राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्य प्रदेश में सोयाबीन एमएसपी बढ़ाने की मांग ने पकड़ी रफ्तार

30 अगस्त 2024, भोपाल: मध्य प्रदेश में सोयाबीन एमएसपी बढ़ाने की मांग ने पकड़ी रफ्तार – मध्य प्रदेश में सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही मुहिम अब जोर पकड़ रही है। सोयाबीन उत्पादक किसान ₹6000 प्रति क्विंटल की एमएसपी की मांग कर रहे हैं, जबकि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024-25 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 4892 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा घोषित एमएसपी पर खरीद तब की जाएगी जब राज्य सरकार इसकी घोषणा करेगी, वर्तमान में सोयाबीन के दाम ₹3800 से ₹4300 प्रति क्विंटल के बीच हैं। हालांकि, सभी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फैसला नहीं बेच पाते है। किसानों का कहना है कि इन कम दामों पर उनकी लागत भी नहीं निकल रही है।

रतलाम में कुछ किसानों द्वारा सोयाबीन की कीमत बढ़ाने की अपील करते हुए वीडियो बनाए गए थे, जिसके बाद यह मुहिम तेजी से सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी। धार और खाचरोद में भी किसानों ने रथ यात्राएं निकालकर अपनी मांग को जोरदार तरीके से उठाया है।

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले से आई एक तस्वीर ने किसानों की बदहाली को उजागर किया, जहां निराश किसानों ने अपनी खड़ी फसल पर रोटावेटर चला दिया। इसके बाद रतलाम के किसानों ने सोशल मीडिया पर सोयाबीन की एमएसपी ₹6000 प्रति क्विंटल करने की मांग की, जो अब तेजी से वायरल हो रही है। धार, उज्जैन और रतलाम के कई इलाकों में किसान प्रदर्शन भी कर चुके हैं।

पंजाब की तर्ज पर सोशल मीडिया पर रणनीति

रतलाम के किसानों और किसान नेताओं ने बताया कि, “फिलहाल यह मांग सोशल मीडिया पर राज्य और केंद्र सरकार से की जा रही है। आगे की रणनीति के लिए किसानों के ग्रुप बनाए जा चुके हैं, और आने वाले दिनों में विभिन्न स्थानों पर ज्ञापन देकर अपनी मांग रखी जाएगी। मध्य प्रदेश में यह मुहिम पंजाब के किसानों की तर्ज पर सोशल मीडिया से शुरू हुई है।”

किसानों की लागत और उत्पादन का गणित

किसानों की उत्पादन लागत साल दर साल बढ़ी है तो कीमतों में कमी आई  है। जिससे किसान नाराज है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार 2013-2014 मे सोयाबीन का औसत भाव 3823 रूपये प्रति क्विंटल था जो वर्तमान कीमतों के करीब आ गया है। यानि सोयाबीन के दाम दस साल पहले की कीमतों पर पहुंच गये है और लागत बढ़ गई है। जबकि, इस बीते दशक के दौरान महंगाई दर दोगुनी हो गई है, डीजल की कीमतें ₹42 प्रति लीटर से बढ़कर ₹92 प्रति लीटर हो गई हैं, जिसमे 220% की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, कृषि आदानों और मजदूरी में भी लगातार वृद्धि हुई है। कृषि आदानों में हर साल 5-6% की वृद्धि हुई है, जबकि मजदूरी में 200% से अधिक की वृद्धि देखी गई है।

सोयाबीन की बुवाई पूरी हो चुकी है और अक्टूबर महीने से इसकी कटाई शुरू हो जाएगी। कटाई के समय नजदीक आने के साथ, किसान वर्तमान बाजार दरों को लेकर और भी अधिक चिंतित हो गए हैं, क्योंकि उत्पादन की लागत बढ़ने के बावजूद सोयाबीन के दाम में स्थिरता ने उनके लाभ में कमी ला दी है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

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