सोयाबीन संस्थान इंदौर की तीन किस्में अधिसूचना की प्रतीक्षा में
11 दिसम्बर 2023, इंदौर: सोयाबीन संस्थान इंदौर की तीन किस्में अधिसूचना की प्रतीक्षा में – भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान,इंदौर किसानों के लिए सोयाबीन की रोगमुक्त और अधिक उत्पादन देने वाली अच्छी किस्मों को पेश करने के लिए निरंतर अनुसंधान करता रहता है। इसी कड़ी में भारतीय सोयाबीनअनुसन्धान संस्थान,इंदौर की माह मई 2023 के दौरान सोयाबीन की तीन नवीनतम किस्मों एन.आर.सी 181,188 और 165 की पहचान की गई है।लेकिन अभी इनकी अधिसूचना जारी नहीं की गई है। अधिसूचना जारी होने के बाद सम्भवतः अगले वर्ष किसानों को यह किस्म उपलब्ध हो जाएगी।
गत दिनों भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान,इंदौर का 37 वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस दौरान संस्थान के निदेशक डॉ के. एच. सिंह ने कृषक जगत को बताया कि भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान,इंदौर की माह मई 2023 के दौरान सोयाबीन की कम समयावधि वाली तीन नवीनतम किस्मों एन.आर.सी 181,188 और 165 की पहचान की गई , लेकिन अभी इन किस्मों की अधिसूचना जारी नहीं की गई है। जैसे ही अधिसूचना जारी
होगी सोयाबीन की यह तीन नई किस्में किसानों को उपलब्ध करा दी जाएगी। संभावना है कि किसानों को यह नई किस्में अगले वर्ष तक उपलब्ध हो जाएगी।
पहचानी गई तीन नई किस्मों की विशेषताएं
एनआरसी 181 – यह किस्म सीमित वृद्धि वाली है। जिसके सफ़ेद फूल , गहरी भूरी नाभिका , भूरे रोयें होते हैं। कुनिट्ज़ ट्रिप्सिन इनहिबीटर मुक्त, पीला मोजैक एवं टारगेट लीफ ऑफ स्पॉट के लिए प्रतिरोधी यह किस्म रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट, चारकोल सड़न एवं एन्थ्रेक्नोस के प्रति संवेदनशील है। मध्य क्षेत्र के लिए अनुशंसित इस किस्म की परिपक्वता अवधि 93 दिन है और इसका औसत उत्पादन 16 -17 क्विंटल / हेक्टर है।
एनआरसी 188 – यह किस्म भी सीमित वृद्धि वाली है, लेकिन इसके फूल बैंगनी होते हैं। कली नाभिका, इसकी रोयें रहित हरी चिकनी फलियां होती हैं, जिन्हें मटर की फलियों की तरह खाया जा सकता है। मध्य क्षेत्र के लिए प्रस्तावित यह पहली वेजिटेबल टाईप किस्म है। इसकी परिपक्वता अवधि 77 दिन और इसका औसत उत्पादन 46.72 क्विंटल /हेक्टर हरी फलियां है।
एनआरसी 165 – यह किस्म भी सीमित वृद्धि वाली होकर इसके फूल बैंगनी होते हैं। इसकी भूरी नाभिका, रोयें रहित चिकनी फलियां ,टारगेट ऑफ लीफ स्पॉट एवं अल्टरनेरिया लीफ ऑफ स्पॉट आदि बीमारियों के लिए प्रतिरोधी है। इसके अलावा तना मक्खी, चक्र भृंग तथा पत्ती भक्षकों के लिए भी प्रतिरोधी है। मध्य क्षेत्र में समय से बुवाई के लिए प्रस्तावित एक जल्दी पकने वाली किस्म है , जिसकी परिपक्वता अवधि 90 दिन और औसत उत्पादन 19 क्विंटल / हेक्टेयर है।
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