे जा रहे हैं, कृषकों को सलाह है कि इसके प्रारंभिक लक्षण  दिखते  ही तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें एवं अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

12. पीले मोज़ेक वायरस या सोयाबीन मोज़ेक वायरस रोग को फ़ैलाने वाले वाहक कीट सफ़ेद मक्खी एवं एफिड के नियंत्रण हेतु अनुशंसित कीटनाशक एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) का  छिड़काव  करें।  इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) याबीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) का भी छिडकाव किया जा सकता हैं. का भी  छिड़काव  कियाजा सकता  है।इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है।

अन्य सुरक्षात्मक उपाय/सामान्य सलाह

1 तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्लियों के नियंत्रण हेतु बाजार में उपलब्ध कीट-विशेष फेरोमोन ट्रैप या प्रकाश प्रपंच  लगाएं।  इनके सेप्टा लगाने से पूर्व अपने हाथ स्वच्छ है यह सुनिश्चित करें।

2 जैविक सोयाबीन उत्पादन करने वाले  कृषकों  को सलाह है कि पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली ) से फसल की सुरक्षा एवं प्रारंभिक अवस्था में ही रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1.0 ली./हेक्टे) का  छिड़काव  करें।

3 कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा इल्लियों को खाने से होने वाले नियंत्रण को और सुविधाजनक बनाने हेतु सोयाबीन फसल में पक्षियों की बैठने हेतु “T” आकार के बर्ड-पर्चेस लगाये . इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।

4 वायरस जनित पीला मोज़ेक/सोयाबीन मोजेक रोगों से सुरक्षा हेतु इन रोगों को फैलाने वाले रस चूसक  कीट सफ़ेद मक्खी/ जेसिड के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

5 अपने खेत की नियमित निगरानी करें एवं खेत में जाकर 3-4 स्थानों के पौधों को हिलाकर सुनिश्चित करें कि क्या आपके खेत में किसी इल्ली/कीट का प्रकोप हुआ है या नहीं और यदि है, तो कीड़ों की अवस्था क्या है? तदनुसार उनके नियंत्रण के उपाय अपनाएं।

6 सोयाबीन की फसल घनी होने पर चक्र भृंग का प्रकोप अधिक होने की सम्भावना होती है। इसके लिए प्रारंभिक अवस्था में ही (एक सप्ताह के अन्दर) दो रिंग दिखाई देने वाली ऐसी मुरझाई/लटकी हुई ग्रसित पत्तियों को तने से तोड़कर जला  दें  या खेत से बाहर करें।

7 कई क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होने की  सूचनाएं  प्राप्त हुई हैं, कृषकों को सलाह है कि जलभराव से होने वाले नुकसान से सोयाबीन फसल को बचाने हेतु अतिरिक्त जल-निकासी सुनिश्चित करें।

8. अपने खेतों में चूहे के नियंत्रण के उपाय  अपनाएं। इसके लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005% रसायन से बने प्रति हेक्टेयर 15-20 बेट/हे. बनाकर चूहों के छेदों के पास रखे।

9 सोयाबीन फसल पर पौध संरक्षण के लिए अनुशंसित रसायनों (कीटनाशक/फफूंद नाशक) के  छिड़काव  में पर्याप्त पानी की मात्रा (नेप्सेक स्प्रयेर या  ट्रैक्टर  चालित स्प्रयेर से 450 लीटर/हे पॉवर स्प्रेयर से 125 लीटर/हे न्यूनतम) का उपयोग करें।

10  कीट एवं रोगों से फसल सुरक्षा हेतु उपयुक्त रसायनों का  छिड़काव   किया जाना चाहिए, भले ही सोयाबीन फसल  फूल  आने की अवस्था में हो।

11  किसी भी प्रकार का कृषि-आदान क्रय करते समय  दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।

12 ऐसे रसायन (कीटनाशक/खरपतवारनाशक/फफूंदनाशक) जो सोयाबीन फसल में उपयोग हेतु भारत सरकार के केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा जारी  सूची में शामिल नहीं, उपयोग नहीं करें।

13  जिन रसायनों (कीटनाशक/खरपतवारनाशक/फफूंदनाशक) के मिश्रित उपयोग की वैज्ञानिक अनुशंसा या पूर्व अनुभव नहीं है, ऐसे मिश्रण का उपयोग कदापि नहीं करें।  इससे फ़सल को नुकसान हो सकता है।

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