State News (राज्य कृषि समाचार)

रबी की प्रमुख फसलों में उपलब्ध उर्वरक के आधार पर विकल्पों का चयन करें

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31 अक्टूबर 2023, धार: रबी की प्रमुख फसलों में उपलब्ध उर्वरक के आधार पर विकल्पों का चयन करें – उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, धार  ने बताया कि जिले में रबी फसलों की बोनी लगभग 4 लाख 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाना प्रस्तावित है। रविवार तक लगभग 75500 हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई हो चुकी है, शेष क्षेत्र में लगातार  बोनी कार्य जारी है। जिले में रबी की प्रमुख फसल गेहूँ, चना, मटर, मक्का एवं उद्यानिकी फसलें हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर सहकारिता एवं निजी क्षेत्रों में उपलब्ध उर्वरक के आधार पर किसान  विकल्पों का उपयोग करें ।

बीज एवं उर्वरक की मात्रा  – किसान  गेहूं फसल में 100 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा बोनी हेतु उपयोग करें  एवं चना फसल में 75 किग्रा प्रति हेक्टेयर उपयोग करें ।  गेहूं फसल में अनुशंसित उपयोग मात्रा प्रति हेक्टेयर 120 किग्रा. नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फास्फोरस एवं 40 किग्रा पोटाश है। इन तत्वों की पूर्ति हेतु फसलों की परिपक्वता की अवधि में पहले विकल्प के रूप में 260 किग्रा. यूरिया 375 किग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं 67 किग्रा. एम.ओ.पी. या दूसरे विकल्प के रूप में 130  किग्रा . डी.ए.पी. 210 किग्रा. यूरिया एवं 67 किग्रा. एम.ओ.पी. तथा तीसरे विकल्प के रूप में 16:16:16 एन.पी.के. 200 किग्रा. एस.एस.पी. 200 किग्रा एवं 90 किग्रा. यूरिया प्रति हेक्टेयर का उपयोग कर सकते हैं ।

प्रथम एवं द्वितीय विकल्प के उपयोग से लागत में कमी – इस वर्ष अंत में अधिक वर्षा होने से  किसानों द्वारा द्वारा लहसुन एवं प्याज की फसल भी लगाई गई है। कंद वाली फसलों में 20:20:0:13 नामक उर्वरक का उपयोग करने से अच्छी उपज होती है। उपरोक्त तीनों विकल्पों में से उर्वरक उपलब्धता के आधार पर जो भी विकल्प उपलब्ध है, उस विकल्प का उपयोग किया जा सकता है । इस प्रकार उर्वरक में  प्रथम एवं द्वितीय विकल्प का उपयोग करने पर कम लागत आयेगी तथा तृतीय विकल्प भी किसान आवश्यकतानुसार उपयोग कर सकते हैं , जो आसानी से उपलब्ध है।

जिंक सल्फेट का उपयोग–  गेहूं फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए उपरोक्त विकल्पों के अलावा प्रत्येक दो वर्षों में प्रति हेक्टेयर 25 किग्रा जिंक सल्फेट आधारभूत उर्वरक के रूप में उपयोग करने से गेहूं फसल के दाने में चमक आयेगी एवं प्रति बीघा 1-1.5 क्वि उपज में वृद्धि होगी। इसलिए किसान जिंक सल्फेट का उपयोग अवश्य करें।

बीजोपचार एवं नैनो उर्वरक – गेहूं फसल की बुआई करते समय बीजोपचार हेतु कॉर्बेंडाजिन एवं मेन्कोजेब का उपयोग करें ।  नैनो डी.ए.पी. द्वारा भी बीजोपचार कर सकते हैं। फसलों में नाइट्रोजन के तौर पर प्रथम एवं द्वितीय स्प्रे नैनो यूरिया एवं नैनो डी.ए.पी. से करने पर उपरोक्त उर्वरक विकल्प 1, 2, 3 में बताई गई मात्रा में कमी कर उपयोग करने से उपज में वृद्धि की जा सकेगी।  उप संचालक ने किसानों से अनुरोध किया है कि कृषि आदान क्रय करते समय पक्का बिल अनिवार्य रूप से प्राप्त करें  । साथ ही यदि कोई विक्रेता निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर उर्वरक विक्रय करता है, तो उसकी सूचना विकास खण्ड स्तर पर कृषि विभाग को देवें ।

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