बीमा क्लेम सरकार की भीख नहीं
प्रधानमंत्री जी, विनम्र निवेदन है कि पिछले प्राकृतिक आपदा की वजह से सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी, किसानों ने बीमा कराया था, एक वर्ष हो गया आज तक बीमा क्लेम नहीं दिया। वर्तमान प्रदेश सरकार ने तो किसान हितों को पूरी तरह भुला दिया, हमारा बीमा क्लेम तो दिलवा दो। क्लेम सरकार की भीख नहीं हमारा हक व अधिकार है।
महोदय जी कर्ज में डूबे बेबस, लाचार किसानों का हार्ड फैल हो रहा है और किसान हत्या कर रहे हैं, और नेता, अधिकारी मजे कर रहे हैं, अपना हक अधिकार मांगने वाले किसानों को जूतों से ठोकरें मार रहे हैं और किसानों को जेल में बंद कराने की धमकी दे रहे हैं। प्रधानमंत्री जी सी.बी.आई. म.प्र. में भेजकर पता तो लगाओ, आखिर किसानों का सोयाबीन का पैसा कौन खा गया?
महोदय जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के समय शिवराज जी किसानों के हितों को लेकर हर कभी दिल्ली व भोपाल में धरने पर बैठ जाते थे, लेकिन मोदी जी जबसे आप प्रधानमंत्री बने हैं शिवराज जी ने किसानों की बातें ही करना बंद कर दिया और किसानों को सभी को लूटने की खुली छूट दे दी।
द्य मिट्टी परीक्षण का ढिंढोरा पीटने मेें अरबों रुपये खर्च कर दिये गये लेकिन किसानों को फायदा नहीं हुआ, 80 फीसदी मिट्टी के नमूने या तो प्रयोगशाला या किसानों के घर में सड़ रहे हैं, छ: महीने हो गये मिट्टी के नमूने दिये, कोई परीक्षण नहीं, कोई स्वाइल हेल्थ कार्ड नहीं मिला?
- मुख्यमंत्री हेल्प लाइन 181 ढकोसला है, बिजली व अन्य विभागों की हजारों शिकायतों के बाद सिर्फ किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है?
- कृषि उपज मंडी में छोटे कांटे से तुलाई कर किसानों का एक से दो किलो अनाज प्रति बोरा चोरी कर लिया जाता है, बड़े कांटा (धर्मकांटा) को व्यापारी रिश्वत देकर या राजनीतिक दबाव डलवाकर बंद कराकर किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है। किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रदेश की सभी मंडियों में बड़ाकांटा (धर्मकांटा) अनिवार्य रूप से लागू किया जाये।
- समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद में हमेशा से भारी भ्रष्टाचार होता रहा है जो किसान अधिकारियों को पैसा दे देता है, उसका अनाज एफ.ए.क्यू. का और जो किसान पैसा नहीं देता उसका अनाज रिजेक्ट कर दिया जाता है, इस भ्रष्टाचार का सबसे ज्यादा शिकार छोटा गरीब किसान ही होता है?
- हमारे कुछ समाचार पत्र कर्ज में डूबे मजबूर, लाचार किसानों की जायज मांगों को भी नहीं जाने उठाते। किसान अपने शोषण के खिलाफ सरकार को दिये वाले ज्ञापन में कुछ लिखते हैं और हमारे ज्ञापन को समाचार पत्र उसका अनर्थ बनाकर छापते हैं, क्यों?
प्रधानमंत्री जी जब से शिवराज जी तीसरी बार ‘महाराज’ बने हैं तबसे किसानों का ज्यादा शोषण होने लगा है, कर्ज में डूबे, बेबस, लाचार किसानों को जिसको जहां मौका मिल रहा वहीं किसानों को चील, कौओं की तरह नोच – नोचकर खा रहे हैं, किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है। प्रधानमंत्री जी शीघ्र किसानों के हक, अधिकारों और आत्मसम्मान की रक्षा की जाये और शिवराज जी को नींद से जगाया जाये, नहीं तो बड़े-बड़े तख्तों, ताजों को उखाड़ फेंकने का सामथ्र्य किसानों में है। आपके अच्छे दिन की आश में वोट देकर, निराश होने वाले किसान!
– रामप्रसाद मीणा, प्रेमनारायण कुशवाहा, राजेश,
वीरेन्द्र पटेल (भारतीय कृषक संगठन), होशंगाबाद