सूक्ष्म, नियंत्रित सिचाई से होगी उत्पादन में बढ़ोतरी
29 फरवरी 2024, सीतापुर: सूक्ष्म, नियंत्रित सिचाई से होगी उत्पादन में बढ़ोतरी – कृषि विज्ञान केंद्र-२, कटिया, सीतापुर में उत्तर प्रदेश सूक्ष्म सिंचाई परियोजना (UPMIP) के उप घटक “पर ड्राप मोर क्रॉप” (माइक्रो इरीगेशन ) अन्तर्गत उद्यान विभाग सीतापुर के सहयोग से दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए जिला उद्यान अधिकारी श्री सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म सिंचाई का महत्व बढ़ गया है। UPMIP के माध्यम से, किसानों को नई और प्रौद्योगिकी पूर्ण सिंचाई उपकरणों की पहुंच प्रदान की जाती है जिससे कि उन्हें अधिक जल संरक्षण और खेती की व्यवस्था को सुदृढ़ करने में सहायता मिल सके। उन्होंने कहा कि योजना का लाभ सभी वर्ग के कृषकों के लिए है, ऐसे लाभार्थियों/ संस्थाओं को भी योजना का लाभ मिल सकता है जो संविदा खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग) अथवा न्यूनतम ७ वर्ष के लिए लीज एग्रीमेंट कि भूमि पर बागवानी/ खेती करते हैं अतः जरुरी दस्तावेज के साथ प्रथम आवक प्रथम पावक के सिद्धांत पर योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
प्रशिक्षण प्रभारी एवं कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक श्री सचिन प्रताप तोमर कहा कि सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियाँ जल का संयमपूर्वक उपयोग करना सिखाती हैं, जिससे अमूल्य जल संसाधन का संरक्षण भी होता है और इसके द्वारा, पानी की वास्तविक आवश्यकता को निर्धारित किया जा सकता है।
पंजीकरण हेतु आवश्यक दस्तावेज पर कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ आनंद सिंह ने बताया कि किसान के पहचान हेतु आधार कार्ड, भूमि की पहचान हेतु खतौनी एवं अनुदान की धनराशि के अन्तरण हेतु बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ठ की छाया प्रति अनिवार्य है।
प्राकृतिक खेती में सूक्ष्म सिचाई पद्धतियों अथवा जल संरक्षण कि उपयोगिता पर कमुआ के प्रगतिशील कृषक श्री अशोक गुप्ता ने व्याख्यान दिया और साथी किसान भाइयों को प्राकृतिक खेती अपनाने हेतु प्रेरित किया साथ ही प्रगतिशील कृषक श्री ज्ञानेंद्र कुमार मिश्रा, नौनेर, हरगांव ने जैविक विधि से औषधीय एवं सगंध पौध की खेती एवं बाजार व्यवस्था पर किसानो को प्रेरित किया।
डॉ योगेंद्र प्रताप सिंह प्रक्षेत्र प्रबंधक कृषि विज्ञान केंद्र ने जानकारी दी कि प्रदेश में ड्रिप एवं स्प्रिकलर सिंचाई प्रणाली स्थापित करने वाली पंजीकृत निर्माता फर्मों में से किसी भी फर्म से कृषक अपनी इच्छानुसार लगाने के लिए स्वतन्त्र है। अनुदान राशि (डी.बी.टी) द्वारा सीधे लाभार्थी के खाते में भेजी जाएगी।
ड्रोन तकनीक से खेती में पानी व समय की बचत पर वैज्ञानिक शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि पारंरिक तौर पर एक एकड़ खेत में स्प्रे करने में 5 से 6 घंटे का वक्त लगता है. जबकि ड्रोन से इतने ही क्षेत्र में 7 मिनट के अंदर ही यह काम हो जाएगा जबकि मैनुअल तरीके से एक एकड़ में स्प्रे करने पर 150 लीटर पानी लगेगा. वहीं ड्रोन से सिर्फ 10 लीटर में काम हो जाएगा।
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