राज्य कृषि समाचार (State News)

अनाज का सुरक्षित भंडारण करें

  • प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख
  • डॉ. बी.एस. किरार, वैज्ञानिक
  • डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. एस.के. सिंह
  • डॉ. यू.एस. धाकड़ ,डॉ. एस.के. जाटव
  • डॉ. आई.डी. सिंह  , जयपाल छिगारहा
      कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़

 

11 मई 2023, अनाज का सुरक्षित भंडारण करें – किसान अनाज उगाने में काफी मेहनत एवं राशि खर्च करता है लेकिन अनाज को सही तरीके से भंडारण नहीं कर पाता है। जिससे गोदाम एवं घरों में रखे अनाज एवं दलहन उत्पादन में काफी मात्रा में कीट व्याधियों से या नमी से खराब हो जाता है  जिससे किसानों की आय में काफी नुकसान होता है। किसान तकनीकी जानकारी एवं आधुनिक भण्डारण पत्रों में अनाज को रखने से कीड़े, चूहे एवं नमी से होने वाली आर्थिक क्षति को रोक सकते हैं।

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सुरक्षित अनाज भण्डारण के सिद्धांत

अनाज को भण्डार से पूर्ण अच्छी तरह सुखा लें जिसमें नमी की मात्रा 10 प्रतिशत से अधिक न हो । अनाज से भरे बोरों को लकड़ी की पट्टियों पर रखें जिससे नमी अथवा सीडऩ से बोरे प्रभावित न होने पायें  जहां तक संभव हो सके धातु भण्डारण पात्रों का ही प्रयोग करें कीड़ों से नुकसान को समाप्त करने के लिए धूम्र एल्युमीनियम फास्फाइड या जिंक फास्फाइड दवा मिलाकर रख दें। दालों पर सरसों के तेल का लेप करके भण्डारण करने पर भी घुन से बचाया जा सकता है। जिस भण्डारण पात्र में अनाज भण्डारण करना हो उसके नीचे व ऊपर नीम की पत्तियां बिछा दें। भण्डारित अनाज के नुकसान में कीड़ों के साथ चूहों द्वारा नुकसान होता है चूहे न केवल भण्डारित अनाज को खाते ही नहीं अपुति बर्बाद भी करते हंै एक चूहा अपने मलमूत्र से खाने के 10 गुना तक अनाज नष्ट करते हैं।

चूहा रोकथाम के उपाय

भण्डारण पात्रों को चूहों को चूहेदानी की सहायता से पकडक़र। जहरीले चारे जैसे जिंक फास्फाइड का उपयोग कर चूहों का नियंत्रण कर सकते हैं।

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कीट वर्म- भण्डारण में विभिन्न कीट भी अनाज को क्षति पहुंचाते हैं। अनाज के शत्रु हमारे कुल उत्पादन का लगभग 9-10 प्रतिशत प्रति वर्ष नष्ट कर देते हैं भण्डार ग्रह की अनुकूलता व परिस्थितियां इन कीटों की संख्या व प्रकोप को प्रभावित करती है।

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भण्डारित अनाज में नमी की मात्रा सुरक्षित भण्डारण के लिए अनाज में अधिकतम 10  प्रतिशत या इससे कम नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर बीजावरण में कठोरता बनी रहती है जिससे कीट व अन्य सूक्ष्म जीवाणु अपने में सफल नहीं हो पाते हैं।

खपरा बीटल (भृंग) 

यह गेहूं के साथ-साथ सभी अनाज, दलहनों व तिलहनों को नुकसान पहुंचाता है । इसकी इल्ली दाने के अन्दर व सतह दोनों को नुकसान पहुंचाती हैं।

अनाज छेदक 

इसकी इल्ली तथा वयस्क अनाज को नष्ट कर चूर्ण (दुर्गन्धयुक्त) बना देते है।

अनाज का घुन

यह अनाज के साथ अनाज उत्पादों दोनों को खाता है जबकि इल्ली दानों को खोखला कर देती है।

टारा भृंग

इसकी इल्ली व वयस्क दोनों ही गेहूं, मक्का, ज्वार, मैदा, सूजी को क्षति पहुंचाते हैं।

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अनाज का पतंगा

इसकी इल्ली अनाज को खराब कर देती है तथा इसकी विशेषता है कि नुकसान पहुंचाए अनाज के गुच्छे बन जाते हैं।

दाल की बीटल (भृंग)

यह दलहनों को नुकसान पहुंचाती है । यह खेत से ही क्रियाशील हो जाती गोदाम का पतंगा यह खेत में ही सक्रिय हो जाता है। भण्डारण गृह में इसकी इल्ली दानों को खाकर अन्दर ही अन्दर खोखला कर देती है।

कीट वर्ग के रोकथाम से उपाय

भण्डारण के अच्छे उपायों का पालन करने के साथ-साथ भण्डारण के पूर्व भण्डार गृह, पात्रों तथा बोरों पर मैलाथियान 50 ईसी पोल का 1 प्रतिशत बनाकर छिडक़ाव करें।

नियंत्रण

प्राय: धूम्र कीटनाशक जैसे ई.डी.वी. एल्यूमीनियम फॉस्फाइड का प्रयोग कीट नियंत्रण में किया जाता है । इसका उपयोग 3 मि.ली. प्रति 100 किलो अनाज पर प्रभावी होता है। एल्यूमीनियम फॉस्फाइड की 2 ग्राम की 1-2 गोली एक टन अनाज के प्रधुमन के लिए प्रभावी होती है।

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