छत्तीसगढ़ बनेगा देश का मिलेट हब : श्री बघेल
18 सितम्बर 2021, रायपुर । छत्तीसगढ़ बनेगा देश का मिलेट हब : श्री बघेल – छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ आने वाले समय में देश का मिलेट हब बनेगा। उन्होंने कहा कि मिलेट मिशन के तहत किसानों को लघु धान्य फसलों की सही कीमत दिलाने आदान सहायता देने, खरीदी की व्यवस्था, प्रोसेसिंग और विशेषज्ञों की विशेषज्ञता का लाभ दिलाने की पहल की है। हम लघु वनोपजों की तरह लघु धान्य फसलों को भी छत्तीसगढ़ की ताकत बनाना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री अपने निवास कार्यालय में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद और राज्य के मिलेट मिशन के अंतर्गत आने वाले 14 जिलों कांकेर, कोण्डागांव, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, बलरामपुर, कोरिया, सूरजपुर और जशपुर के कलेक्टरों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। एमओयू के अंतर्गत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी एवं रागी की उत्पादकता बढ़ाने, तकनीकी जानकारी, उच्च क्वालिटी के बीज की उपलब्धता और सीड बैंक की स्थापना के लिए सहयोग और मार्गदर्शन देगा। इसके अलावा आईआईएमआर हैदराबाद द्वारा मिलेट उत्पादन के जुड़ी राष्ट्रीय स्तर पर विकसित की गई वैज्ञानिक तकनीक का मैदानी स्तर पर प्रसार हेतु छत्तीसगढ़ के किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
देश-विदेश में कोदो-कुटकी, रागी जैसे मिलेट की बढ़ती मांग को देखते हुए मिलेट मिशन से वनांचल और आदिवासी क्षेत्र के किसानों की न केवल आमदनी बढ़ेगी, बल्कि छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान मिलेगी। वहीं मिलेट्स के प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। छत्तीसगढ़ के 20 जिलों में कोदो-कुटकी, रागी का उत्पादन होता है। प्रथम चरण में इनमें से 14 जिलों के साथ एमओयू किया गया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर कहा कि कोदो, कुटकी और रागी जैसी लघु धान्य फसलें ज्यादातर हमारे वनक्षेत्रों में बोई जाती हैं। कोदो, कुटकी और रागी जैसी फसलें पोषण से भरपूर हैं। देश में इनकी अच्छी मांग है। शहरी क्षेत्रों में बहुत अच्छी कीमत पर ये बिकती हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाली कोदो, कुटकी और रागी वनांचल से बाहर निकल ही नहीं पाई है। अभी तक इन फसलों का न तो समर्थन मूल्य तय था, और न ही इसकी खरीदी की कोई व्यवस्था थी
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अब इन फसलों की पैदावार बढ़ाने, इनकी खरीदी की अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करने और इनकी प्रोसेसिंग कर इन्हें शहर के बाजारों तक पहुंचाने के लिए मिशन-मिलेट शुरू किया है। राज्य सरकार ने कोदो, कुटकी और रागी का समर्थन मूल्य तय करने के साथ-साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे में इन्हें भी शामिल किया है। इससे अब इन लघु धान्य फसलों को उपजाने वाले किसानों को भी अन्य किसानों की तरह आदान सहायता मिल सकेगी।