राज्य कृषि समाचार (State News)

एमएसपी बढ़ाने की मांग ‘सोया’ किसान जागा

लेखक: अतुल सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार

02 सितम्बर 2024, भोपाल: एमएसपी बढ़ाने की मांग ‘सोया’ किसान जागा – देश एवं प्रदेश में सोयाबीन की बढ़ती लागत एवं कम समर्थन मूल्य को लेकर किसानों के सब्र का बांध अब छलकने लगा है जो किसी भी दिन टूट सकता है। इसकी शुरुआत सोशल मीडिया से हो चुकी है। शासन की गलत नीतियों के कारण किसानों में काफी आक्रोश एवं निराशा है। लगभग 10 वर्ष पूर्व सोयाबीन का जो भाव था, आज भी उसके आस-पास ही है जबकि किसान 6 से 8 हजार रु. तक करने की मांग कर रहे हैं। लगभग एक माह बाद सोयाबीन की नई फसल बाजार में आ जाएगी, इसलिए भी किसान भाव को लेकर चिंतित हैं। क्योंकि वर्तमान में सोयाबीन का भाव समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है। मध्य प्रदेश को सोया राज्य कहा जाता है, यहां देश का कुल 60 फीसदी से अधिक सोयाबीन उत्पादन होता है इसलिए एमएसपी बढ़ाने की मांग भी प्रदेश में रतलाम से उठी है, क्योंकि सरकार ने 2024-25 के लिए 4892 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी तय किया है और सोयाबीन की लागत अधिक आती है। क्योंकि आदान सामग्रियों की कीमतें बढ़ गई हैं। चालू खरीफ में देश में 125 लाख 11 हजार हेक्टेयर में तथा म.प्र. में 53 लाख 88 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई है। इसे देखते हुए सांसद, विधायक एवं किसान नेताओं ने बयानबाजी शुरू कर दी है तथा प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री से दाम बढ़ाने की मांग की है साथ ही आक्रोशित किसानों ने भी ज्ञापन सौंपा है।  

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सोयाबीन की सबसे अधिक उपज मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में ली जाती है। साथ ही आंध्रप्रदेश, तेलंगाना एवं छत्तीसगढ़ में भी सोयाबीन बोई जाती है। मध्य प्रदेश को सोयाबीन स्टेट का दर्जा प्राप्त है खरीफ सीजन में यहां सबसे अधिक सोयाबीन की खेती होती है।

समर्थन मूल्य से कम बिक रहा सोयाबीन

सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है लेकिन इस भाव से बहुत कम दाम पर सोयाबीन मंडियों में बिक रहा है। किसानों को फिलहाल प्रति क्विंटल पर 1000 से 1300 रुपये का सीधा नुकसान हो रहा है। जबकि दूसरी ओर 25-30 दिन में नई सोयाबीन आने वाली है। मंडियों में औसतन 4000 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को दाम मिल रहे हैं। जिससे किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल हो   गया है।संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसानों ने बताया कि सरकार की गलत नीति के कारण सोयाबीन के भाव नहीं बढ़़े हैं। जबकि खेती किसानी में जो वस्तुएं इस्तेमाल की जाती हंै, उनके दामों में काफी बढ़ोतरी हुई है। खाद, दवाई, मजदूरी सारी चीजों में बहुत बढ़ोतरी हुई है, परंतु किसानों को उनकी फसल के वाजिब दाम नहीं मिल रहे हैं।
सोयाबीन भाव का गणित

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कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की रिपोर्ट के अनुसार सोयाबीन की उत्पादन लागत 3261 रुपए प्रति क्विंटल है लेकिन मंडियों में यह 3500 से 4000 रुपए के बीच बिक रही है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 में  सोयाबीन का औसत भाव 3823 रुपए प्रति क्विंटल था, जो आज की कीमतों के लगभग बराबर है। जबकि भाव 2014-15 में 4200 से 4300 प्रति क्विंटल थे। यही कारण है कि किसानों में सोयाबीन के भाव को लेकर राज्य एवं केंद्र सरकार के प्रति आक्रोश पनप रहा है। बीते दशक के दौरान महंगाई दर दोगुनी हो गई है, डीजल की कीमतें 42 रु. प्रति लीटर से बढ़कर 92 रु. प्रति लीटर हो गई हैं, जिसमे 220 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, कृषि आदानों और मजदूरी में भी लगातार वृद्धि हुई है। कृषि आदानों में हर साल 5-6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मजदूरी में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई है।

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समर्थन मूल्य पर हो सोयाबीन की खरीदी

म.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से यह मांग करते हुए कहा कि सोयाबीन खेती की लागत वर्ष 2011 से दो-तीन गुना बढ़ गई है, पर इसका मूल्य 4300 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है। किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है। इसका न्यूनतम मूल्य प्रति क्विंटल 6 हजार रुपये से कम नहीं होना चाहिए। कांग्रेस के बदनावर विधायक भंवर सिंह शेखावत एवं तराना के श्री महेश परमार ने मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री से मांग की है कि खरीदी सर्मथन मूल्य पर केन्द्रों के माध्यम से की जाए।

औसत कीमत में गिरावट

इधर देश में विभिन्न राज्यों के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2024 में सोयाबीन की औसत कीमत 4,793 प्रति क्विंटल रही, जो जुलाई 2024 में 5,118 और अगस्त 2023 में 5,021 थी। यह मासिक आधार पर 6.35 प्रतिशत और वार्षिक आधार पर 4.54 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। जहां पिछले साल की तुलना में कीमतें क्रमश: 30 प्रतिशत और 7 प्रतिशत तक गिरी हैं।
भारत के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्यों में से एक, मध्य प्रदेश में कीमतों में गिरावट किसानों और बाजार सहभागियों के लिए विशेष रूप से चिंताजनक रही है। अगस्त 2024 में राज्य में सोयाबीन की थोक कीमत 4,196 प्रति क्विंटल तक गिर गई, जो जुलाई 2024 में 4,337 थी, यानी 3.25 प्रतिशत की गिरावट। वार्षिक आंकड़े और भी गंभीर स्थिति दर्शाते हैं, जहां कीमतें अगस्त 2023 के 4,795 की तुलना में 12.49 प्रतिशत कम हो गई हैं। यह महत्वपूर्ण गिरावट मध्य प्रदेश में सोयाबीन बाजार के सामने आने वाली व्यापक चुनौतियों को दर्शाती है। सोयाबीन के समर्थन मूल्य से भी नीचे बिकने के कारण किसानों का अब सोयाबीन के प्रति मोह भंग होता जा रहा है। इससे मध्य प्रदेश से सोया प्रदेश का तमगा भी छिनने की आशंका व्यक्त की जा रही है, क्योंकि किसान अब सोयाबीन के बजाय दूसरी फसल की ओर बढऩे को मजबूर हो रहे हैं। विभिन्न किसान संगठन के नेताओं ने इस स्थिति के लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार   ठहराया है।

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