राज्य कृषि समाचार (State News)

कृषि उपज मण्डी सेंधवा एवं अनुज्ञप्तिधारियों के गोदामों की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत

19 नवम्बर 2022, बड़वानी: कृषि उपज मण्डी सेंधवा एवं अनुज्ञप्तिधारियों के गोदामों की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत – एसडीएम सेंधवा श्री अभिषेक सराफ के निर्देशन में कृषि उपज मण्डी सेंधवा एवं सेंधवा के अंतर्गत लगभग 15 अनुज्ञप्तिधारियों के गोदामों की जांच हेतु गठित दल के सदस्य नायब तहसीलदार सेंधवा श्री राहुल सोलंकी, सहायक संचालक कृषि श्री भारत सोलंकी, कृषि उपज मण्डी सचिव बड़वानी श्रीमती सुमन बड़ोले तथा कृषि उपज मण्डी सचिव सेंधवा श्री लक्ष्मणसिंह ठाकुर के द्वारा की गई। जांच दल द्वारा अपनी रिपोर्ट एसडीएम सेंधवा को प्रस्तुत की गई है।

जाँच में पाये गये तथ्य  : कृषि उपज मण्डी प्रांगण सेंधवा में लगभग 2 वर्ष से अधिक समय से घोष विक्रय नही करने ,अनुज्ञप्तिधारी फर्मो के गोदामों/परिसरों में संग्रहित भौतिक स्कंध एवं ई-अनुज्ञा पोर्टल के फसल में धमात्मक/ऋणात्मक अन्तर पाए जाने , निजी खरीदी में माईश्चर मीटर से अनुज्ञप्तिधारी क्रेता के द्वारा विक्रेता/किसान की उपज का भाव तय करने से  विक्रेता/किसान का 15-20 प्रतिशत का नुकसान  होने , जा रहा है, जो कि गैरकानूनी है।  कुछ फर्मो के स्कन्ध की मात्रा प्रस्तुत दस्तावेज में फसल पोर्टल में दर्ज एवं भौतिक सत्यापन से भिन्न-भिन्न होने और  कुछ फर्मो द्वारा उपज खरीद के  दस्तावेज प्रस्तुत नही करना पाया गया। इसके अलावा मण्डी कार्यालय द्वारा आफलाईन सौदा पत्रक पूर्व तिथियों में जारी किया जाना ,फर्म द्वारा बाद में अनुशाविहीन परिवहन/ऑनलाईन दर्ज कर बिचौलियों द्वारा लाया गया कृषि उपज खरीदना/भौतिक स्कंध संतुलित करने, तत्कालीन मण्डी सचिव के द्वारापुराणी तिथि में सौदा पत्रक जारी किये जाने ,लगभग दो वर्ष  से अधिक समय से कृषि उपज मण्डी में संध्या में नीलामी  की प्रक्रिया नहीं होने से अनुबंध पत्र भी जारी नहीं होने ,अनुज्ञप्तिधारियों के राज्य के अन्दर रिश्तेदार या परिवार के सदस्यों के द्वारा भी अनुज्ञप्तियां प्राप्त की गई है। साथ ही महाराष्ट्र राज्य में स्थित फर्मों का कागजी कार्यवाहियों से दुरूपयोग कर मण्डी शुल्क की चोरी करने एवं अनुज्ञप्तिधारी अनूप  ट्रेडिंग के गोदाम से लगभग 10 क्विंटल चावल जब्त किये जाने जैसे तथ्य जाँच दल के सामने आए।

निष्कर्ष  : एसडीएम सेंधवा से प्राप्त जानकारी अनुसार जांच के दौरान फर्मो के भौतिक सत्यापन एवं दस्तावेजों की जांच की गई। जिससे यह निष्कर्ष निकलता है  कि अनुज्ञप्तिधारियों द्वारा माईश्चर मीटर के द्वारा विक्रेता/किसानों से नमी के आधार पर कृषि स्कंध मक्का का भाव तय कर क्रय की जाती है, जो कि कृषि उपज मंडी अधिनियम के अनुकूल नहीं है। इस प्रक्रिया से अनुज्ञप्तिधारियों के द्वारा विक्रेता किसानों को अपनी उपज का सही भाव नही मिल पाता है और लगभग प्रत्येक बिक्री में न्यूनतम 15 से 20 प्रतिशत का नुकसान किया जा रहा है।  तहसील सेंधवा अंतर्गत वर्ष 2021-22 की गिरदावरी में कृषि उपज मक्का का कुल 13156.653 हेक्टेयर रहा है तथा इसी वित्तीय वर्ष में कृषि उपज मण्डी में की खरीदी 145594 क्विंटल रही है। इससे  निष्कर्ष निकलता है कि वर्ष 2021-22 में करीब 91 लाख (1.7 प्रतिशत की दर से) मण्डी शुल्क की हानी होना अनुमानित है। कृषि उपज मण्डी सेंधवा में करीब दो वर्ष से अधिक से नीलामी  नहीं होने के कारण किसानों को सही दर नहीं मिल पायी है। साथ ही साथ नीलामी  न होना, म.प्र. राज्य कृषि की उपविधियां सन् 2000 की धारा 16 (4) के नियमों का पालन कृषि उपज मक्का में सौदा पत्रक से 91.62 प्रतिशत कम हुआ है। जो कि मण्डी अधिनियमों के विपरीत  होने के कारण यही आवक 5 गुना शास्ति आरोपित करने योग्य है, जिससे मण्डी की अतिरिक्त राशि 66 लाख 75 हजार के आसपास होगी।  कृषि उपज मण्डी सेंधवा  की जांच में आने वाले 15 अनुज्ञप्तिधारी फर्मों के गोदामो/परिसर में संग्रहित भौतिक स्कंध एवं ई-अनुज्ञा पोर्टल के फसल स्कन्ध में धनात्मक एवं ऋणात्मक अन्तर पाया जाने के कारण कृषि उपज मण्डी अधिनियम 1972 की धारा 19 (4) का उल्लंघन होने से रूपये (5 गुना दर से लगभग 20 लाख 40 हजार रुपये का बजार मूल्य वसूल किया जाना पाया गया।  कृषि उपज मण्डी सेंधवा की जांच के दौरान तुलावटीयों के कथन लिये गये थे। उनके द्वारा यह संभावना बताई गई कि कृषि उपज मण्डी सेंधवा के अनुज्ञप्तिधारियों की सिस्टर फर्म महाराष्ट्र राज्य में भी स्थित है। सीमावर्ती अनुविभाग होने की वजह से मध्यप्रदेश में विपणन किए एवं गुजरात की ओर जाने वाले  स्कंध को महाराष्ट्र स्थित सिस्टर फर्म के फर्जी बिलों के आधार पर महाराष्ट्र में विपणन किये हुये दर्शाते है। चूँकि  महाराष्ट्र राज्य में मण्डी शुल्क में छूट है एवं अन्तर्राज्यीय परिवहन के मार्ग में पड़ने वाले राज्यों में मण्डी शुल्क लागू नहीं होता है, इस प्रावधान का दुरूपयोग कर अनुज्ञप्तिधारी द्वारा मप्र में लागू होने वाले मण्डी शुल्क की चोरी करने की संभावना है।

प्रस्तावित कार्यवाही – जिन फर्मो के स्टाक में अंतर पाया गया है, उन पर मण्डी अधिनियम 1972 की धारा 19 (4) एवं धारा 53 में निहित प्रावधानों के अनुसार दण्डात्मक कार्यवाही कर मण्डी शुल्क जमा करवाया जाना प्रस्तावित है।  जिन फर्मो के पास उपलब्ध माईश्चर मीटर का उपयोग पाया गया है  उन पर भी मण्डी अधिनियम के तहत वैधानिक कार्यवाही प्रस्तावित है।  जिन अनुज्ञप्तिधारियों द्वारा शर्तो का उल्लंघन किया गया है, उनकी जांच कर धारा 33 के तहत कार्यवाही प्रस्तावित की गई है।  अनुपस्थित तुलावटियों तथा जांच में दोषी पाये गये मण्डी कर्मचारियो एवं अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही हेतु प्रस्तावित किया गया है।  जांच में 20 लाख 40 हजार 878 रुपये का मण्डी शुल्क एवं 54423 रुपये का निराश्रित शुल्क का कर अपवचन पाया गया है। जिसकी वसूली संबंधित अनुज्ञप्तिधारियों से मण्डी अधिनियम के तहत की जावेगी।

महत्वपूर्ण खबर: सरसों मंडी रेट (17 नवम्बर 2022 के अनुसार)

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