राज्य कृषि समाचार (State News)

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने 51 एग्री स्टार्टअप्स को दी नई उड़ान

03 दिसंबर 2024, जबलपुर: जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने 51 एग्री स्टार्टअप्स को दी नई उड़ान – कृषि क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जेएनकेवीवी), जबलपुर ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय ने 51 एग्री स्टार्टअप्स को सफलतापूर्वक स्थापित किया और इनके मोनो (लोगो) का विमोचन किया। यह आयोजन कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान (आईएबीएम) में चल रहे 30 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत हुआ।

जे-राबी: एग्री उद्यमिता की अनूठी पहल

जे-राबी (जनाहर राबी) कार्यक्रम की शुरुआत जेएनकेवीवी में वर्ष 2018-19 में हुई थी। इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना है। जे-राबी मध्य प्रदेश में स्थित एकमात्र एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर है, जो ग्रामीण उद्यमिता पर केंद्रित है। अब तक इस कार्यक्रम ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

जे-राबी की एक छोटी, लेकिन समर्पित 7-8 सदस्यों की टीम ने इन वर्षों में उल्लेखनीय कार्य करते हुए 51 कंपनियों को स्थापित किया है। इन कंपनियों का वार्षिक टर्नओवर 2023-24 में ₹166 करोड़ था, जो चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम छः महीनों में ₹126 करोड़ तक पहुंच गया। संस्था ने वर्ष 2027 तक ₹1000 करोड़ के टर्नओवर का लक्ष्य रखा है।

जे-राबी ने 6वें बैच के लिए कुल 149 आवेदनों में से 41 अभ्यर्थियों का चयन किया है। इन 41 प्रतिभागियों को 30 दिनों तक गहन प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें व्यापार प्रबंधन, वित्तीय योजना, ब्रांडिंग, विपणन और उत्पादन रणनीतियों जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन दिया। इस कार्यक्रम के अंतिम चरण में प्रतिभागियों को अपनी योजनाओं पर प्रस्तुति देनी होगी, ताकि वे उच्चस्तरीय चयन समिति के सामने अपने प्रोजेक्ट्स को प्रस्तुत करने के लिए तैयार हो सकें।

स्टार्टअप्स के लिए अनुदान श्रेणियां

स्टार्टअप्स को तीन श्रेणियों में अनुदान प्रदान किया जाता है। छात्रों के स्टार्टअप्स को चार लाख रुपये तक, प्रेरणा श्रेणी के स्टार्टअप्स को पांच लाख रुपये तक और साकार श्रेणी के स्टार्टअप्स को 25 लाख रुपये तक का अनुदान मिलता है। अनुदान प्राप्त करने के लिए स्टार्टअप्स को कंपनी का पंजीकरण अनिवार्य रूप से पूरा करना होता है। चयनित स्टार्टअप्स और जे-राबी के बीच एक अनुबंध किया जाता है, जिसके बाद टीम उनके परिसर में जाकर सत्यापन करती है। सत्यापन पूरा होने के बाद अनुदान की राशि ऑनलाइन स्थानांतरित की जाती है।

स्थानीय से राष्ट्रीय पहचान तक का सफर

जे-राबी का कार्यक्षेत्र पहले राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे राज्यों तक फैला हुआ था। इस वर्ष जम्मू-कश्मीर से केरल और गुजरात से पश्चिम बंगाल तक के ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए। हालांकि, इस साल से कार्यक्षेत्र को मध्य प्रदेश तक सीमित कर दिया गया है।

पिछले वर्ष, 26 में से 18 स्टार्टअप्स को अनुदान मिला। इस बार चयन प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए 41 स्टार्टअप्स का पंजीकरण पहले ही पूरा कर लिया गया है। टीम का लक्ष्य है कि 2024-25 में 41 में से 24 स्टार्टअप्स को अनुदान दिलाया जाए।

कार्यक्रम में कुलपति प्रो. पी.के. मिश्रा, आईएबीएम के निदेशक डॉ. मोनी थॉमस, डॉ. लगीना शर्मा, श्रीमती लक्ष्मी सिंह, डॉ. दीपक पाल, श्री दीपांशु पटेल और बड़ी संख्या में स्टार्टअप्स से जुड़े प्रतिनिधि मौजूद रहे। इस अवसर पर प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और जे-राबी की भूमिका की सराहना की।

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