किसानों को नहीं मिल रहा फर्टिलाइजर
केन्द्रीय कृषि मंत्री और प्रदेश के सहकारिता मंत्री के क्षेत्र में मचा बवाल
(विशेष प्रतिनिधि)
19 अक्टूबर 2021, भोपाल । किसानों को नहीं मिल रहा फर्टिलाइजर – रबी सीजन शुरू होते ही प्रदेश में खाद संकट गहराने लगा है। यूरिया, डीएपी की मांग को लेकर किसान हंगामा कर रहे है, लम्बी-लम्बी लाईनें लगी हैं परन्तु खाद पर्याप्त मात्रा में किसानों को नहीं मिल रही है। यह स्थिति चंबल संभाग में विकट हो गई है। देश के कृषि मंत्री एवं मुरैना से सांसद श्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं प्रदेश के सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया के क्षेत्र भिण्ड में किसानों को यूरिया-डीएपी के लिए भटकना पड़ रहा है तो प्रदेश के अन्य जिलों के कृषकों का क्या होगा, ये अनुमान हमारे सुधी पाठकगण लगा सकते हैं।
इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने खाद की कभी से इन्कार करते हुए कहा है कि राज्य में खाद की कोई कमी नहीं है, इसके बावजूद बेहतर व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने पर्याप्त आपूर्ति के लिए केन्द्र से आग्रह किया है। इस संबंध में एक उच्च स्तरीय बैठक भी की गई।
मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में खाद की कमी का भारी संकट खड़ा हो गया है। रबी फसलों की बुआई का समय आ गया है और किसानों के पास खाद नहीं है। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब बुआई से पहले खाद अचानक मार्केट से गायब हो गई हो। सीजन के वक्त पर खाद की कालाबाजारी की शिकायत कोई नई बात नहीं है, लेकिन हैरानी इस बात से है कि किसानों की हितैषी सरकारें आखिर इस बुनियादी समस्या का हल क्यों नहीं खोजतीं?
किसानों का कहना है कि खाद की आपूर्ति ठीक तरीके से नहीं हो रही। प्रशासन के पास खाद है लेकिन वो किसानों को मुहैया नहीं करा रहा। वहीं प्राइवेट दुकानदार ब्लैक में खाद बेच रहा है। ऐसे में किसान कहां जाए। किसी शिकायत की सुनवाई नहीं है।
किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ 2 बोरी डीएपी मिलने से पूर्ति नहीं हो रही है जबकि उन्हें प्रति एकड़ 4 से 5 बोरी तक आवश्यकता है। उस पर रबी की फसल की बुआई का वक्त आ गया है। ऐसे समय पर खाद नहीं मिलने से परेशानी दो गुनी हो गई है।
किसानों की समस्या
खाद नहीं मिलने से दिक्कत है। चंबल इलाके के भिंड, मुरैना, ग्वालियर इलाकों में डीएपी, यूरिया की भारी कमी है। ये हाल सहकारिता मंत्री के पैतृक गांव का है जहां लंबी-लंबी कतारों में महिलाएं और पुरुष खाना लेकर पहुंच रहे हैं कि न जाने कितनी देर का इंतजार हो।
राज्य सरकार की चौकसी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खाद की आपूर्ति को लेकर एक अहम बैठक बुलाई जिसमें कलेक्टर्स को निर्देश दिए कि खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करें। शिवराज ने कहा कि अगर किसी तरह की परेशानी होती है तो एसीएस, मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय से मदद ली जा सकती है। अब सरकार भले ही खाद की आपूर्ति के दावे कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि जमीनी स्तर पर खाद की उपलब्धता नहीं हो पा रही और उसकी भारी कमी है। अगर उपलब्धता है भी तो कालाबाजारी के चलते किसान परेशान हो रहा है। इतने सालों के सफर के बाद भी अगर किसानों को उर्वरक आपूर्ति का सिस्टम मजबूत नहीं हो पाया है तो खेती लाभ का धंधा आखिर कैसे बनेगी?