लागत मूल्य नहीं निकलने से प्याज़ को सड़क किनारे फेंका
31 अगस्त 2022, इंदौर: (जेपी नागर, देपालपुर ) लागत मूल्य नहीं निकलने से प्याज़ को सड़क किनारे फेंका – इस साल प्याज़ -लहसुन उत्पादक किसानों की हालत बहुत ख़राब है। फसल का लागत मूल्य भी नहीं निकलने से आक्रोशित किसान अपनी फसल ट्रालियों में भरकर सड़क किनारे फेंक रहे हैं। किसानों ने सरकार से प्याज़-लहसुन का मूल्य निर्धारित करने की मांग की है ,अन्यथा आंदोलन किया जाएगा। सुनवाई नहीं होने पर किसान इसका जवाब आगामी चुनाव में देंगे।
देपालपुर तहसील प्याज -लहसुन उत्पादक क्षेत्र बन गया है। आसपास के कई किसानों ने इस साल बड़े क्षेत्र में प्याज व लहसुन की खेती की है , लेकिन उचित भाव नहीं मिलने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि एक ओर प्रधानमंत्री ने 2022 में किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया था ,वहीं दूसरी ओर किसानों का प्याज -लहसुन का लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में आय दोगुनी होना सम्भव नहीं है। इन दिनों बड़ी प्याज 8 से 10 रु किलो और लहसुन 200 से 1000 रु क्विंटल ही बिक रही है, जबकि बिजाई से लेकर निकालने तक 40 हजार रुपये तक खर्च आता है। लहसुन एक बीघे से 40 कट्टे निकलते हैं,जो 20 हजार रुपए की बनती है जिसमें 20 हजार रु का नुकसान होता है। इसी तरह प्याज़ में 50 हज़ार का खर्च आता है, जिसमें कल्टीवेटर ,रोटावेटर ,बीज ,चौपाई ,खाद,डीएपी , खरपतवारनाशक , सिंचाई ,निंदाई ,छंटाई ,भराई ,भाड़ा और हम्माली का खर्च शामिल है। जबकि अभी इनका लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है , इसलिए मायूस कई किसान प्याज व लहसुन नाले व सड़क के किनारे ट्रालियों में भर -भर कर फेंक रहे हैं।
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गिरोता के श्री संजू राणा,श्री जसवंत आंजना, बनेड़िया के श्री मनोज चौधरी, श्री घनश्याम पटेल, श्री दामोदर चौधरी आदि किसानों ने कहा कि किसान खेती पर आधारित रहता है।अगर सरकार ने किसानों की फसल मूल्य की सुध नहीं ली, तो आने वाले समय में किसान चुनाव में इसका जवाब निश्चित देंगे। यदि प्याज़-लहसुन का सही दाम नहीं मिला तो किसान आंदोलन करने को मज़बूर हो जाएंगे, जिसकी ज़वाबदारी सरकार की रहेगी।
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