क्या होता है एमएसपी, जिसे बढ़ाने की मांग करते है किसान
17 अक्टूबर 2024, भोपाल: क्या होता है एमएसपी, जिसे बढ़ाने की मांग करते है किसान – अक्सर देश के किसान एमएसपी बढ़ाने की मांग करते है और इसके लिए बड़े आंदोलन भी किए जाते रहे है। आइए जानते है कि आखिर एमएसपी होती है क्या…!
एक गारंटी की तरह होती है
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी किसानों को दी जाने वाले एक गारंटी की तरह होती है, जिसमें तय किया जाता है कि बाजार में किसानों की फसल किस दाम पर बिकेगी। दरअसल, फसल की बुआई के दौरान ही फसलों की कीमत तय कर दी जाती है और यह तय कीमत से कम में बाजारों में नहीं बिकती है। एमएसपी तय होने के बाद बाजार में फसलों की कीमत गिरने के बाद भी सरकार किसानों को तय कीमत पर ही फसलें खरीदती है। सरल शब्दों में कहें, तो एमएसपी का उद्देश्य फसल की कीमत में उतार-चढ़ाव के बीच किसानों को नुकसान से बचाना है।
कृषि मंत्रालय खरीफ, रबी सीजन समेत अन्य सीजन की फसलों के साथ ही कमर्शियल फसलों पर एमएसपी लागू करता है। वर्तमान में देश के किसानों से खरीदी जाने वाली 23 फसलों पर एमएसपी लागू की गई है। इन 23 फसलों में से 7 अनाज ज्वार, बाजरा, धान, मक्का, गेहूं, जौ और रागी होती हैं। 5 दालें, मूंग, अरहर, चना, उड़द और मसूर होती है। इसके अलावा तिलहन, सोयाबीन, कुसुम, मूंगफली, तोरिया-सरसों, तिल, सूरजमुखी, और नाइजर बीज होती है और 4 कमर्शियल फसलें, कपास, खोपरा, गन्ना और कच्चा जूट होता है।
कौन तय करता है
केंद्र सरकार फसलों पर एमएसपी दर लागू करती है और राज्य सरकारों के पास भी एमएसपी लागू करने का अधिकार है। केंद्र सरकार ने किसानों की फसलों को उचित कीमत दिए जाने के उद्देश्य से साल 1965 में कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी CACP का गठन किया था। यह हर साल रबी और खरीफ फसलों के लिए MSP तय करती है। पहली बार 1966-67 में एमएसपी दर लागू की गई थी। CACP के द्वारा की जाने वाली सिफारिशों के आधार पर ही सरकार हर साल 23 फसलों के लिए एमएसपी का ऐलान करती है। जब भी CACP न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनुशंसा करता है, तो वह कुछ बातों को ध्यान में रखकर ही इसे तय करता है। संस्था इन बिंदुओं पर ध्यान देती है कि फसल के लिए उत्पाद की लागत क्या है, इनपुट मूल्यों में कितना परिवर्तन आया है, बाजार में मौजूदा कीमतों का क्या रुख है, मांग और आपूर्ति की स्थिति क्या है, अंतरराष्ट्रीय मूल्य स्थिति क्या है। इसके अलावा, सीएसीपी स्थान, जिले और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्थितियों का जायजा लेने के बाद ही फसलों पर एमएसपी तय करती है। हालांकि, देश में एमएसपी को लेकर कोई कानून नहीं है। सरकार चाहें तो किसानों को एमएसपी दे सकती या नहीं भी देगी, तो यह उनका फैसला होता है।
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