केवीके देवास द्वारा सोयाबीन फसल हेतु सामान्य सलाह
05 अगस्त 2024, देवास: केवीके देवास द्वारा सोयाबीन फसल हेतु सामान्य सलाह – कृषि विज्ञान केंद्र , देवास द्वारा किसानों को सोयाबीन फसल हेतु 11 बिंदुओं में सामान्य सलाह दी गई है , जो इस प्रकार है –
वर्तमान में देवास जिले में सोयाबीन की फसल लगभग 35-40 दिनों की होकर फूल आने की अवस्था मेंहै तथा कहीं-कहीं शीघ्र पकने वाली किस्मों में फूल आ चुके हैं। ऐसे में वर्तमान मौसम की स्थिति (रूक-रूक कर लगातार वर्षा होने के कारण फसल की वनस्पतिक वृद्धि ज्यादा होना) को देखते हुए सोयाबीन फसल पर चक्र भ्रंग, तनामक्खी, अर्द्धकुण्लक इल्ली (सेमीलूपर) तथा तम्बाकू की इल्ली जैसे कीटों के अतिरिक्त विभिन्न तरह की बीमारियों जैसे – एन्थ्राकनॉज, पर्णदाग, रायजोक्टोनिया, एरियल ब्लाईट, पीला/सोयाबीन मोजेक वायरस रोग का प्रकोप बढ़ने की संभावना है। कृषकों को कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास के प्रमुख डॉ. ए.के.बड़ाया एवं वैज्ञानिक (पौध रोग विशेषज्ञ ) डॉ. अरविन्दर कौर द्वारा सलाह दी जाती है कि अपनी सोयाबीन फसल की सतत निगरानी करें तथा किसी भी कीट या रोग के लक्षण दिखने पर निम्नानुसार नियंत्रण के उपाय अपनाएं ।
- सोयाबीन की फसल पर पौध संरक्षण के लिए अनुषंसित कीटनाषकों/फफूंदनाषकों के छिड़काव हेतुपर्याप्त मात्रा में पानी 500 ली./हे. की दर से उपयोग
- करेकीटनाशकों के छिड़काव हेतु कोन नोजल का ही उपयोग करें।
- किसी भी तरह की कीटनाशक दवाई क्रय करते समय हमेशा पक्का बिल, बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक को देखकर ही क्रय करें।
- सोयाबीन की फसल में भारत सरकार के केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड या सोयाबीन अनुसंधान
- केंद्र/कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा अनुशंसित किए गए रसायनों का ही उपयोग करें।
- पत्तियों में पीला मोजेक रोग की सुरक्षा हेतु रोगवाहक कीट सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु खेतों में
- विभिन्न स्थानों पर पीला चिपचिपा प्रपंच लगावें।
- दवाओं को बिना जानकारी के मिलाकर छिड़काव ना करें एवं सही मात्रा का ही प्रयोग करें।
- वर्तमान में सोयाबीन की फसल में कीटभक्षी पक्षियों के बैठने हेतु ‘T’ आकार की 50 खूटियां प्रति हेक्टेयर की दर से लगाने पर इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।
- सोयाबीन की फसल में तंबाकू एवं चने की इल्लियों के प्रबंधन हेतु बाजार में उपलब्ध फेरोमोन
- प्रपंच 05 प्रति हेक्टेयर की दर से इन कीटों की निगरानी हेतु लगायें।
- पत्ती भक्षी कीटों, तना छेदक मक्खी एवं गर्डल बीटल से सोयाबीन की सुरक्षा हेतु सोयाबीन की
- फसल में क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 एम.एल/हेक्टेयर) या थायमिथॉक्जाम + लेम्डा
- सायहॅलोथ्रीन (125 मिली./हे.) या टेट्रनिलीप्रोल (250 एम.एल./हेक्टेयर), प्रोफेनोफॉस (1
- ली./हेक्टेयर) या इमामेक्टिन बेंजोएट (425 मिली./हे.) की दर से छिड़काव करें।
- 10. फफूंद जनित बीमारियों के प्रबंधन हेतु शीघ्र अति शीघ्र टेबुकोनाजोल 25-90 ई.सी. (650 मिली./हे.)या टेबुकोनाजॉल + सल्फर (1250 ग्राम/हे.) या एजोक्सट्रोबिन + डाइफेनोकोनाजॉल (500 मिली./हे.)का छिड़काव करें।
- किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसलों पर किसी भी तरह के कीट या बीमारियों से संबंधित सलाह के लिए अपने क्षेत्र के कृषि विकास अधिकारियों या कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास से संपर्क कर सकते हैं।
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