राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्यप्रदेश के कृषि उत्पादों का लाइव प्रदर्शन, क्या विदेशी कंपनियां करेंगी निवेश?

13 मार्च 2025, भोपाल: मध्यप्रदेश के कृषि उत्पादों का लाइव प्रदर्शन, क्या विदेशी कंपनियां करेंगी निवेश? – मध्यप्रदेश के कारीगरों और किसानों के हाथों से बने पारंपरिक उत्पाद अब सिर्फ स्थानीय बाजारों तक सीमित नहीं रहेंगे। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस)-भोपाल में आयोजित ‘एक जिला-एक उत्पाद’ (ओडीओपी) एक्सपो में 38 जिलों के विशिष्ट उत्पादों को वैश्विक मंच मिला। इस आयोजन का मकसद राज्य के पारंपरिक उत्पादों को बड़े बाजारों से जोड़ना और निवेशकों की रुचि को परखना रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडीओपी पहल को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम बताया।

ओडीओपी कार्यक्रम के तहत हर जिले के एक पारंपरिक उत्पाद को प्रमोट किया जा रहा है। एक्सपो में बुरहानपुर का केला, ग्वालियर के आलू आधारित उत्पाद और स्टोन टाइल्स, खरगोन की मिर्च, मंदसौर का लहसुन, नीमच का धनिया, सतना के टमाटर आधारित उत्पाद, मुरैना की गजक और सरसों उत्पाद, इंदौर के आलू आधारित उत्पाद, भोपाल का अमरूद, चंदेरी और माहेश्वर की साड़ियां, टीकमगढ़ के मिट्टी शिल्प और धार का बाग प्रिंट प्रदर्शित किया गया। इन उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान दिलाने की कोशिश की गई।

हस्तशिल्प और कृषि उत्पादों का लाइव प्रदर्शन

ओडीओपी-एक्सपो में स्थानीय शिल्पकारों ने अपनी कला को लाइव प्रदर्शित किया। बाग प्रिंट, जरी जरदोजी, चंदेरी साड़ी, बांस शिल्प, बलुआ पत्थर शिल्प, कपड़े की जैकेट और कालीन जैसे उत्पादों की निर्माण प्रक्रिया को मौके पर दिखाया गया। एक्सपो में स्टॉल को लाइव काउंटर और प्रोसेस काउंटर में विभाजित किया गया था। लाइव काउंटर में कारीगरों ने उत्पाद तैयार करने की प्रक्रिया दिखाई, जबकि प्रोसेस काउंटर में उनके निर्माण से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई।

खाद्य और कृषि उत्पादों को मिला नया मंच

खाद्य और कृषि उत्पादों को भी इस एक्सपो में विशेष जगह दी गई। इनमें बुरहानपुर का केला, खरगोन की मिर्च, मंदसौर का लहसुन, नीमच का धनिया, मुरैना की गजक, भोपाल का अमरूद और सीहोर का शरबती गेहूं शामिल हैं। एक्सपो में निवेशकों को इन उत्पादों के सेंपल भी दिए गए, जिससे निर्यात और व्यापारिक साझेदारी की संभावनाएं बनीं।

मध्यप्रदेश के कई पारंपरिक उत्पादों को पहले ही जीआई टैग मिल चुका है, जिससे उनकी विशिष्टता और गुणवत्ता की पहचान बनी हुई है। इनमें बाग प्रिंट, चिन्नौर चावल, चंदेरी और माहेश्वरी साड़ियां, गोंड पेंटिंग, झाबुआ का कड़कनाथ, इंदौर के चमड़े के खिलौने, रतलामी सेव, मुरैना की गजक और जबलपुर के पत्थर शिल्प शामिल हैं। एक्सपो में इन उत्पादों को प्रमुखता दी गई, जिससे इनके बड़े बाजारों तक पहुंचने की संभावनाएं बढ़ीं।

स्थानीय उद्यमियों और निवेशकों के बीच संवाद

एक्सपो का एक अहम हिस्सा स्थानीय उद्यमियों और निवेशकों के बीच संवाद रहा। कई निवेशकों ने इन उत्पादों में रुचि दिखाई और संभावित व्यापारिक साझेदारी पर चर्चा की। कुछ निवेशकों ने उत्पादों के सेंपल भी लिए, जिससे निर्यात और व्यावसायिक साझेदारी के अवसर बढ़ने की संभावना है।

सरकार ने इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक पहल बताया, लेकिन असली चुनौती इन वादों को हकीकत में बदलने की होगी। जीआईएस-भोपाल में इस आयोजन ने यह तो दिखा दिया कि मध्यप्रदेश के पारंपरिक उत्पाद वैश्विक बाजार में अपनी जगह बना सकते हैं, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कितने निवेश प्रस्ताव ठोस व्यापारिक समझौतों में बदलते हैं और स्थानीय उत्पादकों को कितना वास्तविक लाभ मिलता है।

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