संपादकीय (Editorial)

अनाज के सुरक्षित भण्डारण के तरीके

भारत जैसे विकासशील देश में अनाज के कुल उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत भाग विभिन्न कारणों से उपभोग उपयुक्त नहीं रह पाता। जिसका कारण भण्डारण की समुचित व्यवस्था का अभाव प्रमुख है। किन्तु भारतवर्ष जैसे विशाल देश और विशाल कृषि उत्पाद हेतु भण्डारण व्यवस्था तुरंत ही सुधारा नहीं जा सकता, इसलिए कृषकों को अपने स्तर पर ही फसल की कटाई के बाद अनाज को पूरी तरह से सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि अनाज को हानि पहुंचाने वाले अनेक कीट व चूहे जैसे दुश्मन हमेशा घात लगाए बैठे रहते हैं। अत: उचित भण्डारण हेतु निम्न उपाय करें-

  • भण्डारण के दौरान अनाज को फफूंद या रोगाणुओं से बचाये रखना चुनौतीपूर्ण होता है।
  • नये अनाज को अच्छी तरह से सुखाएं ताकि अनाज में 10 प्रतिशत से ज्यादा नमी न रहे तथा इसके बाद ही भण्डारण करें। सुखाने के लिए काली प्लास्टिक की चादर का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि काले रंग की प्लास्टिक की चादर अधिक धूप अवशोषित करती है जिससे अनाज को जल्दी सूखने में मदद मिलती है।
  • भंडारगृह को शुष्क एवं ठंडा रखना चाहिये जिससे कीड़े व फफूंदी का प्रकोप कम हो।
  • भंडारण से पूर्व बीज तथा भंडारगृहों को साफ कर लें। भंडारगृह की दीवारों व फर्श की दरारों व गड्ढों को बंद कर दें। दीवारों पर 120-150 से.मी. ऊंचाई तक तारकोल पोत देना ठीक रहता है।
  • अनाज भण्डार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित पूसा कोठी को प्रयेाग में लायें।
  • अच्छी पैकिंग की आवश्यकता बीज के संरक्षण, सुरक्षा, परिवहन एवं व्यापार हेतु आकर्षण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बीज को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में पैकिंग सहायक होती है।
  • अनाज संग्रहण के लिए नई बोरियों का प्रयोग अच्छा होता है परन्तु यदि पुरानी बोरियां प्रयोग करनी पड़े तो उनको 0.1 प्रतिशत मेलाथियान 50 ई.सी. (एक भाग दवा व 500 भाग पानी) के घोल में 10-15 मिनट भिगोएं तथा छाया में सुखा लें, तत्पश्चात् अनाज भरें।
  • अनाज की भरी बोरियां सीधे जमीन व दीवार से सटाकर नहीं रखनी चाहिए। इन्हें लकड़ी के तख्तों व बांस की चटाई पर थोड़ी ऊंचाई पर रखना चाहिए।
  • कोठी में अनाज पॉलीथिन में ढंककर बंद कर देना चाहिए ताकि अनाज में नमी न जा सके।
  • गैर कृषि उपयोग हेतु विभिन्न प्रकार के अनाज का भण्डारण नीम की पत्तीयों के साथ करना सर्वोत्तम होता है।
  • नीम की निबौलियों का पाउडर एक भाग तथा 100 भाग अनाज को मिलाकर भंडारण करें।
  • भंडारगृह एवं बीज का निरीक्षण नियमित रूप से करना चाहिये। दवाइयां, पशुओं के दाने, तेल एवं खाद आदि का बीज के साथ भंडारण न करें।
  • यदि भंडारगृह में कीड़े उड़ते हुए पाये जायें तो भंडारगृह का प्रधूमन (एल्यूमिनियम फॉस्फाईड से सात टिक्की प्रति 1000 घनफुट स्थान) करना चाहिये।
  • निरीक्षण तथा भंडारण में हवा के संचार हेतु भंडारगृह की दीवार एवं बोरी के ढेर अथवा दो बोरी के ढेरों के बीच में, कम से कम 30 सेंटीमीटर का अंतर रखना चाहिये।
  • बोरियो के ढेर का आकार 9&6 मीटर से अधिक न हो।
  • बीज की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिये बीज की नमी 9 प्रतिशत व भंडारगृह का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस लाभकारी होता है।
  • चूहों की रोकथाम के लिए एक किलोग्राम बाजरा, ज्वार, चना, मक्का, गेहूं के दानों पर 20 ग्राम सरसों का तेल मसलकर तथा उसमें 25 ग्राम जिंक फॉस्फाईड नामक दवा मिलाकर 10-10 ग्राम की पुडिय़ा तैयार करके चूहे के बिलों में रखें। दवाई वाली बेट रखने से पहले बगैर दवाई वाली बेट 2-3 दिन तक चूहे के बिलों में रखें ताकि चूहों को बेट खाने की आदत पड़ जाये। इसके अलावा स्टीकी ट्रेप का उपयोग अच्छा होता है।

चारा अभाव के समय पशुओं का आहार

  • किरण तिग्गा,

email : kiranascoraipur@gmail.com

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