राज्य कृषि समाचार (State News)

महेश्वर तहसील के प्रथम मौसम्बी उत्पादक किसान, आखिर मौसम्बी ने दिलाई मुस्कान

24 अप्रैल 2023, मंडलेश्वर (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर): महेश्वर तहसील के प्रथम मौसम्बी उत्पादक किसान, आखिर मौसम्बी ने दिलाई मुस्कान – उद्यानिकी फसलों में यदि फलों की बात करें तो निमाड़ में केला ,पपीता, सीताफल, गन्ना ,आम, अमरुद आदि फसलें ली जाती है , लेकिन महेश्वर तहसील में पहली बार मौसम्बी की फसल लेने का श्रेय ग्राम बेहगांव तहसील महेश्वर जिला खरगोन के सोलंकी परिवार को जाता है। 1970 में बहेगांव के श्री नवलसिंह मांगीलाल सोलंकी ने निमाड़ के गर्म मौसम में मौसम्बी की खेती की शुरुआत की थी , हालाँकि उन दिनों कृषि के साधन इतने उन्नत नहीं थे,अतःउन्हें सफलता नहीं मिली। अब उनके इस सपने को श्री राजेंद्र पिता भगवान सिंह सोलंकी प्राकृतिक खेती से इसे पूरा कर रहे हैं।

पहली बार महेश्वर तहसील में मौसम्बी की खेती –  श्री राजेंद्र सिंह ने कृषक जगत को बताया कि 1970 में  हमारे ताऊजी स्वर्गीय श्री नवलसिंह मांगीलाल सोलंकी ने निमाड़ के गर्म मौसम में पहली बार मौसम्बी की खेती की शुरुआत की थी। हालाँकि वे सफल नहीं हुए ,लेकिन उनके सपने को पूरा करने का मन बना लिया था। जल स्रोत गौतमी नदी  है। 2017 -18  में उद्यानिकी विभाग की नमामि देवी योजना अंतर्गत महाराष्ट्र की मौसम्बी किस्म न्यूसेलर के 1500 पौधे 15X15  फीट की दूरी पर गर्मी में लगाए थे ,लेकिन पौधे सूख गए तो दुबारा बारिश में फिर लगाए। इस योजना में उद्यानिकी विभाग द्वारा तीन साल तक अनुदान देने की बात कही गई थी , लेकिन दो साल ही अनुदान मिला। गत वर्ष 20 पौधों में फल आना शुरू हुए , जबकि इस साल 200 पौधों में फल आए। इस वर्ष 160 क्विंटल मौसम्बी इंदौर में बेची। जिससे पौने सात लाख रुपए  प्राप्त हुए। श्री राजेंद्र ने एक विशेष बात की ओर ध्यान आकृष्ट कराया कि उनकी मौसम्बी की तुड़ाई जनवरी -फरवरी में आ जाती है। ज़्यादा धूप बढ़ने पर पीलापन आ जता है। यदि उद्यानिकी विभाग की ओर से शून्य ब्याज दर पर कोल्ड स्टोरेज लगाने की योजना लागू कर दी जाए तो मौसम्बी को दो माह कोल्ड स्टोरेज में रखने के बाद बेचने पर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है , क्योंकि गर्मी के दिनों में मौसम्बी की मांग बढ़ने के साथ -साथ दामों में भी तेज़ी आ जाती है। इसी तरह  मौसम्बी से निर्मित उत्पाद संबंधित स्टार्टअप को लेकर भी कोई सरकारी सुविधा मिल जाए तो किसानों की आय और बढ़ सकती है , जो कि सरकार का भी उद्देश्य है। श्री सोलंकी ने बताया कि उन्होंने अनार लगाने की भी पहल की थी , लेकिन ज़मीन भारी होने से सफल नहीं हो सके। इनके यहां मौसम्बी में दो बार फरवरी -मार्च और जून -जुलाई में बहार आती  है ,जबकि आमतौर पर मौसम्बी के उद्यानों में जनवरी -फरवरी में फ्लावरिंग और जुलाई -अगस्त में कटाई आती है। श्री सोलंकी अंतरवर्तीय  फसलों में खरीफ में सोयाबीन और रबी में गेहूं की फसल लेते हैं। जल स्रोत गौतमी नदी  है। इस वर्ष खरीफ में सोयाबीन का बीज गलत किस्म का चयन करने से मात्र 3 क्विंटल / बीघा का ही उत्पादन मिला , जबकि इस वर्ष गेहूं का उत्पादन 15 -16 क्विंटल / बीघा का मिला। ये कृषि की सभी उपलब्धियों का श्रेय अपने गणेश गुरु (तिरला ) वालों को देते हैं।

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जन सेवक – श्री सोलंकी न  केवल उन्नत कृषक हैं ,बल्कि अच्छे जन सेवक भी हैं। ये 2013 -14 से अपने घर के कुएँ से पूरे गांव को निशुल्क जल सेवा उपलब्ध कराते हैं। आप 2013  -14 में महेश्वर तहसील के जल उपभोक्ता संस्था के एकमात्र निर्विरोध अध्यक्ष बने थे।  इसके अलावा ये पूर्व में सहकारी संस्था कतरगांव के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। किसानों को भी उचित मार्गदर्शन देते रहते हैं। निकट भविष्य में जब मौसम्बी के सभी पौधे फल देने लग जाएंगे तो इनके चेहरे की मुस्कान और गहरी हो जाएगी।

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