State News (राज्य कृषि समाचार)

कपास की उचित कीमत नहीं मिलने से किसान निराश

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न्यूनतम दस हज़ार रु प्रति क्विंटल दिलाने की मांग

23 नवम्बर 2023, पांढुर्ना(उमेश खोड़े, पांढुर्ना): कपास की उचित कीमत नहीं मिलने से किसान निराश – पांढुर्ना क्षेत्र में कपास की चुनाई जारी है। लेकिन कपास की उचित कीमत नहीं मिलने से किसान निराश हैं। वर्तमान में कपास की कीमत 7 हज़ार रुपए प्रति क्विंटल से भी कम है। कई किसान कीमत बढ़ने की आस में कपास का संग्रह कर रहे हैं।कई किसानों ने लागत खर्च निकालने के लिए 10 हज़ार रु / क्विंटल का दाम दिलाने की मांग की है। घाटे को देखते हुए कई किसान अगले साल कपास की जगह अन्य फसल लेने का विचार कर रहे हैं।

ग्राम मरकवाड़ा के किसान श्री योगेश गौरखेड़े ने कृषक जगत को बताया कि 6 एकड़ में कपास लगाया है। इस वर्ष क्षेत्र में वर्षा कम हुई है, लेकिन ज़रूरत के मुताबिक कुएं से सिंचाई हो जाती है। अभी कपास का दाम 7 हज़ार रु क्विंटल से भी कम चल रहा है, जबकि मजदूरी 300 रु रोज है। लागत ही नहीं निकल पा रही है। किसानों को कपास की कीमत न्यूनतम 10 हज़ार रुपए मिलनी ही चाहिए। इस साल कपास की फसल घाटे का सौदा साबित हुई है। इन हालातों को देखते हुए अगले साल अन्य फसल लगाने का विचार है।  ग्राम धावड़ीखापा के श्री लक्ष्मण कामड़े ने कहा कि 5 एकड़ में कपास लगाया है, लेकिन फसल की स्थिति अच्छी नहीं है। कुछ कुएं से और कुछ किराए से पानी लेकर सिंचाई करते हैं। खाद, बीज और दवाई का खर्च अलग है। कपास के भाव भी 7 हज़ार से कम मिल रहे हैं। ऐसे में लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। किसानों को कपास की कीमत कम से कम 10 हज़ार /क्विंटल मिलनी चाहिए।  ग्राम कामठीखुर्द के श्री मधु कलम्बे ने 4 एकड़ में  कपास की चार किस्में लगाई है। बीमारी और सूखे  के कारण फसल कमज़ोर है। दो बार चुनाई हो गई है। कुल 10 -12  क्विंटल उत्पादन होने का अनुमान है। कपास का फिलहाल 7 हज़ार /क्विंटल से नीचे का भाव है, जबकि मजदूरी 300 रु प्रति दिन है। कुएं का पानी दो -तीन घंटे चलता है तो सिंचाई हो जाती है। कपास की इतनी कीमत तो मिले कि लागत निकल सके।  

दूसरी तरफ श्री प्रीतम खोड़े ने बताया कि उनकी खुद की तो 3 एकड़ ज़मीन है , लेकिन निरखड़ , धावड़ीखापा और गुजरखेड़ी में 10 -12  एकड़ ज़मीन किराए से लेकर तीन -चार तरह की किस्मों का कपास लगाया है।  इस साल कपास के दाम 6900 -7000 रु /क्विंटल चल रहे हैं, जो बहुत कम है। जबकि मजदूरी 250 से 300 रु रोज है। अन्य खर्च अलग है। व्यय को देखते हुए कपास का दाम 10 हज़ार रु /क्विंटल तो  मिलना ही चाहिए , तब भी सिर्फ लागत ही निकलेगी , मुनाफा नहीं होगा। बारिश कम होने से फसल को दो पानी ही दे पाए हैं।फसल की नुकसानी का न तो कभी मुआवजा मिलता है और न ही कोई सर्वे होता है। इसी तरह श्री राजू कोरडे , पांढुर्ना ने 6  एकड़ खुद की ज़मीन के अलावा 14 एकड़ किराए से लेकर 20 एकड़ में कपास की विभिन्न किस्मों को लगाया है। भू जल स्तर नीचे जाने से दो कुओं का पानी तीसरे कुएं में डालने के बाद भी 24 घंटे में दो बार दो हज़ार रुपए रोज का पानी किराए से लेकर सिंचाई करनी पड़ रही है। इससे लागत खर्च बढ़ गया है। केसीसी का डेढ़ लाख का ऋण भरना भी बाकी है। जबकि अभी बाजार में कपास की कीमत 6900 / क्विंटल है। ऐसे में खेती घाटे का सौदा होती जा रही है। यही कारण है कि कई किसान अपने खेत खाली छोड़ रहे हैं। इस साल कुल 60 -65 क्विंटल कपास उत्पादन का अनुमान है, जबकि गत वर्ष 100 क्विंटल उत्पादन हुआ था। किसानों को कपास की न्यूनतम कीमत 10 हज़ार रु /क्विंटल मिलनी ही चाहिए , ताकि लागत खर्च  निकल सके।

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